एक लाख से अधिक की आबादी नाव के सहारे आवागमन करने को मजबूर
एक लाख से अधिक की आबादी नाव के सहारे आवागमन करने को मजबूर
अमौर विधानसभा क्षेत्र की एक लाख से अधिक की आबादी आज भी नाव के सहारे ही आवागमन करने को मजबूर है। आजादी के बाद भी यहां की आबादी को प्रखंड मुख्यालय समेत अन्य जगहों पर जाने के लिए आवागमन का एकमात्र सहारा नाव ही है। कनकई नदी के उस पार अमौर के दो पंचायत खाड़ी महीनगाव एवं हफनिया पंचायत, बैसा प्रखंड का सिरसी एव कंफलिया पंचायत है। यहां के दर्जनों गांव के लोग रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए कभी रौटा बाजार तो कभी प्रखंड मुख्यालय जाते हैं। हालांकि प्रखंड मुख्यालय तक जाने के लिए सड़क मार्ग है पर लंबी दूरी रहने के कारण अधिकांश लोग इस सड़क मार्ग का उपयोग नहीं कर नाव के सहारे ही आवागमन करना ज्यादा पसंद करते हैं। ग्रामीण मो. दिलबर आलम, मो. अनीसुर रहमान, शंभू राय, दिलीप दास, मो. तोहिद, मो. जुबेर, इदरीश, सुनील, विक्की आदि ने बताया कि सड़क मार्ग से होकर रौटा बाज़ार आने के लिए तीस किलोमीटर एवं अमौर प्रखंड़ मुख्यालय तक आने के लिए चालीस किलोमीटर से भी अधिक की दूरी तय करनी पड़ती है। जबकि बगल में बह रही कनकई नदी पर होने नाव के परिचालन के सहारे यह दूरी घटकर पांच से सात किलोमीटर की हो जाती है। बरसात का मौसम शुरू होते ही यह मार्ग पूरी तरह से बंद हो जाता है। खासकर बीमार व्यक्ति को जब तुरंत अस्पताल ले जाने की बात सामने आती है तो न चाहते हुए रोगी को लंबी दूरी तक तकलीफ सहना पड़ता है। जिला परिषद सदस्य असरारुल हक एवं समाजसेवी मो. अफरोज आलम बताते है कि आज़ादी के बाद से अब तक न जाने कितने जनप्रतिनिधि आए लेकिन यहां की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। लंबे संघर्ष के बाद साल 2012 में कनकई नदी के खाड़ी घाट पर खाड़ी पुल का निर्माण कार्य शुरू होने से लोगो की उम्मीद जग उठी। लेकिन आज आठ वर्ष पूरे हो चुके है और पुल निर्माण कार्य पूर्ण नहीं हुआ है। विभाग ने संवेदक को काली सूची में डालते हुए इस पुल के शेष बचे हुए कार्य को पूरा करने के लिए दोबारा टेंडर निकलाने की बात अवश्य कह रही है। उन्होंने आम लोगों को वर्षो से हो परेशानियों की सुधि के लिए अधिकारिरयों से की मांग की है।