
मंगल पांडेय ने दिलीप जायसवाल से 25 लाख लेकर फ्लैट खरीदा, प्रशांत किशोर ने फोड़ा नया बम
संक्षेप: प्रशांत किशोर ने बिहार भाजपा के नेताओं पर भ्रष्टाचार का नया आरोप लगाया है। पीके ने दावा किया कि स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल से 25 लाख रुपये कथित घूस ली थी और उससे दिल्ली में पत्नी के नाम पर फ्लैट खरीदा।
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले जुन सुराज पार्टी के सूत्रधार प्रशांत किशोर भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। पीके ने अब भाजपा नेताओं पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए नया बम फोड़ा है। उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल से साल 2019 में 25 लाख रुपये घूस ली थी। पांडेय ने इन रुपयों का इस्तेमाल कर दिल्ली के द्वारका में पत्नी के नाम पर फ्लैट खरीदा था। इसके बदले में जायसवाल के किशनगंज स्थित मेडिकल कॉलेज को डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा दिया गया।
प्रशांत किशोर ने पटना में गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए बिहार भाजपा के दो बड़े नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए। पीके ने कहा कि कोरोना काल के समय जब बिहार महामारी से जूझ रहा था, तब उस समय के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय दिल्ली में फ्लैट खरीद रहे थे। उन्होंने आरोप लगाया कि यह फ्लैट दिल्ली के द्वारका सेक्टर 6 में मंत्री की पत्नी उर्मिला पांडेय के नाम पर कुल 86 लाख रुपये में खरीदा गया।
जायसवाल ने 25 लाख मंगल पांडेय के पिता के खाते में भेजे- पीके
जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने दावा किया कि 6 अगस्त 2019 को दिलीप जायसवाल के बैंक खाते से 25 लाख रुपये मंगल पांडेय के पिता अवधेश पांडेय के अकाउंट में ट्रांसफर किए गए थे। अवेधश पांडेय ने यह पैसा अपनी बहू उर्मिला के अकाउंट में भेजा, फिर इसका इस्तेमाल दिल्ली वाले फ्लैट को खरीदने में लगाया गया। पीके ने यह भी दावा किया कि मंगल पांडेय की फ्लैट खरीद के जो कागज हैं उनमें दिलीप जायसवाल बतौर गवाह भी बने हुए हैं।
प्रशांत किशोर ने आरोप लगाया कि भाजपा के लोग अपने नेताओं से भी रिश्वत ले रहे हैं। उन्होंने कहा, “दिलीप जायसवाल के किशनगंज में स्थित एमजीएम मेडिकल कॉलेज के पास 2019 तक डिग्री देने का अधिकार नहीं था। तब तक मधेपुरा की यूनिवर्सिटी की डिग्री दी जाती थी। ऐसा लगता है कि यह पैसा (25 लाख) लेने के बाद 2019 में कथित घूस की एवज में जायसवाल के मेडिकल कॉलेज को डीम्ड यूनिवर्सिटी बना दिया गया, जो अब खुद डिग्री देने लगा है।”





