बिहारी के बिना कोई उल्लास और उत्सव नहीं होता बस हाथ जोड़कर कहा रहा हूं राम रहीम मत बनना। ध्यान रहे जो लोग बीच में कार्यक्रम छोड़ कर जाएंगे उनके सपने में राधे मां आएंगी। अब बाबाओं की क्या हालत हो गई है सुनो ,बच के रहना रे बाबा बच के रहना रे, लड़की है क्या रे बाबा, तूमसे मिलने का दिल करता है रे बाबा, जरा सा झूम लू मैं ना रे बाबा ना। गांधी मैदान में दशहरा मेले के अवसर पर शुक्रवार को सुनील पॉल को इतना सुनने भर से महौल में हंसी के फुहारे छूटने लगे।
देश भर में बाबाओं की जो हालत हो गई है उसपर हास्य कलाकार सुनील पॉल ने अपने चुटीले अंदाज में जो हास्य और व्यंग्य का जो सिलसिला शुरू किया वो दो घंटे बाद समाप्त हुआ। कभी बड़े कलाकारों की मिमिक्री तो कभी नेताओं के आवाज की नकल के जरिए दर्शकों को हंसाकर लोटपोट कर दिया। इतना ही नहीं फिल्मी गानों पर जिस प्रकार जोक सुनाया उससे तो लगा ही नहीं हंसने के अलावा कोई और काम बचा था दर्शकों के पास।
गांधी मैदान में दशहरा मेले के आठवें दिन कॉमेडी नाइट में सुनील पॉल दर्शकों से तालियां बटोरने में कामयाब रहे। पाखंडी बाबाओं पर सुनील पॉल ने गाने के जरिए दर्शकों को हंसाया। सुनील पॉल ने कहा कि पुलिस की बड़ी इज्जत करता हूं। क्योंकि मैं भी पुलिस हूं, एसपी यानी सुनील पॉल। कर्त्तव्यों के आगे पुलिस वाले अपने बाप के भी नहीं होते। इसके बाद नेताओं पर पड़ गए। देश भर में कॉमेडी के सबसे बड़े गुरु बिहार के ही हैं। फिर आगे बढ़ते हुए जब कहा कि दशहरा मेला में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आने वाले थे आप सभी को शुभकामनाएं देने। लेकिन किसी कारण बस नहीं आए। थोड़ा गंभीर होकर जब ये बात कही तो दर्शक भी पल भर के लिए सोच में पड़ गए। कुछ ज्यादा सोचते तबतक सुनील ने कहा कि उन्होंने अपना संदेश मुझे पढ़ने को कहा है। अगली बार पटना दशहरा महोत्सव में बुलेट ट्रेन से आएंगे और सबको अपनी तरफ से पार्टी दूंगा। उस पार्टी का नाम होगा भारतीय जनता पार्टी।
शराबबंदी के लिए सरकार को धन्यवाद
सुनील पॉल ने कहा बिहार में शराबबंदी के लिए सरकार को धन्यवाद। शराबबंदी करके सरकार ने बहुत अच्छा किया। सुनील पॉल के कॉमेडी ट्रेन में महिलाओं के लिए भी जगह थी। पुराने फिल्मी गानों की बारी आई जिसपर सुनील द्वार सुनाए गए जोक से दर्शक उछलने लगे। दर्शकों से अनुमति ली और सुनाया ये जमीं गा रही है, आंसमा गा रहा है, साथ मेरे सारा जहां गा रहा है, अबे एड़े सुन कौन रहा है। इस तरह से हंसने का सिलसिला जारी रहा है और गांधी मैदान की शाम यादगार बन गई।
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