हर्षोल्लास के साथ मनाया गया ईसा मसीह का जन्मदिन
सहरसा में ईसाई समुदाय ने ईसा मसीह का जन्मदिन क्रिसमस हर्षोल्लास से मनाया। बीआईसी चर्च में प्रार्थना सभा का आयोजन हुआ, जहां पादरी ने इस पर्व की महत्ता बताई। 1 दिसंबर से शुरू हुए समारोह में बच्चों ने...

सहरसा, नगर संवाददाता। ईसाई समुदाय के लोगों ने बुधवार को ईसा मसीह का जन्मदिन क्रिसमस हर्षोल्लास के साथ मनाया ।शहर के पूरब बाजार स्थित बीआईसी चर्च में सुबह नौ बजे से प्रार्थना सभा का आयोजन हुआ।सामुहिक रूप से प्रार्थना सभा के बाद पादरी बीसी राय ने कहा कि क्रिसमस को ईसाई धर्म में बड़ा दिन के नाम से भी जानते हैं। क्योंकि ईसाइयों के लिए ईसा मसीह का जन्मदिवस सबसे बड़ा त्योहार होता है। इनके जन्म को लेकर एक रोचक कथा प्रचलित है। कथा के अनुसार, परमेश्वर ने अपने दूत जिब्राईल/गैब्रिएल को स्त्री मरियम के पास भेजा और मरियम को उसके गर्भ से यीशु के जन्म लेने की बात कही। गैब्रिएल ने मरियम को बताया कि जन्म लेने वाले बच्चे का नाम जीसस होगा। वह ऐसा राजा बनेगा जिसके साम्राज्य की कोई सीमा नहीं होगी। ऐसा कहानी है कि जब-जब देवदूतों का जन्म होता है तो गैब्रिएल पहले आकर इसकी सूचना दे जाते हैं। जिस समय मरियम को यीशु के जन्म की सूचना मिली उस वक्त वह अविवाहित थी। कुछ दिनों बाद मरियम की शादी जोसेफ नामक युवक से हुई। मरियम और जोसेफ एक साथ नाजरथ में रहा करते थे। नाजरथ आज के इसराइल का एक शहर था। तब नाजरथ रोमन साम्राज्य में था। जब मरियम गर्भवती हुई उस समय नाजरथ में जनगणना का काम चल रहा था। इस कारणवश यह शहर पूरी तरह से भरा हुआ था। सभी धर्मशालाएं, सार्वजनिक आवास गृह पूरी तरह भरे हुए थे।जगह के आभाव में मरियम ने एक अस्तबल में आधी रात को यीशु को जन्म दिया।पादरी ने कहा कि मनुष्य अपने कार्यों के द्वारा संसार को प्रभावित करता है हम संसार को दो तरह से प्रभावित कर सकते हैं। एक तो अच्छे और नेक काम करने के द्वारा और दूसरा बुरे या गलत काम करने के द्वारा। हमेशा हम जो कुछ भी करते हैं वह दूसरों पर प्रभाव डालता है। क्योंकि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। आज हम क्रिसमस का महापर्व मना रहे हैं। यह पर्व संसार के उद्धारक प्रभु यीशु मसीह के जन्म की खुशियों के कारण मनाया जाता है। हर एक ईसाई धर्मावलंबी है। क्योंकि उन्होंने प्रभु यीशु मसीह के शुभ संदेशों पर विश्वास किया है। वहीं ईसा मसीह के जीवन पर युवाओं ने गीत-संगीत का आयोजन किया। ईसा मसीह से जुड़े गीत संगीत के माध्यम से प्रार्थना की गई।
एक दिसम्बर से ही पर्व की शुरुआत :पादरी ने बताया कि क्रिसमस पूरे दिसंबर महीने में मनाया जाता है। इसकी शुरुआत एक दिसम्बर को हुई। सन्डे स्कूल के बच्चों द्वारा क्रिसमस के दृश्यों से सबंधित नाटक, सुन्दर गीत, एक्शन सॉग और बाईबल के पदों को बोलने जैसे कार्यक्रम शिक्षिका बी रॉय के दिशा निर्देश में सम्पन्न हुई। इसमें आदर्श, सैम शालोम, मार्टिना, पीहु, समर इत्यादि बच्चों ने भाग लिया।वीमेन्स फैलोशिप द्वास एक एकांकी प्रस्तुत की गई। सुन्दर गीत गाए गए जिसमें बहन प्रीति, बेबी, बॉबी, संध्या, नीलम, जेनी इत्यादि ने भाग लिया।यूथ फैलोशिप द्वारा एक्शन सांग और गीत की प्रस्तुती की गई। जिसमें सुमित, ऐश्वर्या, मासूम, तमन्ना इपशीता इवा, जूली इत्यादि ने भाग लिया। साथ में क्रिसमस की लघु एकांकी भी प्रस्तुत की गई। क्रिसमस के गीतों पर नृत्य भी प्रस्तुत किया गया। 24 दिसंबर शाम 5 बजे से क्रिसमस फादर अर्थात सैन्टा क्लॉज द्वारा गिफट वितरण किया गया। घर घर जाकर कैरोल सिंगिग की गई।
देर रात ही शुरू हो गया था जश्न :इससे पूर्व मंगलवार को रात बारह बजने के साथ ही चर्च में प्रार्थनाओं का दौर शुरू हो गया था।रंग-बिरंगे गुब्बारे और आकर्षक तरीके से सजे संतनगर स्थित कैथोलिक चर्च व पुरब बाजार स्थित बीआइसी चर्च में देर रात तक प्रार्थना सभाएं हुईं। जैसे ही रात के 12 बजते ही चर्च में घंटियां बजने लगी। यीशु का जन्म हुआ। लोगों ने कैरोल गीत गाए। एक दूसरे को क्रिसमस की बधाइयां दी। सुबह नौ बजे से ही शहर के पुरब बाजार स्थित चर्च में युवक युवतियों की काफी भीड़ जमा रही। इस मौके पर चर्च को आकर्षक ढंग से सजाया गया था। रंग बिरंगे इलेक्ट्रॉनिक झालर के साथ ही क्रिसमस ट्री को भी आकर्षक ढंग से सजाया गया था।
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