Hindi Newsबिहार न्यूज़पूर्णियाChhath Puja Begins Rising Prices of Ritual Items Amid Festive Preparations

महापर्व छठ की तैयारी शुरु, खरीदारी में जुटे श्रद्धालु

-फोटो-पूर्णिया पूर्व, एक संवाददाता। आस्था का महापर्व छठ नहाय खाय के साथ शुरू हो गया। सूर्योपासना के इस महापर्व की तैयारी पूरे जिले में शुरू हो चुकी है

Newswrap हिन्दुस्तान, पूर्णियाTue, 5 Nov 2024 12:24 AM
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पूर्णिया पूर्व, एक संवाददाता। आस्था का महापर्व छठ नहाय खाय के साथ शुरू हो गया। सूर्योपासना के इस महापर्व की तैयारी पूरे जिले में शुरू हो चुकी हैं। श्रद्धालु छठ पूजा मे लगने वाले सामान की खरीदारी में जुट गए है। हाट-बाजारों में चहल पहल बढ़ गयी है। बाजारो में सुप, टोकरी, नारियल, केला एवं पूजा सामग्रियों के दुकान सज गयी है। श्रद्धालु भी खरीदारी करने में व्यस्त हो गये हैं। पिछले दो-तीन वर्षो के अनुपात में इस बार पूजन साम्रगी की कीमतों में काफी उछाल है। इसके बावजूद छठव्रती खरीददारी से पीछे नहीं हट रहे हैं। सुप-टोकरी, टाभ नींबू में सबसे ज्यादा कीमतो में उछाल है। खुश्कीबाग, गुलाबबाग, फोर्ड कम्पनी चौक, मधुबनी चौक, अंदेली हाट, हरदा, रानीपतरा, मंझेली पर पूजन सामग्री की दुकानें सजी हुई हैं। श्रद्धालु अपने अपने पसंद और कीमत के अनुसार खरीदारी कर रहे हैं।

छठ व्रत की पौराणिक कथा:

छठ व्रत के सम्बन्ध में अनेक कथाएँ प्रचलित हैं उनमें से एक कथा के अनुसार जब पांडव अपना सारा राजपाठ जुए में हार गये, तब भगवान श्रीकृष्ण द्वारा बताये जाने पर द्रौपदी ने छठ व्रत रखा। उनकी सारी मनोकामनाएं पूरी हुईं तथा पांडवों को राजपाठ वापस मिल गया। छठ पर्व को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो षष्ठी तिथि (छठ) को एक विशेष खगोलीय परिवर्तन होता है। श्रद्धा भाव से व्रत करने पर नि:संतान को संतान सुख की प्राप्ति होती हैं और धन-धान्य की प्राप्ति होती है। उपासक का जीवन सुख-समृद्धि से परिपूर्ण रहता है। छठ षष्ठी का अपभ्रंश है। कार्तिक मास की अमावस्या को दीवाली मनाने के बाद मनाये जाने वाले इस चार दिवसीय व्रत की सबसे कठिन और महत्वपूर्ण रात्रि कार्तिक शुक्ल षष्ठी की होती है। कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को यह व्रत मनाये जाने के कारण इसका पर्व का नाम ‘नामकरण छठ व्रत पड़ा।

.....छठ लोक आस्था का पर्व :

बिहार में छठ सूर्योपासना के लिए प्रसिद्ध पर्व है। सूर्य षष्ठी व्रत होने के कारण इस महापर्व को छठ कहा गया है। लोक परम्परा के अनुसार सूर्यदेव और छठी मइया का सम्बन्ध भाई-बहन का है। लोक मातृका षष्ठी की पहली पूजा सूर्य ने ही की थी। छठ उत्सव में छठ व्रत एक कठिन तपस्या की तरह है। यह व्रत अधिकतर महिलाओं द्वारा किया जाता है इसे कुछ पुरुष भी रखते हैं। चार दिनों के इस व्रत में व्रती को लगातार उपवास करना होता है। भोजन के साथ ही सुखद शैय्या का भी त्याग किया जाता है। इस उत्सव में शामिल होने वाले लोग नये कपड़े पहनते हैं। महिलाएं साड़ी और पुरुष धोती पहनकर छठ करते हैं।

रेट चार्ट :

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....छठ पूजन सामग्री का बाजार भाव:

-पिछले वर्ष----------------वर्तमान वर्ष

नारियल 50 से 70 रुपया जोड़ा 50 रूपया पीस

सुप 100 रुपया जोड़ा। 150 पीस

टोकरी 100 से 140 रुपया 250 रूपया

केला 150 से 200 रुपया 350 से 400 रुपया

कद्दू 30 रूपया पीस 50 रुपया से अधिक

डाब नींबू 10 रुपया पीस 50 रुपया

गन्ना 20 रुपया पीस 50 रुपया

सिगांरा (पानी फल)150 किलो 200 रुपया

सेब 100 से 150 रुपया किलो 150 से 200 रुपया

संतरा 100 से 150 रूपया किलो 150 से 200 रुपया

खीरा 50 से 60 रुपया किलो 60 से 90 रुपया

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