ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News बिहार सहरसासहरसा में नर्सों के कार्यों का किया जा रहा मूल्यांकन

सहरसा में नर्सों के कार्यों का किया जा रहा मूल्यांकन

सहरसा जिले के विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों में कार्यरत नर्सिंग कर्मियों के कार्यों की गुणवत्ता में सुधार के लिए कार्यों का मूल्यांकन किया जा रहा है। इसको लेकर कंपीटेंसी बेस्ड स्कील एसेसमेंट रेटिंग एंड...

सहरसा में नर्सों के कार्यों का किया जा रहा मूल्यांकन
हिन्दुस्तान टीम,सहरसाSun, 02 Feb 2020 11:06 PM
ऐप पर पढ़ें

सहरसा जिले के विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों में कार्यरत नर्सिंग कर्मियों के कार्यों की गुणवत्ता में सुधार के लिए कार्यों का मूल्यांकन किया जा रहा है। इसको लेकर कंपीटेंसी बेस्ड स्कील एसेसमेंट रेटिंग एंड रैंकिंग ऑफ़ नर्सेज प्रोग्राम के तहत मंगलवार को नर्सिंग स्टाफ़ का मूल्यांकन कार्य किया गया।

इस प्रोग्राम के तहत स्वास्थ्य विभाग की ओर से नर्सों में स्वास्थ्य प्रबंधन संबंधी जानकारियों व किये जाने वाले कार्यों आदि का सैद्धांतिक व प्रायोगिक मूल्यांकन किया जाता है। केयर इंडिया के डीटीओ शिल्पा बहल ने कहा मौजूद नर्सों से प्रसव प्रबंधन व नवजात शिशु के स्वास्थ्य प्रबंधन आदि पर सवाल भी पूछे गए और उनकी जानकारियों की सराहना की गयी। उन्होंने कहा केयर इंडिया के टेक्निकल सपोर्ट से मूल्यांकन कार्य नर्सों के मनोबल की जांच भी कर रहा है। यह देखने की कोशिश है कि प्रशिक्षित एएनएम और जीएनएम स्वास्थ्य प्रबंधन की दिशा में स्वयं में कितना आत्मविश्वास रखती हैं।

सीएस डॉ ललन प्रसाद सिंह ने बताया यह मूल्यांकन दो चरणों में किया जाना है। इसके प्रथम चरण में अमानत मेंटर्स तथा जिला अस्पताल के नर्सेस का मूल्यांकन होगा। उसके बाद दूसरे चरण में अमानत मेंटर्स दूसरे प्रखंड में जाकर वहां के नर्सेस का मूल्यांकन करेंगी। मूल्याकंन के बाद नर्सों को उनके जानकारी के अनुसार रेटिंग प्रदान की जाएगी। इस मूल्यांकन में ओएससीई, कार्यक्षेत्र की जानकारी और व्यक्तित्व का विकास शामिल है।मूल्यांकन के दौरान एएनएम व जीएनएम से आपातकाल व मौलिक नर्सिंग देखरेख से सबंधित बल्ड ग्रूप, हाइपोवोल्मिया वाले मरीज के लक्षण, मातृ देखरेख के तहत प्रसव पीड़ा व गर्भनाल बांधने, प्रसव की प्रथम व तीसरी अवस्था में गर्भवती को अवश्य सलाह, गर्भवती महिला के पेट का असामान्य आकार के कारण, प्री एक्लेम्पसिया की पहचान, प्रसव के बाद जटिलताओं के संकेत की पहचान, परिवार नियोजन के तरीके, नवजात शिशु की जन्म के समय लंबाई, नवजात शिशु में कोल्ड स्ट्रेस के संकेत, जन्म के समय स्तनपान का महत्व, कंगारू मदर केयर की जरूरत, अम्बु बैग का उपयोग, शिशु के टीकाकरण आदि पर सवाल पूछे गये।आपरेशन के बाद होने वाले संक्रमण से रोकथाम आदि की जानकारी ली गयी। प्रायोगिक मूल्यांकन में नर्सों से तापमान, पल्स व श्वसन गति का आकलन, बीपी मापना, पेशाब की जांच, मांसपेशियों में इंजेक्शन लगाने की प्रक्रिया, अनिवार्य नवजात शिशु देखभाल प्रसव के बाद खून बहने सहित एक्लेम्पसिया प्रबंधन आदि जैसे विषयों पर प्रायोगिक जांच की गयी।प्रायोगिक परीक्षा के लिए एक ऑपरेशन थियेटर का प्रारूप तैयार किया गया था। मौके पर ट्रेनर, नर्स, मेंटर, सुपरवाइजर कोऑर्डिनेटर संध्या व पैमा तथा अन्य मौजूद थे ।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें