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दूषित पेयजल पीने को विवश हैं मरीज

अनुमंडलीय अस्पताल सिमरी बख्तियारपुर में लगे पानी टंकी से शुद्ध व साफ पानी निकलने की जगह उससे जहर जैसा पानी निकलता है। अर्थात वह पानी पूरी तरह से आयनयुक्त रहने के कारण जहां-जहां पानी निकासी के लिए...

दूषित पेयजल पीने को विवश हैं मरीज
हिन्दुस्तान टीम,सहरसाMon, 08 Jul 2019 12:12 AM
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अनुमंडलीय अस्पताल सिमरी बख्तियारपुर में लगे पानी टंकी से शुद्ध व साफ पानी निकलने की जगह उससे जहर जैसा पानी निकलता है। अर्थात वह पानी पूरी तरह से आयनयुक्त रहने के कारण जहां-जहां पानी निकासी के लिए टोटी लगा हुआ है वहां-वहां लाल दाग पड़ गया है। इस तरह के पानी निकलने से मरीजों को पानी पीने के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है। जबकि इस अस्पताल में अनुमंडल क्षेत्र के तीनों प्रखंडों सिमरी बख्तियारपुर, सलखुआ तथा बनमा ईटहरी से नित्यदिन 150 से 250 के आसपास मरीज इलाज कराने हेतु आया जाया करते हैं। बावजूद उन्हें स्वच्छ पानी नहीं मिलता है।

आयरनयुक्त पानी के कारण आरओ भी बेकार: अस्पताल में हो रहा पानी सप्लाई इतना गंदा व आयरनयुक्त है कि उसे शुद्ध करने के लिए लगाये गये दो आरओ फिल्टर भी बेकार हो गया। बताया जा रहा है कि पानी में आयरन की मात्रा इतनी अधिक है कि लगाये गये आरओ फिल्टर को भी खराब कर दिया है। अर्थात उसमें मोटी परत जम जाती है। बाथरुम हो या अन्य जगहों पर लगे पानी निकासी के लिए टोटी से पानी जो बाहर निकल कर नीचे गिरता है उस जगहों पर लाल हो गया है। जबकि बताया जा रहा है कि पानी सप्लाई के लिए लगाए गये दो मोटर की पानी की पाइप को जमीन के अंदर करीब 150 फीट की दूरी पर लगाया गया है। इसके बावजूद पानी ठीक नहीं निकल रहा है।

कहते हैं स्वास्थ्य प्रबंधक: अस्पताल के स्वास्थ्य प्रबंधक मो महबूब आलम ने बताया कि स्वच्छ पानी निकलने के लिए बहुत प्रयास किये है। एक जगह गड़े मोटर से पानी स्वच्छ नहीं निकलने पर दूसरी जगहों पर दूसरा मोटर गड़वाया। उससे भी उसी तरह का पानी निकलने लगा। इसके बाद अस्पताल परिसर में दो जगहों पर आरओ फिल्टर लगवाया गया, लेकिन काफी मात्रा में आयरन रहने के कारण वह भी बेकार व खराब हो गया। अस्पताल में पानी की बड़ी समस्या है। अब नगर पंचायत से ही समस्या का समाधान हो सकता है। अगर वे सात निश्चय गली-नली योजना के तहत जलमीनार की सप्लाई से अस्पताल को भी जोड़ दे तो समस्या का सामाधान हो सकता है।

नहीं है कोई व्यवस्था :मरीजो के लिए 100 बेड होने की जगह 8 से 10 बेड रहने के कारण क्षेत्र के विभिन्न इलाको से आये मरीजो को इधर-उधर भटकने के साथ अपनी बारी के आने का इंतजार करना पड़ता है। इसके अलावा मरीजों के लिए अस्पताल में एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था नहीं है। स्वास्थ्य कर्मी या डॉक्टरों के लिए आवास की व्यवस्था नहीं है। चार की जगह मात्र एक ही एम्बुलेंस से काम चलाया जा रहा है। जो अक्सर खराब ही रहता है।

छह डॉक्टर हैं कार्यरत : वर्तमान में अस्पताल में छह डॉक्टर और 38 एएनएम कार्यरत है। जानकारी अनुसार डा. राजेश प्रसाद वर्मा तथा डा. हरेन्द्र कुमार आर्य जो एमबीबीएस है, तो डा. अतहर इकबाल तथा डा. अनुपत अभिषेक दत्त चाईल्ड स्पेशलिस्ट है तो डा. अमरिता आनंद तथा डा. विनिता शर्मा स्त्री रोग विशेषज्ञ है। इसके अलावा बताया जाता है कि करीब 38 एएनएम है।

मरीजों को समय पर नहीं मिलते हैं डॉक्टर : इलाज कराने वाले मरीजों की मानें तो ये सभी पदस्थापित डॉक्टर रोजाना अस्पताल में न तो रहते हैं और न ही दिखते हैं। कोई सहरसा में तो कोई घर पर रहकर ड्यूटी करते हैं । अन्य स्वास्थ्य कर्मियो का भी वही हाल है।

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