इंडो-नेपाल बॉर्डर के नो मेंस लेंड पर पिलर की होगी मरम्मत
केके गौरव, पूर्णिया। इंडो-नेपाल बॉर्डर के अररिया और सुपौल जिला के सीमाई इलाकों...
केके गौरव, पूर्णिया।
इंडो-नेपाल बॉर्डर के अररिया और सुपौल जिला के सीमाई इलाकों में स्थित नो मैंस लैंड पर लगे कुल 851 में से 150 से अधिक जर्जर पिलर का मरम्मत कार्य फरवरी के प्रथम सप्ताह से शुरू होगा। इंडो और नेपाल के गृह मंत्रालय के द्वारा इस मामले में सहमति बन गई है। मरम्मत का कार्य भारतीय सीमा के एसएसबी के द्वारा करवाया जाएगा। इस दौरान नेपाल के एपीएफ की फोर्स भी मौजूद रहेगी। फिलहाल अति जर्जर 150 पीलर के मरम्मत कार्य को लेकर दस लाख से अधिक का बजट रखा गया है। अररिया जिला के बथनाहा, अररिया और सुपौल जिला के वीरपुर कमांडेंट को कई तरह के दिशा निर्देश भी दिए जा चुके हैं। कुछ ऐसे भी पिलर भी हैं जो पिछले कई दशक से मिसिंग है। कुछ पिलर वर्ष 2008 में आए तो कुसहा त्रासदी में नदी में विलीन हो गया है। ऐसे पिलर को भी ढूंढकर वहां पर दोबारा से ऐसे पिलर को रिकंस्ट्रक्ट किया जाएगा। फिलहाल ऐसे जर्जर पिलर का ही मरम्मत कार्य शुरू किया जाएगा जिस पर दोनों देशों के बीच किसी तरह का कोई विवाद नहीं है। सबसे अधिक सुपौल जिला के बीरपुर बटालियन के अंतर्गत 62 पिलर काफी जर्जर स्थिति में है। जिनका मरम्मत कराना काफी आवश्यक है। इसके अलावा अररिया जिला के बथनाहा अंतर्गत आने वाले बटालियन के बसमतिया, घूरना और फुलकाहा बॉर्डर के पास का पिलर भी काफी जर्जर है। इस मामले की मॉनिटरिंग लगातार गृह मंत्रालय के द्वारा की जा रही है। बरसों से इंडो- नेपाल बॉर्डर के सीमाई इलाकों में स्थित जर्जर पिलर के मरम्मत और रिकंस्ट्रक्ट करने को लेकर एसएसबी के द्वारा गृह मंत्रालय के अधिकारियों को लिखा जा रहा था। पिलर मरम्मत करने को लेकर दोनों देशों के बीच सर्वे का कार्य पूरा कर लिया गया है। मरम्मत के दौरान नेपाल एपीएफ के अलावा दोनों देशों के सर्वेयर की टीम भी मौजूद रहेगी।
....नो मेंस लेंड की जमीन पर हो रही है खेती
इंडो-नेपाल बॉर्डर के नो मेंस लेंड पर स्थित पिलर पिछले कई सालों से गायब हैं। पिलर वाले स्थान पर खेती हो रही है। अक्सर दोनों देशों के सुरक्षा कर्मियों के बीच नो मैंस लैंड पिलर को लेकर झड़प भी होती रहती है। नो मेंस लेंड के आसपास काफी अतिक्रमण हाल के वर्षों में हो चुका है। जिस वजह से तस्करी का धंधा भी काफी फल-फूल रहा है। हालांकि इस तरह के तमाम गड़बड़ियों को रोकने को लेकर पिलर को रिकंस्ट्रक्ट करते हुए उनकी मरम्मत करने का कार्य का आदेश गृह मंत्रालय के द्वारा दे दिए गए हैं। कई बार एसएसबी के जवानों के द्वारा नो मैंस लैंड की जमीन पर अतिक्रमण कर दुकान बनाए जाने को लेकर भी लोगों को खदेड़ने काम किया जा चुका है।।
....पिलर के मरम्मती के बाद हटाया जाएगा अतिक्रमण
नो मेंस लेंड की जमीन पर लगातार हो रहे अतिक्रमण को लेकर कई बार सुरक्षा एजेंसियों के द्वारा चिंता जताई जा चुकी है। बताया जाता है कि ऐसे पिलर का मरम्मत और दोबारा से स्थापित होने के बाद दोनों देशों के अधिकारियों की सहमति और देखरेख में अतिक्रमण हटाने का भी काम किया जाएगा। अतिक्रमण रहने की ही वजह से नशा के कारोबार के अलावा कई अन्य तरह की तस्करी का भी धंधा काफी तेजी से सीमाई इलाकों में हो रहा है। इस मामले को लेकर कई बार विदेशी नागरिक तक की भी गिरफ्तारी एसएसबी की टीम के द्वारा की जा चुकी है।
.... सीसीटीवी कैमरा से होगी निगरानी
पिलर की मरम्मत होने के बाद इसकी देखरेख सीसीटीवी कैमरे से होगी। कुछ माह पूर्व गृह मंत्री के आगमन के बाद किशनगंज जिले के आसपास स्थित इंडो-नेपाल के बॉर्डर पर सीसीटीवी कैमरे लगाने का आदेश दिया गया था। इसके अलावा ड्रोन से भी नजर रखने को लेकर कहा गया था। नो मैंस लैंड पर स्थित पिलर की मरम्मती के बाद उसकी सतत निगरानी एसएसबी के जवानों के द्वारा की जाएगी। जिन जगहों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे वहां पर विशेष रूप से जवानों को भी तैनात किया जाएगा।
.... नो मैंस लैंड पर लगे जर्जर पिलर का होगा मरम्मत
इंडो-नेपाल के सीमाई इलाकों पर स्थित नो मैंस लैंड के पिलर का मरम्मत होगा। ऐसे 851 पिलर को चिन्हित किए गए हैं। जिनमें से 150 जर्जर पिलर को 10 लाख से अधिक की लागत से दुरुस्त किया जाएगा। गायब हुए पिलर को भी दोबारा से रिकंस्ट्रक्ट किया जाएगा। इस दौरान नेपाल के एपीएफ की टीम में तैनात रहेगी। फिलहाल बिना विवाद वाले जगहों पर से ही पिलर मरम्मत का काम शुरू किया जाएगा। दोनों देशों के बीच पिलर मरम्मत को लेकर सर्वे का काम पूरा कर लिया गया है।
-संजय कुमार सारंगी, एसएसबी, डीआईजी पूर्णिया।
