
राष्ट्रीय मध्यस्थता अभियान को लेकर अधिवक्ताओं से सीधा संवाद
संक्षेप: पूर्णिया में मध्यस्थता अभियान का आयोजन किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य न्याय को सरल, त्वरित और किफायती बनाना है। अधिवक्ताओं से संवाद के दौरान, न्यायाधीशों ने वादों की जानकारी 18 जुलाई तक देने की अपील...
पूर्णिया, कार्यालय प्रतिनिधि। न्याय को सरल, त्वरित और किफायती बनाने की दिशा में राष्ट्रीय स्तर पर चल रहे मध्यस्थता अभियान को लेकर पूर्णिया में तैयारियों को गति मिल रही है। यह मध्यस्थता अभियान पूर्णिया में न्याय व्यवस्था को गति देने वाला साबित हो सकता है। इसके लिए अधिवक्ता एवं पक्षकार इसमें समान रूप से भागीदार बनें। सोमवार को प्रधान जिलाजज कन्हैयाजी चौधरी के निर्देश पर परिवार न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश राकेश कुमार और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव सुनील कुमार पूर्णिया व्यवहार न्यायालय पहुंचे और अधिवक्ताओं से सीधा संवाद किया। इस दौरान उन्होंने अधिवक्ताओं से 18 जुलाई तक ऐसे वादों की जानकारी देने की अपील की ताकि 28 जुलाई तक इसकी सूची तैयार कर मध्यस्थता केंद्र को सौंपा जा सके।

इस अवसर पर उन्होंने अधिवक्ताओं को मध्यस्थता कानून, प्रक्रिया और राष्ट्रीय अभियान की रूपरेखा से अवगत कराया। इस दौरान अधिवक्ताओं ने भी मध्यस्थता से जुड़े कई व्यावहारिक सवाल उठाए, जिनका अधिकारियों ने स्पष्ट और संतोषजनक उत्तर दिया। बैठक की अध्यक्षता अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष ने की अध्यक्षता बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अवधेश तिवारी ने की। वहीं संघ के सचिव सुमनजी प्रकाश समेत कई वरीय अधिवक्ता भी मौके पर मौजूद रहकर इस अभियान में पूर्ण सहयोग का भरोसा दिया। ...इन वादों का होगा निपटारा: बीते एक जुलाई से शुरू होकर तीन महीने तक राष्ट्रीय मध्यस्थता अभियान, राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली व राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण पटना के निर्देश पर इसका संचालन हो रहा है। यह विशेष अभियान जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, पूर्णिया के माध्यम से पूर्णिया व्यवहार न्यायालय के मध्यस्थता केंद्र में चलाया जा रहा है। इसमें पारिवारिक विवाद, मोटर दुर्घटना मुआवजा वाद, घरेलू हिंसा, एनआई एक्ट (चेक बाउंस), ऋण वसूली, सेवा, व्यापारिक, भूमि अधिग्रहण, उपभोक्ता विवाद, सुलहनीय आपराधिक वाद, बंटवारा सूट आदि का निपटारा होगा। ....अभियान का उद्देश्य: -लंबित मामलों का शीघ्र समाधान -न्यायिक प्रणाली पर बढ़ते बोझ को काम करना -त्वरित, खर्च रहित न्याय उपलब्ध कराना -सामाजिक सौहार्द एवं समझौते की संस्कृति को बढ़ावा

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