
रितु जायसवाल, गोपाल मंडल, फतेह बहादुर; नीतीश और तेजस्वी का कितना खेल बिगाड़ेंगे बागी
संक्षेप: Bihar Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव में कई नेता बागी होकर अपने दलों की चिंता बढ़ा रहे हैं। नीतीश की जेडीयू और तेजस्वी यादव की आरजेडी सबसे ज्यादा बागियों से परेशान है।
Bihar Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के समर में बागी नेता एनडीए और महागठबंधन दोनों का गेम बिगाड़ने में जुटे हुए हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) और लालू एवं तेजस्वी यादव के राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) में बागी सबसे ज्यादा परेशानी बढ़ाए हुए हैं। राजद में रितु जायसवाल, फतेह बहादुर सिंह कुशवाहा, जैसे नाम प्रमुख हैं। वहीं, जेडीयू में गोपाल मंडल, हिमराज सिंह जैसे नेता बगावत कर रहे हैं। महेश्वर प्रसाद यादव और संतोष कुशवाहा तो जदयू छोड़ राजद में चले गए। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में भी टिकट नहीं मिलने से कई नेता बागी हो गए, इनमें कुछ को गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय नेताओं ने मनाया। निर्दलीय और अन्य दलों से चुनाव लड़ रहे बागी कितना प्रभाव डालेंगे, यह चुनाव नतीजों के बाद ही स्पष्ट होगा।

भागलपुर जिले की गोपालपुर सीट से मौजूदा विधायक गोपाल मंडल का जेडीयू ने इस बार टिकट काट दिया। वे बागी होकर जदयू प्रत्याशी बुलो मडंल के खिलाफ निर्दलीय चुनावी मैदान में उतर गए। जेडीयू के पूर्व मंत्री हिमराज सिंह भी टिकट न मिलने से बागी हो गए और कटिहार जिले की कदवा सीट से निर्दलीय ताल ठोक दी।
कदवा से जेडीयू ने पूर्व कटिहार सांसद दुलालचंद्र गोस्वामी को इस बार विधानसभा का टिकट दिया है। नीतीश कुमार की पार्टी ने पिछले दिनों बागियों पर ऐक्शन लिया और गोपाल मंडल समेत 16 नेताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया।
आरजेडी में बगावत
इसी तरह, लालू एवं तेजस्वी की आरजेडी में परिहार सीट से टिकट की मांग कर रहीं रितु जायसवाल बागी हो गईं। उन्होंने निर्दलीय पर्चा भर दिया। रोहतास जिले की डेहरी सीट से राजद के मौजूदा विधायक फतेह बहादुर सिंह का भी टिकट आरजेडी ने काट दिया। उन्होंने इसी सीट से चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी के टिकट पर ताल ठोक दी है।
कटिहार में राजद के बागी से मुकेश सहनी की वीआईपी को चुनौती
कटिहार विधानसभा सीट राजद ने इस चुनाव में मुकेश सहनी की वीआईपी को दे दी। इससे नाराज होकर 3 बार विधायक रह चुके राम प्रकाश महतो ने राजद से बगावत कर ली और निर्दलीय चुनाव में उतर गए। यहां से वे लगातार चार बार के विधायक एवं भाजपा के पूर्व डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद के खिलाफ ताल ठोक रहे हैं।
इन नेताओं ने पाला बदलकर बढ़ाई दलों की टेंशन
सारण जिले की परसा सीट पर राजद के विधायक छोटे लाल राय ने पाला बदल दिया और जदयू में शामिल हो गए। नीतीश की पार्टी ने उन्हें परसा से इस चुनाव में प्रत्याशी बनाया है। उनका मुकाबला राजद की प्रत्याशी करिश्मा राय से है, जो लालू यादव के बेटे तेज प्रताप की साली हैं।
मुजफ्फरपुर जिले की गायघाट सीट से पूर्व विधायक महेश्वर यादव इस चुनाव में टिकट न मिलने पर जेडीयू से बगावत कर ली। वे अपने बेटे प्रभात किरण के साथ राजद में चले गए। अब दोनों पिता-पुत्र गायघाट में घूम-घूमकर आरजेडी का प्रचार कर रहे हैं।
बांका से जेडीयू के सांसद गिरिधारी यादव के बेटे चाणक्य प्रकाश रंजन राजद में चले गए। तेजस्वी ने उन्हें राजद के टिकट पर बेलहर सीट से चुनावी मैदान में उतारा है।
पूर्णिया से जेडीयू के सांसद रह चुके संतोष कुशवाहा विधानसभा चुनाव से ठीक पहले आरजेडी में चले गए। तेजस्वी ने उन्हें धमदाहा सीट पर मंत्री लेशी सिंह के सामने उतार दिया है।
भाजपा को भी बागियों से चिंता
भाजपा ने मुंगेर सीट से कुमार प्रणय के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले बागी कृष्णा मंडल को 6 साल के लिए पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। छपरा में पूर्व मेयर राखी गुप्ता ने टिकट न मिलने पर भाजपा से बगावत कर ली और अब निर्दलीय चुनाव लड़ रही हैं। भोजपुर जिले की बड़हरा सीट से सूर्यभान सिंह ने भाजपा से बगावत कर निर्दलीय पर्चा भरा है।





