सहरसा | निज प्रतिनिधि
अधिकारियों की जांच में जिले के नवहट्टा प्रखंड के मोहनपुर पंचायत में संचालित सात निश्चय योजना में गड़बड़ी उजागर हुई। जांच रिपोर्ट के बाद भी कार्रवाई नहीं होने से सिस्टम की भूमिका पर सवाल खड़े होने लगा है।
वरीय उप समाहर्ता नीरज सिन्हा और जिला कार्यक्रम पदाधिकारी मनरेगा ने नवहट्टा के मोहनपुर पंचायत में सात निश्चय योजनाओं की जांच से संबंधित रिपोर्ट आठ जुलाई को समर्पित किया है। वरीय उप समाहर्ता और जिला कार्यक्रम पदाधिकारी मनरेगा द्वारा हस्ताक्षरित जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि एक जुलाई को संयुक्त जांच दल ने मोहनपुर पंचायत में सात निश्चय व अन्य जनकल्याणकारी योजनाओं की स्थल पर पहुंचकर भौतिक जांच की। जांच में पाया गया कि एक ही योजना को दो अलग-अलग भाग में बांटकर प्राक्कलन तैयार किया गया है। विद्यानंद पासवान के घर से गुणेश्वर साह के घर तक वार्ड नं 14 में नाली निर्माण कार्य में ईंट जोड़ाई और प्लास्टर में लोकल बालू का उपयोग किया गया है। प्लास्टर पहली ही बारिश में उखड़ने लगा है। ईंट की गुणवत्ता सही है पर कार्यस्थल पर योजना का अनापत्ति प्रमाण पत्र पीडब्ल्यूडी विभाग से नहीं लिया गया है। योजना स्थल पर सूचना पट्ट नहीं लगाया गया है। अनंत साह के घर से हरिमोहन झा के घर तक नाला निर्माण में भी कार्य शुरू करने से पहले विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं लिया गया है। प्लास्टर पहली ही बारिश में उखड़ने लगा है। प्राथमिकता सूची नहीं बनाई गई और ना ही सार्वजनिक स्थलों पर योजना का विवरण व प्राक्कलित राशि दर्शाते सूचना पट्ट लगाया गया।
कार्यस्थल पर कार्य पुस्तिका और मस्टर रोल नहीं रखा गया है। जांच रिपोर्ट में अपने मंतव्य में वरीय उप समाहर्ता और जिला कार्यक्रम पदाधिकारी मनरेगा ने लिखा है कि मोहनपुर पंचायत के एक ही वार्ड में एक ही योजना को दो भाग में बांटकर 15 लाख 41 हजार 800 रुपए की योजना की प्रशासनिक स्वीकृति मुख्यमंत्री ग्रामीण नली गली पक्कीकरण योजना के सिद्धांत के अनुरूप प्रतीत नहीं होता। यह योजना गांव के किसी गली में नहीं कर पीडब्ल्यूडी के मुख्य सड़क पर किया गया और इस कार्य की लंबाई भी अधिक है इस कारण इसकी स्वीकृति सात निश्चय योजना के तहत नहीं की जानी चाहिए थी। योजना की गुणवत्ता को वार्ड क्रियान्वयन एवं अनुश्रवण समिति व कनीय अभियंता द्वारा पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया है।