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अतिक्रमण की जानकारी नहीं दी तो नपेंगे अफसर

सरकारी भूमि से अतिक्रमण हटाने में अब पैसे की कमी नहीं होगी। साथ ही अतिक्रमण की जानकारी नहीं देने पर संबंधित विभाग के दोषी अफसरों पर ही कार्रवाई...

अतिक्रमण की जानकारी नहीं दी तो नपेंगे अफसर
हिन्दुस्तान टीम,पटनाFri, 18 Oct 2019 04:45 PM
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सरकारी भूमि से अतिक्रमण हटाने में अब पैसे की कमी नहीं होगी। साथ ही अतिक्रमण की जानकारी नहीं देने पर संबंधित विभाग के दोषी अफसरों पर ही कार्रवाई होगी। सभी विभागों को जिलों में फैली अपनी जमीन व अतिक्रमण का पूरा ब्योरा जिलाधिकारी व राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग को सौंपना होगा।

राजस्व विभाग ने इस मामले में सभी जिलों से अतिक्रमित भूमि की रिपोर्ट भी मांगी है। रिपोर्ट में अगर किसी क्षेत्रीय अफसर ने अतिक्रमण की सूचना छिपायी होगी तो उनके खिलाफ कार्रवाई भी होगी।विभाग ने अतिक्रमण हटाने में आ रही पैसे की दिक्कत को दूर करने के लिए अंचल के हिसाब से राशि देने का फैसला किया है। यह राशि सीधे अंचलधिकारियों के खाते में दी जायेगी। उन्हें तीन से सात लाख रुपये मिलेंगे। पटना सदर में स्थित अंचल के लिए सर्वाधिक सात लाख की राशि तय की गई है। प्रमंडलीय मुख्यालय के अंचलों के लिए 5 लाख, जिलों के सदर अंचलों के लिए 4 लाख एवं अन्य अंचलों के लिए 3 लाख की राशि निर्धारित की गई है। अब तक पैसे के अभाव में अतिक्रमण हटाने में अचंल पदाधिकारियों को भारी परेशानी होती थी।पटना में ही अतिक्रमण के 1788 मामले दर्ज सिर्फ राजधानी पटना में ही जल निकायों पर अभी अतिक्रमण के 1788 मामले दर्ज हैं। इनमें से मात्र 723 मामलों में ही प्रशासन को अतिक्रमण हटाने में सफलता मिली है।

पटना जिला में 153 सड़कों पर अतिक्रमण के मामले दर्ज हैं। राजधानी के कई जलस्रोतों एवं जल निकासी के साधनों पर मकान/दुकान, व्यवासायिक प्रतिष्ठान बने हैं। इनमें से कई अतिक्रमण उन जमीनों पर भी है जो सरकारी विभाग को आवंटित है।मानी जाएगी विभागीय अफसरों की जिम्मेदारी अतिक्रमण के मामले में निर्धारित अवधि तक सूचना उपलब्ध नहीं होने पर यह माना जायेगा कि उनके अधीनस्थ विभागीय जमीन पर कोई अतिक्रमण नहीं है एवं भविष्य में अतिक्रमण का खुलासा होने पर विभागीय अफसरों की जिम्मेदारी मानी जायेगी। विभाग भी मानता है कि अतिक्रमण की वास्तविक तस्वीर और भी भयावह है। सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण हटाने से संबंधित 1956 का बिहार सार्वजनिक भूमि अतिक्रमण अधिनियम है जिसके तहत अंचलाधिकारियों में कलेक्टर की शक्ति सन्निहित है।

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