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विलुप्त हो रही लोककला को दिया जीवित रखने का संदेश

राज्य स्तरीय युवा उत्सव के दूसरे दिन कलाभवन के सुधांशु रंगशाला में आयोजित नाटक प्रतियोगिता के दूसरे दिन 15 से अधिक नाटकों को मंचन किया गया। इन मंचित नाटकों में कलाकारों ने जहां विलुप्त हो रही लोक...

विलुप्त हो रही लोककला को दिया जीवित रखने का संदेश
हिन्दुस्तान टीम,पूर्णियाWed, 13 Dec 2017 11:39 PM
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राज्य स्तरीय युवा उत्सव के दूसरे दिन कलाभवन के सुधांशु रंगशाला में आयोजित नाटक प्रतियोगिता के दूसरे दिन 15 से अधिक नाटकों को मंचन किया गया। इन मंचित नाटकों में कलाकारों ने जहां विलुप्त हो रही लोक कला को जीविंत रखने का संदेश दिया वहीं कई सामाजिक कुरितियों को समाज से दूर करने का संदेश दिया।

पूर्णिया की चर्चित संस्था कलाभवन नाट्य विभाग के कलाकारों ने कोसी क्षेत्र की चर्चित कहानी अखिलेश अखिल कृत नाटक मृदगिंया का मंचन किया। नाटक का निर्देशन अंजनी श्रीवास्तव ने किया। नाटक में मृदंग जैसी पारंपरिक परम्परा जो अब हमारे समाज से विलुप्त हो रही है उसे आगे बढ़ाने और जीविंत रखने का संदेश दिया गया। नाटक में मुख्य रुप से पात्रों में मुख्य भुमेसर की भूमिका में आशिष दूबे, बुचिया अन्नु कुमारी, गैजु अंजनी श्रीवास्तव, जैलू अमित झा, भगैत संजय कुमार, धम्मा शिवाजी राव, जगरनाथ राजरौशन, बधैया अमित कुंवर, गोधनपरनी खुशबू कुमारी, ग्रामीण नितेश कुमार ने निभाया।

संगीत भूपनारायण रजक और चांदनी शुक्ला ने दी। समस्तीपूर की टीम ने नाटक पंच परमेश्वर का मंचन किया। मुंशी प्रेमचन्द की कहानी का नाट्य रुपांतरित इस कहानी को मंचित करने में कलाकारों ने अच्छी भूमिका निभाई। नाटक का निर्देशन पल्लवीश्री व अभिषेक ने किया। पटना से आयी किलकारी की टीम ने नमस्कार जी नमस्कार नाटक का मंचन किया। मंचित नाटक में कलाकारों ने बच्चों के बाल अधिकार, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओं का संदेश दिया। भागलपुर की टीम ने नाटक मुर्दे में जान का मंचन किया। नाटक में नशा से उत्पन्न स्थितियों को दर्शाया गया था।

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