Hindi Newsबिहार न्यूज़Prashant Kishore in support of division in SC ST reservation said Court should decide on creamy layer also

एससी-एसटी आरक्षण में बंटवारे के समर्थन में प्रशांत किशोर, बोले- क्रीमी लेयर पर भी फैसला दे कोर्ट

एससी-एसटी आरक्षम में सब क्लीसीफिकेशन के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का प्रशांत किशोर ने स्वागत किया है। और कहा कि वो इस निर्णय के पक्ष में है। क्योंकि इसको लेकर बीते 15 सालों से कई राज्यों में लोग बात कर रहे थे। जन सुराज और मैं खुद आरक्षण में उप वर्गीकरण के पक्ष में हैं।

एससी-एसटी आरक्षण में बंटवारे के समर्थन में प्रशांत किशोर, बोले- क्रीमी लेयर पर भी फैसला दे कोर्ट
sandeep लाइव हिन्दुस्तान, पटनFri, 9 Aug 2024 12:46 PM
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जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने एक मीडिया संस्थान को दिए इंटरव्यू में कहा कि वो खुद और जनसुराज दलित आरक्षण के भीतर कोटे में कोटे के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पक्ष में हैं। इससे अब कोई वर्ग नाराज हो, इसकी चिंता उन्हें नहीं है। साथ ही प्रशांत किशोर ने कहा कि क्रीमी लेयर पर भी कोर्ट को अपना फैसला देना चाहिए। उन्होने कहा कि दलितों में फैसले का विरोध उप वर्गीकरण से ज्याया क्रीमी लेयर को लेकर है।

जन सुराज के संस्थापक और राजनीतिक रणवनीतिकार प्रशांत किशोर ने कहा कि बीते 10 सालों से देश के कई हिस्सों में आरक्षण में उप वर्गीकरण की बात चलती आई है। यूपीए की दूसरे टर्म सरकार में जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे, तो उन्होने ओबीसी में सब-क्लासीफिकेशन के लिए कमेटी भी बनाई। 2019 के बाद बीजेपी की मोदी सरकार ने उसको संवैधानिक दर्जा भी दिया। कई राज्यों आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु में लोग सब क्लीफिकेशन की बात कर रहे हैं। उन्होने साफ किया कि वो और जन सुराज वैचारिक तौर से रिजर्वेशन में सब क्लासीफिकेशन के पक्ष में हैं।

पीके ने कहा कि ओबीसी बहुत बड़ा समाज है, बिहार में 5 करोड़ से ज्यादा ईबीसी के सारे लोग एक स्थिति के नहीं हैं। सब क्लीफिकेशन की शुरूआत हमने नहीं की है। कभी कर्पूरी ठाकुर ने की, कभी नीतीश कुमार ने की, दलित, महादलित बनाया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर दलित समाज में जो विरोध है, वो उप वर्गीकरण से ज्यादा क्रीमी लेयर को लेकर है। उन्होने कहा कि 2025 में जन सुराज को मौका मिला तो बिहार में शराबबंदी एक घंटे के अंदर बंद कर देंगे। भूमि सुधार की बात जिस तरह से बीते दो सालों से हमने की है, वैसे किसी ने की। हमें वोटों की चिंता नहीं, सवर्ण नाराज होते हैं, तो हों। महिला का वोट मिले ना मिले हमें चिंता नहीं है। लेकिन गलत नहीं बोलेंगे। हम आरक्षण में सब क्लासीफिकेशन के पक्ष में है, उससे कोई वर्ग नाराज हो, मुझे चिंता नहीं है।

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प्रशांत किशोर ने ये भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय क्रीमी लेयर के नजरिए से उन्होने नहीं देखा है। लेकिन उप वर्गीकरण के पक्ष में हूं। सब- क्लासीफिकेशन का मतलब है कि दलित समाज में जो अन्य जातियां हैं। मुहसर, भुइंया, डोम, मेहतर उनका आरक्षण कैसे हो। क्रीमी लेयर है कि पासवानों में जो ऊपर पहुंच गया, क्या उसे निकाला जाए। दोनों अलग-अलग बातें हैं।

उन्होने कहा कि मैं सब क्लीफिकेशन के पक्ष में हूं, क्रीम लेयर होना चाहिए, नहीं होना चाहिए, कितना होना चाहिए, उसका मापदंड क्या है। ये बहस का मुद्दा है। कोर्ट को उस पर निर्णय देना चाहिए। कोर्ट ने भी ये स्पष्ट तौर पर नहीं कहा कि क्रीमा लेयर का मापदंड क्या हो। ओबीसी में पूरा पैरामीटर बना हुआ है। लेकिन दलित आरक्षण में एक तरह से ओपन छोड़ दिया है। हम सब क्लासीफिकेश के पक्ष में है।

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