महिला को डायन कहकर प्रताड़ित करना गंभीर अपराध
पूर्णिया में डायन प्रथा और सरकारी योजनाओं के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए महादलित टोलों में नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया जा रहा है। इसका उद्देश्य समाज में फैले अंधविश्वास और महिलाओं पर होने वाले...

पूर्णिया, हिन्दुस्तान संवाददाता। डायन प्रथा जैसी कुरीतियों के खिलाफ और सरकार की जन-कल्याणकारी योजनाओं के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए पूर्णिया जिला के चिन्हित महादलित टोलों में रुटचार्ट के अनुसार नुक्कड़ नाटक कार्यक्रम का आयोजन कराया जा रहा है। नुक्कड़ नाटक कार्यक्रमों का आयोजन जिला पदाधिकारी अंशुल कुमार के दिशा निर्देश एवं मार्गदर्शन में रूट चार्ट के अनुसार हो रहा है। मंगलवार को जिला के चिन्हित 9 महादलित टोलों में जयनगरा मुसहरी वार्ड-5, ओरलाहा गांधीनगर वार्ड-5, औराही वार्ड-5, देवी नगर मोचराहा संथाली टोला वार्ड नंबर -13, दिरा मुसहरी वार्ड नंबर -7, पटना रहिका वार्ड नंबर-5, मरवा चौपाल टोला वार्ड नंबर -11, चौपाल मरवा टोला वार्ड नंबर -10 एवं सठियारा वार्ड-3 अनुसूचित जाति/ महादलित टोलों में नुक्कड़ नाटक कार्यक्रम के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
इस पहल का मुख्य उद्देश्य नुक्कड़ नाटक के माध्यम से सहजता से समाज में फैली अंधविश्वास और डायन प्रथा के कारण महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों को समाप्त करना है। कार्यक्रम के दौरान कलाकारों ने नुक्कड़ नाटक के जरिए बताया कि कैसे यह प्रथा निर्दोष महिलाओं को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित करती है। नुक्कड़ नाटक में सरकारी प्रयासों और कानूनों की जानकारी भी दी जा रही है। जिससे लोग इस कुप्रथा के प्रति जागरूक हो सकें। विशेष रूप से बिहार में लागू डायन प्रथा निवारण अधिनियम 1999 के बारे में विस्तार से जानकारी नुक्कड़ नाटक के माध्यम से दी जा रही है। इस कानून के तहत, किसी भी महिला को 'डायन' कहकर प्रताड़ित करना या जादू-टोना के नाम पर उसे नुकसान पहुँचाना एक गंभीर अपराध है। यदि कोई व्यक्ति किसी महिला को डायन कहता है, या इस कार्य में किसी भी तरह से उकसाता है या सहायता करता है, तो उसे 3 महीने तक की जेल या 1,000 रुपये का जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं कि विस्तृत जानकारी नुक्कड़ नाटक के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जा रहा है। यदि कोई शारीरिक या मानसिक प्रताड़ना का दोषी पाया जाता है, तो उसे 6 महीने तक की जेल या 2,000 रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। इस अधिनियम के तहत सभी अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती होते हैं, जिसका अर्थ है कि पुलिस बिना वारंट के आरोपी को गिरफ्तार कर सकती है और जमानत आसानी से नहीं मिलती।
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