शारदीय नवरात्र का शुभारंभ रविवार (प्रतिपदा) को कलश स्थापना के साथ शुरू हुआ। घर, मंदिर और पंडालों में मां की उपासना कर भक्तों ने माता का आह्वान किया। शहर में भारी बारिश के बाद भी मां के लिए पूजा की थाल सजाने के लिए नारियल, चुनरी की दुकानों पर पहले जैसी भीड़ नहीं दिखी। इस बार का शारदीय नवरात्र काफी शुभ संयोग बना रहा है। 29 सितम्बर रविवार को हस्त नक्षत्र एवं ब्रह्म योग में आरंभ होकर आठ अक्तूबर मंगलवार को विजयादशमी के साथ संपन्न होगा। मान्यता है कि शारदीय नवरात्र में कलश स्थापना कर मां की आराधना से मनचाहे वरदान और सिद्धि की प्राप्ति होती है।
पौराणिक मान्याताओं के अनुसार नवरात्र व्रत-पूजा में स्थापित कलश में ही ब्रह्मा, विष्णु, रूद्र, नवग्रहों, सभी नदियों, सागरों-सरोवरों, सातों द्वीपों, षोडश मातृकाओं, चौसठ योगिनियों सहित सभी तैंतीस करोड़ देवी-देवताओं का वास रहता है, इसीलिए विधिपूर्वक कलश पूजन से सभी देवी-देवताओं का पूजन हो जाता है। इससे घर में सुख और समृद्धि आती है, परिवार में खुशियां बनी रहती हैं। ऐसी मान्यता है कि भगवान राम ने सबसे पहले समुद्र के किनारे शारदीय नवरात्रों की पूजा की शुरुआत की। राम ने लगातार नौ दिनों तक शक्ति की पूजा की थी और तब जाकर उन्होंने लंका पर जीत हासिल की थी। यही वजह है कि शारदीय नवरात्रों में नौ दिनों तक दुर्गा मां की पूजा के बाद दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है।