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पुस्तक मेला में नुक्कड नाटक के प्रदर्शन से लेकर साहित्य व कविता पर हुई चर्चा

पटना। वरीय संवाददाता सेंटर फॉर रिडरशिप डेवलपमेंट के पटना पुस्तक मेला में पुण्यार्क कला...

पुस्तक मेला में नुक्कड नाटक के प्रदर्शन से लेकर साहित्य व कविता पर हुई चर्चा
हिन्दुस्तान टीम,पटनाSun, 04 Dec 2022 07:30 PM
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पटना। वरीय संवाददाता

सेंटर फॉर रिडरशिप डेवलपमेंट के पटना पुस्तक मेला में पुण्यार्क कला निकेतन, पंडारक के कलाकारों ने विजय आनंद के निर्देशन में "रफा दफा" नुक्कड़ नाटक का मंचन मेला परिसर में किया। व्यांगतमक शैली में कटाक्ष करते हुए अपने अभिनय से दर्शकों को वर्तमान परिदृश्य की चासनी में डुबोकर भ्रष्ट व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़ा किया। समाज मे व्याप्त घुसखोरी, दलाली, मुनाफा खोरी एवं प्रशाशनिक विललानाओ को दर्शाता रफा दफा नुक्कड नाटक मे भ्रष्टाचार खत्म करने और जनता को समाज में फैली भ्रष्टाचार दूर करने का संदेश दिया। नाटक के निर्देशक विजय आनंद, राजेश कुमार, अक्षय कुमार, अभिषेक आवेद, अजय कुमार, गुलशन, सन्नू, अमरनाथ, विक्रम, वीणा गुप्रा मुख्य पात्र रहे।

पाठक को अभिभूत करने वाली कविताएं लिखता हूं: अरूण कमल

शब्द साक्षी कार्यक्रम के अंतर्गत साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किव अरुण कमल से राकेश रंजन की बातचीत की। अरूण कमल ने कहा कि उन्हें पाठकों को अभिभूत कर देने वाली कविताओं को लिखने में आनद आता है। अंग्रेजी के शिक्षक होते हुए भी उनके व्यक्तित्व में एक ठेठ हिंदीपन है। उनकी कविताओं में भदेस, ग्रामीण व ठेठ शब्दों की भरमार है। कहा कि 45 वर्षों से लिखने के बावजूद भी बहुत कुछ सीखना बाकी है।

जो आपका व्यक्तित्व बनाए, वही है नायिका: जयंती

जनसंवाद कार्यक्रम के अंतर्गत "साहित्य में स्त्री नायक" पर जयंती रंगनाथन, राकेश बिहारी, और सिनीवाली शर्मा ने अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम की शुरुआत हिंदुस्तान अखबार की कार्यकारी संपादक जयंती रंगनाथन से हुई। कृष्ण काली जैसे पत्रों को पढ़ कर उन्हे हिंदी साहित्य में रुचि हुई। उनका मानना है की नायिका वो होती है जो आपका व्यक्तित्व बनती है। उन्होंने जो जीवन देखा उसके मुताबिक आज भी उत्तर भारत की कई लड़कियों को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। सिनीवाली शर्मा ने उपन्यासों में महिलाओं की भूमिका का वर्णन किया। उन्होंने रामायण और महाभारत जैसे उपन्यासों में भी महिलाओं के पात्रों की चर्चा की। राकेश बिहारी जी ने संवाद के शीर्षक पर व्यंग्य करते हुए कहा कि क्या हमें महिलाओं को सशक्त सिद्ध करने के लिए पुरुष की परिभाषा देना जरूरी है?

प्रवीण परिमल की पुस्तक का हुआ लोकार्पण

कवि प्रवीण परिमल के संग्रह 'जंगल से लौटकर ' का लोकार्पण 'पटना पुस्तक मेला' के 'नालंदा सभागर' में किया गया। लोकार्पण हिंदी के चर्चित कवि आलोक धन्वा, अरुण कमल, निवेदिता झा, संजय कुमार, कुंदन, असलम हसन और चन्द्रबिंद सिंह ने किया। प्रारम्भ में प्रवीण परिमल ने अपनी कुछ कविताओं का पाठ किया। कवि अरुण कमल ने प्रवीण परिमल के काव्य संग्रह से ' बचा रहे प्रेम' का पाठ किया तथा उनकी कविताओं पर बोलते हुए कहा कि " प्रवीण परिमल से मेरी मुलाक़ात काफी पहले से है जब ये गया में थे। मैंने इनका सभी संग्रह पढ़ा है। कहा कि आजकल हिंदी कविता में गरीब, साधारण लोगों के बारे में कम लिखा जा रहा है। प्रवीण परिमल की कवितायें दुःख झेलने वाले लोगों तथा उसका प्रतिकार करने वाली है। 'महुआ बीनने वाली' 'औरतें', 'मोची', 'पिता' आदि में ऐसे लोगों की बातें की गई हैं। अंत में रांची विश्वविदयालय हिंदी विभागध्यक्ष जेपी पांडे ने कवि को सम्मानित किया गया। संचालन प्रगतिशील लेखक संघ के राजकुमार शाही ने जबकि अतिथियों का स्वागत व धन्यवाद ज्ञापन गजेंद्रकांत शर्मा ने किया।

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