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सहरसा के कंदाहा स्थित पुरातत्व विभाग संरक्षित सूर्य मंदिर विकास से उपेक्षित

जिला मुख्यालय से 13 किलोमीटर दूर स्थित कोसी के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक सूर्य मंदिर कन्दाहा में छठ पर्व मनाने का विशेष महत्त्व है। छठ पर्व मनाने के लिए दूरदराज से सैकड़ों श्रद्धालु यहां पहुंचकर...

सहरसा के कंदाहा स्थित पुरातत्व विभाग संरक्षित सूर्य मंदिर विकास से उपेक्षित
हिन्दुस्तान टीम,सहरसाTue, 30 Oct 2018 03:31 PM
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जिला मुख्यालय से 13 किलोमीटर दूर स्थित कोसी के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक सूर्य मंदिर कन्दाहा में छठ पर्व मनाने का विशेष महत्त्व है। छठ पर्व मनाने के लिए दूरदराज से सैकड़ों श्रद्धालु यहां पहुंचकर डूबते व उगते सूर्य को अर्घ्य देते है। श्रद्धालुओं के आने से हर वर्ष मंदिर में छठ पर्व पर मेला लगता है। खासकर इस मंदिर परिसर स्थित कुंआ के जल से स्नान करने से कई रोग दूर होते है। खासकर कुष्ठ रोगियों के काफी फायदा मिलता है।

पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित है मंदिर :

भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा यह सूर्य मंदिर संरक्षित है। देश व राज्य के ख्याति प्राप्त इस मंदिर के विकास की कई बार योजना बनाई गयी लेकिन प्रशासनिक व जनप्रतिनिधि की उदासीनता से मंदिर का विकास कार्य नही हो पाया। जिससे स्थानीय ग्रामीणों सहित श्रद्धालुओं में क्षोभ व्याप्त है। हालांकि बिहार राज्य धार्मिक न्यास परिषद द्वारा इस मंदिर में न्यास समिति का गठन कराया गया है। अब न्यास समिति सदस्यों के देखरेख में मंदिर विकास की योजना बनाई जायेगी।

काले पत्थर की बनी सूर्य प्रतिमा है काफी आकर्षक : चौदहवी शताब्दी में स्थापित दुर्लभ अनुपम सूर्य मूर्ति सहित इस स्थल पर जब तब खुदाई से मिली देवी देवताओं की दुर्लभ प्रतिमा के बाद पुरात्विक महत्व को लेकर इस मंदिर को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने अपने संरक्षण में ले लिया। वर्ष 1985 में एएसआई द्वारा संरक्षित होते ही लगा की अब मंदिर का विकास जरूर होगा । लेकिन वर्षो बीत गये आज भी मंदिर व मंदिर स्थल ज्यों की त्यों उपेक्षित है। इस इलाके के प्रसिद्ध उग्रतारा मंदिर, कारू खिरहरि मंदिर, मटेश्वर धाम, नाकुचेश्वर महादेव मंदिर पूजा करने आने वाले श्रद्धालु, सूर्य मंदिर कन्दाहा जरूर आते है। जिससे इस मंदिर में भी प्रतिदिन श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है। काले पत्थर की कलात्मक दुर्लभ सूर्य मूर्ति को देख श्रद्धालु खासे आकर्षित होते है। खासकर सूयोॅपासना का महान पर्व छठ में इस मंदिर व स्थल का महत्व काफी बढ़ जाता है। छठ के मौके पर इस मंदिर में श्रद्धालुओं द्वारा मेला लगाया जाता है।

विकास योजना पर नही हुआ अमल : भगवान सूर्य की अति प्राचीन इस मंदिर के विकास की कई बार योजना बनाई गई। पर्यटक स्थल में विकसित करने के लिये पुरातत्व विभाग व प्रशासन द्वारा बनाये गये विकास योजना पर अमल नही किया गया। जिससे मंदिर का विकास कार्य ठप्प है।

इस मंदिर स्थित कुंआ की पानी की है विशेषता : 14वी सदी के राजा हरिसिंह देव द्वारा स्थापित व निम्िॉत इस मंदिर के कुंआ की पानी की खासे विशेषता है। मान्यता है कि कुंआ के पानी से स्नान करने से कुष्ठ रोगियों को काफी लाभदायक होता है। खासकर छठ व कार्तिक पूर्णिमा दिन इस मंदिर के कुंआ के पानी से स्नान करने के लिए भीड़ लगी रहती है।

पोखर की शुरू नहीं हुई साफ सफाई : छठ पर्व को लेकर मंदिर स्थित तालाब की साफ सफाई शुरू नहीं की गई है। तालाब में गंदगी का अंबार लगा हुआ है। मंदिर परिसर स्थित तालाब में बड़ी संख्या में छठव्रती हाथ उठाते है।

मंदिर जाने वाली सड़क जर्जर : कन्दाहा सूर्य मंदिर जाने वाली सड़क पर बाढ़ बरसात के पानी जमा रहने से सड़क जर्जर हो गया है। जिससे मंदिर आने वाले लोगों को आवागमन में खासे परेशानी होती है।

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