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गीतों की खुशबू में याद आएंगे अटल जी...

कभी गीतों की खुशबू में याद आएंगे अटल जी, मधुर कोई जब बोलेगा याद आएंगे अटल जी, कभी सूरज की लाली में, कभी तारों की महफिल में, कभी संदल में उपवन में याद आएंगे अटल जी... कवयित्री आराधना प्रसाद ने इन...

गीतों की खुशबू में याद आएंगे अटल जी...
हिन्दुस्तान टीम,पटनाSat, 18 Aug 2018 01:20 AM
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कभी गीतों की खुशबू में याद आएंगे अटल जी, मधुर कोई जब बोलेगा याद आएंगे अटल जी, कभी सूरज की लाली में, कभी तारों की महफिल में, कभी संदल में उपवन में याद आएंगे अटल जी... कवयित्री आराधना प्रसाद ने इन पंक्तियों के साथ पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को काव्यांजलि अर्पित की।

वहीं डॉ. शंकर प्रसाद ने वाजपेयी की चर्चित कविता 'क्या खोया, क्या पाया जग में'... का सस्वर पाठ कर उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की। कवयित्री डॉ. सीमा रानी ने कहा कि भारत के भाल पर अटल तेरा नाम रहेगा, तेरी कमल-सी निर्मलता का जन-जन में सम्मान रहेगा। मौका था बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में महाकवि तुलसी जयंती पर आयोजित कवि नमन का।

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के 'कवि-व्यक्तित्व'को समर्पित कर श्रद्धा-तर्पण के रूप में यह आयोजन हुआ। सम्मेलन अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ समेत सभी साहित्यकारों ने, सम्मेलन में स्थापित तुलसी दास की मूर्ति पर माल्यार्पण कर संतकवि के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की। काव्यांजलि देने वालों में कवि राज कुमार प्रेमी, जय प्रकाश पुजारी, डॉ. पुष्पा जमुआर, डॉ. सुलक्ष्मी कुमारी, नंदिनी प्रनम, शुभचंद्र सिन्हा, आनंद प्रवीण,कुमारी मेनका, अजय कुमार सिंह, रवींद्र कुमार सिंह सम्मिलित थे। सभा के अंत में दो मिनट मौन रख कर दिवंगत आत्मा की सद्गति के लिए प्रार्थना की गई। इसके पूर्व सम्मेलन के प्रधानमंत्री आचार्य श्रीरंजन सूरिदेव ने कहा कि तुलसी का समग्र साहित्य लोकरंजक और लोक-कल्याणकारी है। तुलसी इसीलिए पूज्य हैं कि उन्होंने प्रेम और भक्ति को मनुष्य के आध्यात्मिक उन्नयन का आधार माना और अपने साहित्य में प्रतिपादित किया। अध्यक्षीय उद्गार में डॉ. सुलभ ने कहा कि, महाकवि तुलसीदास काव्य-संसार के एक ऐसे महापुरुष हैं,जिन्होंने भारतीय मनीषा के उस दर्शन को प्रतिपादित किया कि, कवि 'देव'होते हैं। तुलसी अपने विश्व-महाकाव्य'रामचरित मानस'के माध्यम से लोक-जागरण के 'लोक-नायक कवि' के रूप में साहित्य-संसार में प्रतिष्ठा पायी। सम्मेलन के उपाध्यक्ष नृपेंद्र नाथ गुप्त, कुमार अनुपम,डॉ. बच्चा ठाकुर, डॉ. सीमा रानी, डॉ. मनोज गोवर्द्धनपुरी, डॉ. आर प्रवेश, डॉ. एचपी सिंह, डॉ. शहनाज़ फ़ातमी तथा डॉ. विनय कुमार विष्णुपुरी ने भी अपने श्रद्धा-उद्गार व्यक्त किए। कवियों ने दोनों कवियों को नमन करते हुए, काव्यांजलि दी। कवयित्री चंदा मिश्र ने तुलसीदास जी की सुप्रसिद्ध गणेश-वंदना 'गाइए गणपति जग वंदन!' से'कवि-नमन'कार्यक्रम का आरंभ किया।

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