Rising Cases of Hepatitis B in Purnia Urgent Need for Awareness and Precaution हेपेटाईटिस बी के हर महीना औसतन मिल रहे पांच रोगी, Purnia Hindi News - Hindustan
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हेपेटाईटिस बी के हर महीना औसतन मिल रहे पांच रोगी

-हिन्दुस्तान पड़ताल : पूर्णिया, हिन्दुस्तान संवाददाता। राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल में अलग-अलग जगहों पर रक्त की जांच होती है। इस जांच में

Newswrap हिन्दुस्तान, पूर्णियाSat, 28 Dec 2024 01:31 AM
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हेपेटाईटिस बी के हर महीना औसतन मिल  रहे पांच रोगी

पूर्णिया, हिन्दुस्तान संवाददाता। राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल में अलग-अलग जगहों पर रक्त की जांच होती है। इस जांच में संक्रमित रोग की पहचान होती है। इनमें खासतौर से हेपेटाईटिस बी के रोगी की संख्या अधिक पायी जाती है। इन दिनों यह संख्या यहां लगातार इजाफा हो रहा है। जीएमसीएच स्थित ब्लड सेंटर में पिछले एक वर्ष में 8800 सौ रक्त की जांच की गई। इस रक्त जांच में प्रत्येक माह पांच से छह हेपेटाईटिस बी के रोगी के आंकड़े सामने आए हैं। ऐसे में हेपेटाईटिस बी के रोगी को संक्रमण से बचाव के लिए जागरुकता जरूरी है। चिकित्सक की मानें तो यह रोग सामने आने के बाद सावधानी जरूरी हो जाता है। चूकि रोग के सामने आने के बाद संक्रमण को कम करना आवश्यक है। इसके लिए रोगी को चिकित्सक से संपर्क में रहकर उपचार जरूरी है।

-हेपेटाईटिस बी के रोग होने की स्थिति में सावधानी जरूरी:

-जीएमसीएच के ब्लड बैंक प्रभारी डॉ सुजीत मंडल बताते हैं की यह रोग होने की स्थिति में लीवर से जुड़ी परेशानी होती है। इसमें जांडिस की शिकायत होती है। लीवर में दिक्कत होती है। ऐसी स्थिति में पेट में दर्द महसूस होता है। इसलिए रोग सामने आने के साथ सावधानी बनाए रखने की जरूरत है। इसमें संक्रमण के अनुरूप रोगी का उपचार होता है। इसलिए इस तरह के रोगी का वायरल लोड होता है। इसमें सक्रमण की मात्रा देखा जाता है। इसलिए रोगी को अपने रोग के प्रति सतर्क रहने की जरूरत है। रोग बढ़ने की स्थिति में लीवर फेल्योर की परेशानी सामने आ सकती है। कई रोगी का रोग रक्तदान करने से पकड़ में आता है। उन्हें पता नहीं होता है की किसी तरह का संक्रमण है, लेकिन जब रक्तदान होता है तो उसकी रक्त की जांच होती है। इस जांच में यदि किसी तरह का संक्रमण है तो उसका पता चल जाता है। इसलिए रक्तदान भी लोगों को करना चाहिए ताकि किसी तरह संक्रमण भी है तो सामने आ जायेगा। इससे रोग का भी पता चल सकेगा और समय पर उपचार हो सकेगा।

-खान पान में बरतें सावधानी:

-रोग होने की स्थिति में खान पान में मिर्च मसाला से बचें। तैलीय पदार्थ का सेवन नहीं करें। पूरी तरह से शपथपूर्वक कार्य करें। इस रोग में असावधानी से जान जाने का खतरा रहता है। इसलिए सावधानी बनाए रखते हुए योग्य चिकित्सक को दिखाएं। परहेज पर ध्यान दें और घबराएं नहीं, बल्कि पूरी तरह से चिकित्सक की बात मानें तो रोग से छुटकारा पा सकते हैं।

-रोगी की संख्या पर एक नजर:

-राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल के ब्लड बैंक में प्रत्येक दिन रक्त एक्सचेंज या फिर रक्तदान होने की स्थिति में रक्त की पांच प्रकार के संक्रमण की जांच होती है। इस संक्रमण में हेपेटाईटीस बी संक्रमण की भी जांच की जाती है। इनमें एक वर्ष 8800 के लगभग रक्त की जांच की गई है। हेपेटाईटसि बी के जनवरी माह में 2, फरवरी में 2, मार्च में 5, अप्रैल में 5, मई में 9, जून में 7, जुलाई में 7, अगस्त में 5, सितम्बर में 3, अक्टूबर में 4 और नवम्बर में 2 और दिसम्बर माह में 7 हेपेटाईटिस बी के रोगी मिले हैं।

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