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शब-ए-बारात : इबादत की रात

-बंदों पर रहती है अल्लाह की खास नजर-ए-रहमत पूर्णिया। हिन्दुस्तान संवाददाता 15 शाबान की...

शब-ए-बारात : इबादत की रात
हिन्दुस्तान टीम,पूर्णियाSun, 28 Mar 2021 03:53 AM
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पूर्णिया। हिन्दुस्तान संवाददाता

15 शाबान की रात यानी शब-ए-बारात इल्लाह की इबादत और मगफिरत की रात है। इस साल अल्लाह अपने बंदों पर खास नजर रखते हैं। ये रात जागने की रात है, इबादत करने की रात है और अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगने की रात है। इस रात लोग इबादत करें, कुरान की तिलावत करें तो अच्छा लेकिन आतिशबाजी और सड़कों पर घूमना फिरना कहीं से वाजिब नहीं है।

27 मार्च और 28 मार्च 2021 की दरम्यानी रात 15वीं शाबान की रात है। इस रात मुस्लिम समुदाय के लोग रात भी जाग कर खुदा की इबादत करते हैं, कब्रिस्तान में जाकर अपने बुजुर्गों के लिए दुआ मांगते हैं। सज्जादिया मस्जिद के इमाम मुफ्ती खालिद नदीम मजाहिरी शब-ए-बारात को लोग इबादत के नाम पर जागते हैं। लोग घरों और मस्जिदों में कुरआन शरीफ की तिलावत करते हैं और नमाज पढते हैं। इसके अलावा कुछ नौजवान जागने के नाम पर सिर्फ जागते हैं। सड़कों पर इधर उधर फिरते हैं, गपशप करते हैं। कुछ लोग तो आतिशबाजी भी करते हैं। जिसका जिक्र कहीं भी हदीस में नहीं है। खालिद कहते हैं कि शब-ए-बारात की रात और शाबान के महीने में लोगों को नेकी करने से ज्यादा गुनाहों से बचने की फिक्र करनी चाहिए। हदीस के हवाले से वो कहते हैं कि इस रात अल्लाह की खास नजरे रहमत अपने बंदों पर रहती है। वो अपने बंदों की गुनाहों को माफ करते हैं। हदीस में आया है कि इन दिनों हुजूर रोजे रखते थे। एक वो कब्रिस्तान भी गए थे। इसलिए लोगों को जाना चाहिए लेकिन हुजुम की शक्ल में जाना सही नहीं है।

अमन और भाईचारे के साथ मनाएं पर्व : अंजुमन

अंजुमन इस्लामिया के अध्यक्ष हुसैन इमाम उर्फ लाल सर ने शहर के लोगों से अपील किया है कि इस साल होली और शब-ए-बारात का पर्व एक साथ आया है। हम सब को शांति और भाईचारगी का मिसाल पेश करना है। किसी को ठेस पहुंचाएं बिना ज्योहार मनाएं। लाल सर ने कहा कि हर कोई कोरोना के नियमों का पालन अवश्य करे। बेजा आतिशबाजी नहीं करें। कब्रिस्तान जाते वक्त कोशिश करें कि भीड़ इकट्ठी नहीं हो।

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