बत्ती गुल, जाम चालू: पटना के चौराहों व सड़कों पर ट्रैफिक जाम एक बड़ी समस्या
जिनसे आम जनता को आराम मिलना था, जिनसे पटना की ट्रैफिक जाम की समस्या का निदान होना था, वो ट्रैफिक सिग्नल ही अब भीषण जाम का कारण बन गए हैं। पटना में रहने वालों के लिए शहर के चुनिंदा चौराहों व सड़कों पर...
जिनसे आम जनता को आराम मिलना था, जिनसे पटना की ट्रैफिक जाम की समस्या का निदान होना था, वो ट्रैफिक सिग्नल ही अब भीषण जाम का कारण बन गए हैं। पटना में रहने वालों के लिए शहर के चुनिंदा चौराहों व सड़कों पर ट्रैफिक जाम एक बड़ी समस्या रही है। इसी से राहत के लिए शहर को ट्रैफिक सिग्नल की सौगात दी गई थी, लेकिन सही तैयारी और वाहनों व चौराहों की स्थिति का सही आकलन न कर पाने के कारण यह सिग्नल महज शो पीस बनकर रह गए हैं। न वाहन सवार इनकी परवाह करते हैं और ना ही जाम से राहत मिली है।
आयकर गोलंबर, आर ब्लॉक, हाईकोर्ट मोड़, अनिसाबाद और बेऊर के सिग्नल शो पीस बनकर रह गए हैं। यातायात विशेषज्ञ डॉ. संजीव सिन्हा कहते हैं जिन चौराहों से औसतन तीन हजार गाड़ियां प्रति घंटे गुजरती हों, वहीं सिग्नल लगाया जा सकता है। यहां प्रति घंटे क्रमश: 250 और 800 गाड़ियां गुजरती हैं। आपात स्थिति में कहीं सिर्फ लाल बत्ती जलती है तो कुछ पर हरी लाइट जलाकर टैफिक आगे निकाला जाता है।
चौराहों का हाल
पाटलिपुत्र पॉलिटेक्निक मोड़
यहां तीन तरफ ट्रैफिक सिग्नल लगाए गए हैं। बाकायदा टाइमर सेट है। बावजूद इसके यहां कोई ट्रैफिक सिग्नल के अनुसार नहीं आता-जाता।
आईजीआईएमएस गेट
दो महीने पूर्व ही लाइट लगाई गई। राजाबाजार फ्लाइओर के नीचे भीषण जाम लगता है। लेकिन, दिन-रात पीली लाइट जलती रहती है।
भूतनाथ और कांटी फैक्ट्री मोड़
यहां सड़क पर डिवाइडर बनाकर ट्रैफिक सिग्नल बंद कर दिया गया है। लाइट कभी नहीं जलती। लोगों को यू-टर्न लेकर आगे से आना पड़ता है।
रामनगरी मोड़
रामनगरी मोड़ के पास वर्ष 2018 में सिग्नल लगाए गए। यहां गाड़ियों का दबाव बेहद कम है। सिग्नल हो या नहीं लोग सीधा आगे बढ़ते जाते हैं।
एयरपोर्ट पश्चिमी गेट
एयरपोर्ट के पास लगे सिग्नल खराब रहते हैं। चितकोहरा की ओर से आने वाली गाड़ियों के लिए काफी कम समय के लिए ग्रीन सिग्नल होता है।
अदालतगंज चौराहा
अदालतगंज चौराहे पर ट्रैफिक सिग्नल लगे हैं। यहां गाड़ियों का दबाव इतना कम है कि लाइट पर कोई ध्यान भी नहीं देता।
98 चौराहों पर सिग्नल, 79 ही चल रहे
यातायात विभाग की मानें तो राजधानी में अब तक 98 चौराहों पर ट्रैफिक सिग्नल लगाए गए हैं। पहले चरण में 25 करोड़ की लागत से वर्ष 2015 में 52 सिग्नल लगाए गए। इसके बाद 46 सिग्नल लगाने का काम हुआ। वर्तमान में 79 सिग्नल ही चल रहे हैं। बाकी खराब हो गए हैं। कई चौराहे ऐसे भी हैं, जहां अब तक लाइट जली ही नहीं है।
सुरक्षा के लिए इस्तेमाल भी होगा
स्मार्ट सिटी परियोजना में सभी सिग्नल को स्मार्ट कंट्रोल एंड कमांड सेंटर से जोड़ा जाना है। इन पर हाई क्वालिटी कैमरा लगेगा। इससे गांधी मैदान के इंटीग्रेटेड कंट्रोल एंड कमांड सेंटर से शहर की मॉनिटरिंग आसान हो जाएगी।
राजधानी में ट्रैफिक सिग्नल तेजी से लगाए गए। यहां आरसीडी को जेब्रा क्रॉसिंग बनाना है। 10 बार पत्र लिख चुका हूं, लेकिन अब तक नहीं बनाए गए। इसी कारण इन जगहों पर कार्रवाई करने में असुविधा होती है।
एके पांडेय, ट्रैफिक एसपी