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सहरसा : सरकारी विद्यालयों में चलता है 10 फीसदी कमीशन का खेल

बीईपी की टीम ने भी माना कि विद्यालयों में खुलेआम दस फीसदी कमीशन का खेल चलता है। इस मामले में तत्कालीन एसएसए डीपीओ प्रपत्र क गठित करने व एई तथा जेई के वेतन में कटौती को लेकर स्पष्टीकरण पूछा है।...

सहरसा : सरकारी विद्यालयों में चलता है 10 फीसदी कमीशन का खेल
हिन्दुस्तान टीम,सहरसाTue, 21 Jul 2020 03:42 AM
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बीईपी की टीम ने भी माना कि विद्यालयों में खुलेआम दस फीसदी कमीशन का खेल चलता है। इस मामले में तत्कालीन एसएसए डीपीओ प्रपत्र क गठित करने व एई तथा जेई के वेतन में कटौती को लेकर स्पष्टीकरण पूछा है। स्पष्टीकरण मिलने के बाद कार्रवाई की जाएगी।

दस फीसदी कमीशन के खेल का खुलासा तब हुआ जब नव प्राथमिक विद्यालय कहरा कुटी के प्रभारी प्रधानाध्यापक सरफराज अहमद ने दस फीसदी की राशि नहीं देने के कारण वित्तीय वर्ष 2019-20 का समग्र विद्यालय अनुदान निर्गत नहीं करने का आरोप लगाया था। जिसके बाद मामले में सोनवर्षा विधायक रत्नेश सादा की पहल पर 8 और 9 जून को बिहार शिक्षा परियोजना कार्यालय में संबधित मामले की दो सदस्यीय टीम द्वारा जांच की गई।प्रभारी मुख्य लेखा पदाधिकारी रमण कुमार व अपर राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी शंभु कुमार के दो सदस्यीय जांच टीम के सामने प्रभारी प्रधानाध्यापक ने जहां वर्ष 2018-19 विद्यालय विकास निधि का उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा करने के बाद भी वर्ष 2019-20 के विद्यालय विकास मद की राशि निर्गत नहीं करने और सर्व शिक्षा अभियान कर्मी द्वारा अवैध राशि मांग करने संबधित आरोपों का दुहराया गया। जबकि तत्कालीन डीपीओ एसएसए सह पटना जिला में डीपीओ मनोज कुमार और अभियंताओं द्वारा बचाव में अपनी बात कही गई। जांच दल ने माना कि डीपीओ द्वारा सभी तथ्यों से अवगत होने के बावजूद ससमय कार्रवाई नहीं की गई। जिसके कारण यह परिस्थिति उत्पन्न हुई और वरीय पदाधिकारी के आदेश की अवहेलना के साथ ही स्वेच्छाचारिता प्रमाणित होता है। वहीं सहायक अभियंता पर आरोप में यह माना गया कि विभिन्न विद्यालयों से प्राप्त उपयोगिता प्रमाण पत्र के समायोजन एवं वित्तीय वर्ष 2019-20 के कम्पोजिट ग्रांट की राशि निर्गत करने के लिए ससमय कार्रवाई नहीं की गई। जिससे कई विद्यालय इस सुविधा से वंचित रह गए और भारत सरकार का प्राप्त राशि लेप्स कर गया। कनीय अभियंता पर लगे आरोपों को भी साक्ष्यों के आधार पर सही माना गया। जांच के बाद इस मामले में तत्कालीन डीपीओ मनोज कुमार से दस दिनों के भीतर स्पष्टीकरण मांगते हुए कहा गया है कि क्यों नहीं प्रपत्र क गठित करते अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाय। वहीं बिहार शिक्षा परियोजना के सहायक अभियंता सुधीर कुमार, कनीय अभियंता मदन कुमार, विवेक कुमार, ललित कुमार और अजीत कुमार से दस दिनों के भीतर स्पष्टीकरण मांगते हुए पूछा गया कि क्यों नहीं दस से बीस फीसदी राशि वेतन कटौती की जाय। उधर, डीईओ जयशंकर प्रसाद ठाकुर ने कहा कि अभी तक उन्हें पत्र प्राप्त नहीं हुआ है। सर्व शिक्षा अभियान विभाग के मेल पर पर पत्र आया होगा। पत्र मिलने के बाद उसके तहत दिए गए निर्देशां का पालन किया जाएगा।

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