Hindi NewsBihar NewsSaharsa NewsFarmers Shift from Traditional Rice to Successful Makhana Cultivation in Saharsa

अब गरमा धान छोड़ मखाना उपजा रहे किसान

सहरसा में किसान गरमा धान की खेती छोड़कर मखाना की खेती करने लगे हैं। पिछले साल मखाना की कीमत 2000 रुपये किलो थी, जिसके चलते इस साल 6000 एकड़ में मखाना की खेती की गई है। नए प्रखंड क्षेत्रों में भी किसान...

Newswrap हिन्दुस्तान, सहरसाTue, 12 Aug 2025 03:26 AM
share Share
Follow Us on
अब गरमा धान छोड़ मखाना उपजा रहे किसान

सहरसा, निज प्रतिनिधि। अब गरमा धान की बजाय मखाना की खेती किसान करने लगे हैं। पिछले साल मखाना की कीमत अच्छी मिलने के कारण किसानों ने गरमा धान की बजाय मखाना की खेती को अपनाया है। उद्यान विभाग के अनुसार पिछले साल के मुकाबले इस साल 20 से 25 प्रतिशत अधिक किसानों ने सहरसा जिले में मखाना खेती की है। दरअसल, जिला उद्यान विभाग द्वारा अभी खेतों तक भेजकर प्रखंड उद्यान पदाधिकारियों से भौतिक सत्यापन कराया जा रहा है। सत्यापन में गए पदाधिकारी यह देख रहे हैं कि किस-किस किसानों ने मखाना की खेती की है। कितना क्षेत्र में मखाना उपजाया है।

खेतों में गुरी(गुड़िया) उपज की स्थिति क्या है। भौतिक सत्यापन में ही यह देखने को मिला है कि गरमा धान जैसी पारंपरिक खेती को छोड़कर किसान मखाना खेती अपनाने लगे हैं। किसानों को लग रहा है कि मखाना की खेती कर वे अधिक मुनाफा कमा सकेंगे। हालांकि, भौतिक सत्यापन अभी जारी है और पूरा सत्यापन होने के बाद यह आंकड़ा बढ़ जाए। वैसे भी कई ऐसे किसान भी होते हैं जो विभागीय अनुदान के बिना भी मखाना की खेती करते हैं। जिला उद्यान पदाधिकारी सह सहायक निदेशक उद्यान शैलेन्द्र कुमार ने कहा कि पिछले साल मखाना 2 हजार रुपए किलो तक बिका था। इसकी वजह यह थी कि मखाना की खेती के लिए उद्यान विभाग ने काफी प्रचार प्रसार करते किसानों को इसके प्रति जागरूक किया था। वहीं मखाना बिक्री के लिए देश के अलावा अंतरराष्ट्रीय बाजार भी उपलब्ध कराया। उन्होंने कहा कि इस साल किसानों ने 6 हजार एकड़ में मखाना की खेती की है जो पिछले साल से 2 हजार एकड़ अधिक है। गरमा धान की खेती करने वाले किसानों ने खेत के आड़ को मोटा कर मखाना की खेती की है। तीन नए प्रखंड क्षेत्रों में भी किसानों ने की मखाना खेती: कहरा, पतरघट, बनमा ईटहरी जैसे तीन नए प्रखंड क्षेत्र भी हैं जहां के किसानों ने इस बार मखाना खेती की है। जिला उद्यान पदाधिकारी ने कहा कि कहरा, पतरघट और बनमा ईटहरी जैसे तीन नए प्रखंड क्षेत्र हैं जहां के किसानों ने इस साल मखाना की खेती की है। यहां के करीब 25 फीसद किसानों ने मखाना की खेती की है। वहीं पहले से मखाना की खेती के लिए मशहूर नवहट्टा, महिषी, सिमरी बख्तियारपुर और सत्तरकटैया प्रखंड क्षेत्र के 75 प्रतिशत किसानों ने मखाना की फिर से खेती की है। इस बार भौतिक सत्यापन तब मिलेगा अनुदान: इस बार प्रखंड उद्यान पदाधिकारी मखाना लगे खेतों का भौतिक सत्यापन करेंगे फिर किसानों को अनुदान मिलेगा। जिला उद्यान पदाधिकारी ने कहा कि प्रखंड उद्यान पदाधिकारियों के द्वारा भौतिक सत्यापन करते हुए रिपोर्ट जमा किया जाएगा। रिपोर्ट साथ मखाना खेत स्थल की जिओ टैगिंग फोटो देनी होगी। उस आधार पर अनुदान देने की प्रक्रिया की जाएगी। अगस्त अंतिम तक निकलेगा गुरी: मखाना खेतों में अभी गुरी निकालने का काम किया जा रहा है। अगस्त अंतिम तक गुरी निकालने का काम किया जाएगा। सितंबर या अक्टूबर से लावा तैयार करना शुरू होगा। गुरी से लावा तैयार कराने के लिए यहां से लगभग हर किसान या व्यापारी पूर्णिया और दरभंगा जाते हैं। जिला उद्यान पदाधिकारी ने कहा कि महिषी और नवहट्टा में एक, दो जगहों पर गुरी से लावा तैयार किया जाने लगा है।