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गोवर्धन पूजा पर गोवंश के साथ हुई श्रीकृष्ण की पूजा.

दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। इसे अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है। गोवर्धन पूजा के दिन भगवान कृष्ण, गोवर्धन पर्वत और गायों की पूजा का विधान है। इतना ही नहीं पूजा के दौरान 56 या 108...

गोवर्धन पूजा पर गोवंश के साथ हुई श्रीकृष्ण की पूजा.
हिन्दुस्तान टीम,पूर्णियाTue, 29 Oct 2019 12:50 AM
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दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। इसे अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है। गोवर्धन पूजा के दिन भगवान कृष्ण, गोवर्धन पर्वत और गायों की पूजा का विधान है। इतना ही नहीं पूजा के दौरान 56 या 108 तरह के पकवान बनाकर भगवान श्रीकृष्ण को भोग लगाया जाता है। इन पकवानों को अन्नकूट कहा जाता है। सोमवार को गोवर्धन पूजा के अवसर पर आस्था व उत्साह के साथ गोवंश के साथ भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत की पूजा की गयी।

गोवर्धन पूजा कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाई जाती है। ऐसी मान्यता है कि ब्रजवासियों की रक्षा के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी दिव्य शक्ति से विशाल गोवर्धन पर्वत को छोटी अंगुली में उठाकर हजारों जीव-जतुंओं और इंसानी जिंदगियों को भगवान इंद्र के कोप से बचाया था। भगवान कृष्ण ने देव राज इन्द्र के घमंड को चूर-चूर कर गोवर्धन पर्वत की पूजा की थी। इस दिन लोग अपने घरों में गाय के गोबर से गोवर्धन बनाते हैं और पूजा कर उसकी परिक्रमा करते हैं। तरह-तरह के पकवानों से भगवान श्रीकृष्ण की पूजा का विधान है। मान्यताओं के मुताबिक भगवान श्रीकृष्ण के अवतार के बाद द्वापर युग से अन्नकूट और गोवर्धन पूजा की शुरुआत हुई है। सोमवार को गोवर्धन पूजा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर श्रद्धालुओं ने शरीर पर तेल लगाने के बाद स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण किया। इसके बाद अपने ईष्ट देवता का ध्यान किया। इसके बाद घर के मुख्य दरवाजे के सामने गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत श्रद्धालुओं ने बनायी। इस पर्वत को पौधों, पेड़ की शाखाओं और फूलों से सजाया गया। गाय के गोबर से बने गोवर्धन पर्वत पर अपामार्ग की टहनियां लगाने का अलग महत्व है। पूजा के दौरान श्रद्धालुओं ने पर्वत पर रोली, कुमकुम, अक्षत और फूल अर्पित की। घर के गाय को स्नान कराकर उनका शृंगार किया गया। फिर रोली, कुमकुम, अक्षत और फूल गाय को अर्पित किया गया। जिन श्रद्धालुओं के पास अपनी गाय नहीं थी, ऐसे श्रद्धालुओं ने आसपास की गायों की पूजा की। घरों में श्रद्धालुओं ने गाय की तस्वीर की भी पूजा की। पूजा के दरमियान गोवर्धन पर्वत और गायों को भोग लगाकर आरती उतारी गयी। जिन गायों की पूजा सुबह में की है, शाम के समय उस गाय से गोबर के गोवर्धन पर्वत का मर्दन कराया गया। मर्दन के उपरांत उस गोबर से घर-आंगन को लीपा पोछा गया। पूजा के बाद गोवर्धन पर्वत की सात बार परिक्रमा की गयी। श्रद्धालुओं ने इंद्र, वरुण, अग्नि और भगवान विष्णु की पूजा के साथ हवन भी किया।

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