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आयुष्मान को लेकर भारत सरकार की रडार पर है पीएमसीएच

प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (आयुष्मान) का लाभ देने में राज्य के सबसे बड़ा अस्पताल पीएमसीएच फिसड्डी साबित हुआ है। केन्द्रीय टीम ने गुरुवार को अस्पताल का निरीक्षण किया। यहां की स्थिति देख अधिकारियों ने...

आयुष्मान को लेकर भारत सरकार की रडार पर है पीएमसीएच
हिन्दुस्तान टीम,पटनाSat, 23 Nov 2019 06:42 PM
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प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (आयुष्मान) का लाभ देने में राज्य के सबसे बड़ा अस्पताल पीएमसीएच फिसड्डी साबित हुआ है। केन्द्रीय टीम ने गुरुवार को अस्पताल का निरीक्षण किया। यहां की स्थिति देख अधिकारियों ने कहा कि भारत सरकार की रडार पर आ चुका है पीएमसीएच।

आयुष्मान के नोडल पदाधिकारी डॉ. अहमद अंसारी की टीम के अधिकारियों ने चेताया कि आपसे छोटा अस्पताल है मुजफ्फरपुर का एसकेएमसीएच। यहां एक साल में करीब 4000 से अधिक मरीजों को आयुष्मान के तहत इलाज हुआ है। वहीं पीएमसीएच में सिर्फ 800 मरीज ही इसका लाभ ले पाये हैं। आयुष्मान को लेकर अस्पताल प्रशासन कितना गंभीर है इसका केन्द्रीय टीम ने एहसास कराया। केन्द्रीय टीम में केन्द्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव डॉ.प्रवीण और बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग के सचिव सह आयुष्मान के सीईओ लोकेश कुमार सिंह शामिल थे।

केन्द्रीय टीम ने अस्पताल के अधीक्षक को निर्देश दिया कि अस्पताल में सुधार की काफी गुंजाइश है। आयुष्मान के लाभार्थियों को जागरूक करने के साथ-साथ ऐसी व्यवस्था की जाए जिससे मरीजों को एक रुपया भी खर्च नहीं करना पड़े। केन्द्रीय टीम ने तो एसकेएमसीएच में आयुष्मान को लेकर जो व्यवस्था बनायी है उससे पीएमसीएच को सीखने की नसीहत तक दे डाली। टीम ने यह भी बताया कि पीएमसीएच की जो क्षमता है उसके मुताबिक एक साल में अस्पताल को न्यूनतम 35 करोड़ रुपये और अधिकतम 80 करोड़ रुपये का लाभ हो सकता है। अस्पताल अपनी पूरी क्षमता का इस्तेमाल नहीं कर रहा है।

बिना ऑपरेशन किए कर दिया डिस्चार्ज

केन्द्रीय टीम से मरीजों ने भी अपनी शिकायत की। झारखंड के गोड्डा के रहने वाले आयुष्मान के लाभार्थी मरीज सुरेन्द्र प्रसाद शाह के परिजन ने बताया कि यहां कि स्थिति ऐसी है कि मरीज को चार सिंतबर को भर्ती किया और बिना ऑपरेशन के ही छह नवंबर को डिस्चार्ज कर दिया। डॉक्टर यह तय ही नहीं कर पाये कि मरीज के घुटने का प्रत्यारोपण करना है या ऑपरेशन। ऐसे मरीजों को यहां कोई देखने वाला नहीं है। केन्द्रीय टीम ने मरीज के बारे में पूरी जानकारी ली। वहीं समस्तीपुर के रामइकबाल राय जिनकी एक दुर्घटना में सिर में गंभीर चोट लगी थी। इलाज हुआ लेकिन आयुष्मान का लाभार्थी होने के बावजूद सिर में टाइटेनियम का प्लेट लगाने के लिए मरीज को अपने पॉकेट से खरीदना पड़ा। मरीज के परिजन ने बताया कि कुल 29 हजार रुपये खर्च हुए हैं लेकिन अभी तक एक पैसा मुझे नहीं मिला है। केन्द्रीय टीम ने मरीज की शिकायत को दर्ज कर लिया है।

आरोग्य मित्र की बहाली कर सकता है अस्पताल

केन्द्रीय टीम ने पीएमसीएच प्रशासन को सलाह दिया है कि अपने स्तर से आरोग्य मित्र की बहाली आउटसोर्स के जरिए कर सकते हैं। ये आरोग्य मित्र सिर्फ आयुष्मान के मरीजों से संबंधित कार्यों में लगे रहेंगे। जिससे आयुष्मान के लाभार्थियों को लाभ हो सकता है। ऐसे आरोग्य मित्र को मासिक वेतन अस्पताल आयुष्मान के तहत मिलने वाली राशि में से दे सकते हैं। केन्द्रीय टीम ने बताया कि आयुष्मान के तहत मरीजों का इलाज करने पर अस्पताल की 75 फीसदी राशि विकास कार्यों पर खर्च की जा सकती है।

प्राइवेट डॉक्टर की मदद ले सकता है सरकारी अस्पताल

आयुष्मान योजना के तहत सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की अनुपलब्धता की स्थिति में प्राइवेट चिकित्सकों की ऑन कॉल सेवा ली जा सकती है। इसके बदले में प्राइवेट डॉक्टरों को निर्धारित राशि का भी भुगतान किया जा सकता है। बिहार सरकार यह फैसला ले चुका है। विशेषज्ञवार प्राइवेट डॉक्टरों के लिए संशोधित राशि की दर जल्द ही तैयार की जाएगी। वहीं अस्पतालों को निर्देश दिया गया है कि इस योजना की प्राप्त राशि से कर्मियों के बीच निर्धारित प्रोत्साहन राशि का वितरण जल्द किया जाए ताकि वे बेहतर कार्य के लिए प्रोत्साहित हो सके।

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