राजद शासन का मतलब अपराध और जंगलराज : नित्यानंद राय
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि राजद शासन के दौरान बिहार में अपराध, अपहरण और नरसंहार आम थे। उन्होंने तेजस्वी यादव को चुनौती दी कि वे स्वीकार करें कि राजद के समय बिहार में जंगलराज था।...

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा है कि राजद शासन का मतलब अपराध, नरसंहार, अपहरण, गुंडाराज और जंगलराज है। सभी जानते हैं कि किस तरह से वर्ष 1990 से 2005 के शासनकाल में राजद ने बिहार को लूट, अपहरण, हत्या, दुष्कर्म का केंद्र बना दिया था। रात तो रात, दिन में भी लोगों को घर से बाहर निकलने में डर लगता था। तब की सरकार खुद अपराधी थी। अपराधियों को सरकार द्वारा संरक्षण दिया जाता था। उन्होंने आगे कहा कि राजद के नेता और गुंडों में कोई फर्क नहीं है। रविवार को पटना स्थित भाजपा मुख्यालय में प्रेस वार्ता में श्री राय ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव फिर बिहार में जंगलराज स्थापित करने का मंसूबा पाले हुए हैं, लेकिन राज्य की जनता उन्हें चुनाव में धूल चटा देगी।
उन्होंने कहा कि राजद शासन के दौरान राज्य में हालात इतने खराब थे कि स्कूली बच्चों तक का अपहरण कर लिया जाता था। सरकारी आंकड़ों के अनुसार 1990 से 2005 के बीच 32 हजार से ज्यादा अपहरण हुए। बिहार में अपहरण एक उद्योग बन चुका था। लालू प्रसाद और राबड़ी देवी के शासनकाल में 18,136 हत्याएं हुईं। ये तो सरकारी आंकड़े हैं। वास्तव में इससे काफी अधिक हत्याएं हुई थीं, लेकिन तब थाने में एफआईआर भी दर्ज नहीं की जाती थी। उन 15 वर्षों में 59 बड़े जातीय नरसंहार हुए, जिनमें 600 से ज्यादा लोगों की हत्याएं हुईं। गृह राज्यमंत्री ने कहा, बिहार की जनता को तेजस्वी यादव जवाब दें। वे बताएं कि अपहरण का सारा डील मुख्यमंत्री आवास से नहीं होता था?अपहरणकर्ताओं को लालू परिवार का संरक्षण हासिल नहीं था? अपहरण के पैसे सीधे मुख्यमंत्री आवास नहीं पहुंचते थे? श्री राय ने यह भी कहा कि मैं तेजस्वी यादव को चुनौती देता हूं कि हिम्मत है तो वह स्वीकार करें कि राजद शासन में बिहार में जंगलराज था, इस सच्चाई को सामने लाकर वह चुनाव में मैदान में जाएं। भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष तथा उजियारपुर के सांसद श्री राय ने कहा कि आज भी पटना के कारोबारी उस काले दिन को नहीं भूले हैं, जब लालू प्रसाद की बेटी की शादी से पहले और शादी के दिन दिनदहाड़े दुकानों को लूट लिया गया। पटना के कारोबारी आज भी मांग कर रहे हैं कि जिन दुकानों को 1990 से 2005 के बीच लूटा गया था, क्या उसकी कीमत उन्हें तीन दशक के बाद भी वापस की जाएगी या नहीं? मौके पर भाजपा नेता संजय मयूख, दानिश इकबाल, अमित प्रकाश बब्लू और सच्चिदानंद पीयूस उपस्थित थे।
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