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सहरसा शहर में एक ऐसा स्कूल जिसे न जमीन है और न छत

लाख दावा कर ले लेकिन गांव की बात दूर शहरी क्षेत्र के स्कूल की हालत बेहद खराब है। कहरा कुटी प्राथमिक विद्यालय को अब तक जमीन नसीब नहीं हुआ है। जिससे इस स्कूल में पक्का भवन का निर्माण का सपना अधूरा है।...

सहरसा शहर में एक ऐसा स्कूल जिसे न जमीन है और न छत
हिन्दुस्तान टीम,सहरसाTue, 04 Dec 2018 04:23 PM
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बेहतर शिक्षा व शैक्षणिक व्यवस्था का सरकार व शिक्षा विभाग

लाख दावा कर ले लेकिन गांव की बात दूर शहरी क्षेत्र के स्कूल की हालत बेहद खराब है। कहरा कुटी प्राथमिक विद्यालय को अब तक जमीन नसीब नहीं हुआ है। जिससे इस स्कूल में पक्का भवन का निर्माण का सपना अधूरा है। हालांकि धूप व वर्षा से बचाव के लिए सीमेंट के पीलर पर एस्बेस्टस डालकर कर किसी तरह स्कूल का संचालन किया जा रहा है। वर्ष 2007 में इस जगह स्कूल खोला गया। जो झोपड़ी में शुरू की गई। जमीन विवादित होने के कारण कई वर्षों तक झोपड़ी में ही स्कूल संचालित होती रही। जिसके बाद हेडमास्टर के अथक प्रयास और चंदा से पीलर गाड़ एस्बेस्टस का मकान बनाया गया। इस स्कूल में 183 बच्चे नामांकित है। शुरू में नामांकित छात्रों के पठन पाठन मात्र एक शिक्षक के सहारे होता था। लेकिन अब इस स्कूल में चार शिक्षक को पदस्थापित किया गया है। भवन के अभाव में वर्ग पांच के छात्रों को एक साथ बैठकर पढ़ाई करना पड़ा रहा है। छात्रों को एक साथ पढने में काफी दिक्कतें होती है।

सत्ताधारी विधायक के घर समीप चल रहा स्कूल : सोनवरषा विधानसभा के सत्ताधारी दल के विधायक रत्नेश सादा के घर के बगल में इस स्कूल संचालित है। स्कूल के संचालन जिस जमीन फर्क शुरू हुई वह जमीन अभी भी विवादित है। जमीन नहीं रहने के कारण विभाग द्वारा भवन के लिए राशि नहीं दी जा रही है।

शौचालय व अन्य सुविधा का अभाव : इस स्कूल में शौचालय का घोर अभाव है। शौचालय नहीं रहने से छात्र छात्राओं सहित शिक्षकों को काफी दिक्कतें होती है। हेडमास्टर सरफराज अहमद ने बताया कि शौचालय निर्माणके लिए राशि भी मिली। लेकिन जमीन के कारण शौचालय का निर्माण नहीं कराया जा सका। स्कूल में पेयजल की भी घोर समस्या है। पानी के लिए विधायक के दरवाजे पर गड़े चापाकल का अधिकांश छात्र उपयोग करते है।

एक ही कमरे में चलता स्कूल व बनता मिड डे मील : भवन के अभाव में एक ही कमरे में वर्ग पांच तक स्कूल का संचालन सहित मिड डे मील बनता है। रसोई के कारण छात्रों को काफी दिक्कतें होती है। बेंच डेस्क के अभाव में जमीन पर बोरा चट्टी बिछाकर बच्चे बैठने को विवश है। इस दौरान पास ढलते चुल्हे से हर हमेशा खतरा बना रहता है।

लोकायुक्त में चल रहा केस : स्थानीय लोगों ने बताया कि जिस जमीन पर स्कूल चल रही वह जमीन विवादित है। लोकायुक्त से लेकर हाईकोर्ट तक केस चल रहा। जिसके कारण इस जमीन पर अन्य विकास कार्य संभव नही। हालांकि स्थानीय लोगों ने बताया कि पानी टंकी के पास सरकारी जमीन है। जो जमीन गड्ढे में तब्दील है। इस जमीन को स्कूल के नाम करवाने की अगर पहल की जाए तो स्कूल को अपना जमीन भी मिल जाएगी और फिर भवन का भी निर्माण हो सकता है। लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है।

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