फाल आर्मी वर्म 80 से अधिक पौधों को पहुंचाता है नुकसान करता है
पूर्णिया। हिन्दुस्तान संवाददाता भोला पासवान शास्त्री कृषि कॉलेज में चल रहे कृषि उपादान विक्रेताओं...

फाल आर्मी वर्म 80 से अधिक पौधों को पहुंचाता है नुकसान करता है
पूर्णिया। हिन्दुस्तान संवाददाता
भोला पासवान शास्त्री कृषि कॉलेज में चल रहे कृषि उपादान विक्रेताओं के लिए समेकित पोषक तत्व प्रबंधन विषय पर 15 दिवसीय सर्टिफिकेट कोर्स 11वें एवं 12वें दिन तकनीकी सत्र का आयोजन नोडल पदाधिकारी डॉ. पंकज कुमार यादव द्वारा किया गया। कॉलेज के प्राचार्य डॉ. पारस नाथ ने चल रहे प्रशि़क्षण कार्यक्रम में प्रशिक्षणर्थियों से फीडबैक लिया। डॉ. पंकज कुमार यादव ने इस मौके पर कि 15 दिन के निर्घारित कार्यक्रम में पाठ्यक्रम को पूरा करने के लिए 32 सैद्धांतिक कक्षाएं एवं 12 प्रायोगिक कक्षाओं के साथ-साथ प्रक्षेत्र एवं संस्थाओें का भ्रमण निहित है। जिसके लिए बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर की विभिन्न संस्थाओं से मृदा विशेषज्ञों के द्वारा व्याख्यान दिया गया।
कार्यक्रम के तकनिकी सत्र में प्राचार्य डॉ. पारस नाथ ने फॉल आर्मी वर्म को पहचानना, प्रभावित फसल में दवाओं की संस्तुतित मात्रा के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी। फाल आर्मी वर्म 80 से अधिक पौधों की प्रजातियों के पत्तों और तनों पर बड़ी संख्या में झुण्ड में रहकर उसे खाते हैं। यह कीट मुख्यतः मक्का के साथ घास कुल के अन्य फसलों जैसे ज्वार, बाजरा, गन्ना, धान के अलावे सरसों एवं कपास की फसल को काफी नुकसान पहुंचाते हैं। बिहार कृषि महाविद्यालय, सबौर के मृदा विशेषज्ञ डॉ. ए. के. झा के द्वारा तकनीकी सत्र में प्रतिभागियों को वर्मी कम्पोस्ट एवं एजोला जानकारी प्रदान की गयी। केंचुआ खाद पर चर्चा करते हुए बताया कि यह प्रकृति द्वारा प्रदत्त ऐसा जीव है जिसे प्राकृतिक हलवाहा के नाम से भी जाना जाता है। इसलिए केंचुआ के खाद एवं केचुआ का खेत स्तर पर प्रयोग की विधि अत्यन्त आसान है। इसको खेत में बुआई के समय एक समान रुप से बुरक कर प्रयोग किया जाता है। बिहार कृषि महाविद्यालय, सबौर के मृदा विशेषज्ञ डॉ. घनष्याम द्वारा मृदा स्वास्थ्य कार्ड के उपयोगिता के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई। उन्होंने बताया कि मृदा स्वास्थ्य कार्ड क्या है, मृदा स्वास्थ्य कार्ड की प्रमुख विशेषताएं क्या हैं, मृदा स्वास्थ्य कार्ड को अपनाने के फायदे क्या हैं और मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना कैसे काम करती है। इस कार्यक्रम में कॉलेज के अन्य वैज्ञानिक डॉ. पंकज कुमार यादव, डॉ. अनिल कुमार, श्री जे. पी. प्रसाद एवं कर्मचारियों आदि ने अपना सहयोग प्रदान किया।
