पितृपक्ष श्राद्ध 17 सितंबर से, गया में अभी से होटलों की बुकिंग शुरू; पंडे करा रहे पूरी व्यवस्था
विष्णुनगरी गया में पितृपक्ष मेला (श्राद्ध) के दौरान पिंडदान के लिए अभी से बुकिंग शुरू हो गई है। अपने पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए बड़ी संख्या में लोग गया पहुंचते हैं। यहां के पंडे श्रद्धालुओं के लिए सभी तरह की व्यवस्था करवा रहे हैं।
पितृपक्ष मेला-2024 की शुरुआत 17 सितंबर से होगी। एक पखवाड़े तक चलने वाले पितृपक्ष मेले में श्राद्ध के दौरान पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए देश-विदेश से पिंडदानी आएंगे। त्रिपाक्षिक 17 दिनों से लेकर एक दिन का कर्मकांड करेंगे। इनमें 17, सात, पांच और तीन दिन वाले गया में ठहर कर कर्मकांड करते हैं। त्रिपाक्षिक श्राद्ध हरियाणा और राजस्थान के मारवाड़ी परिवार ही करते हैं। इनकी संख्या करीब पांच हजार होती है।
गया में 10 दिन रहकर अलग-अलग तिथियों की वेदियों पर जाकर पूरे विधान के साथ पिंडदान करते हैं। यही कारण है कि मारवाड़ी समाज के लोग होटलों की बुकिंग कराने में लग गए हैं। हरियाणा हो या राजस्थान वे सभी अपने-अपने पंडाजी से संपर्क में हैं। उनके माध्यम से आवासन की व्यवस्था करावा रहे हैं। मुख्य रूप से बोधगया में होटलों की बुकिंग करा रहे हैं। कुछ गया शहर में होटल या बढ़िया धर्मशाला में भी रहकर 17 दिनों वाला पिंडदान करेंगे।
पूछताछ लिए पंडों के पास रोज आ रहे हैं 50 से 100 फोन
प्रसिद्ध गयापाल व श्री विष्णुपद प्रबंधकारिणी समिति के अध्यक्ष शंभूलाल विट्ठल व सचिव गजाधर लाल पाठक ने बताया कि गयाजी में 17 दिनों तक रहकर पिंडदान करने वाले मारवाड़ी परिवार आवासन की व्यवस्था करा रहे हैं। होटल या धर्मशाला की बुकिंग करा लिए हैं या करा रहे हैं। होटल सहित अन्य जानकारी के लिए प्रतिदिन 50 से 100 फोन आ रहे हैं। इनमें मुख्य रूप से त्रिपाक्षिक या तीन व पांच दिन पिंडदान करने वाले होते हैं। ये मुख्य रूप से आवासन और पिंडदान की व्यवस्था के बारे में पूछ रहे हैं।
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होटल एसोसिएशन बोधगया के सचिव संजय सिंह ने बताया कि यहां के अधिकतर होटलों में पितृपक्ष को लेकर बुकिंग हो रही है। इनमें मारवाड़ी समाज की संख्या अधिक है। अभी 25 से 30 फीसदी बुकिंग हो चुकी है। गया स्टेशन के होटल संचालक अनिल कुमार ने बताया कि पितपृक्ष को लेकर बुकिंग पिछले माह से शुरू है। करीब 80 फीसदी रूम तो सभी तिथि के लिए बुक हैं। इनमें तीन दिन वाले अधिक हैं। 17 दिन वाले बोधगया में ज्यादारुकतेहैं।
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