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चारा घोटाला फैसला: लालू अभी 11 साल तक चुनाव लड़ने के हैं अयोग्य

लालू प्रसाद को चारा घोटाले के चर्चित मामले आरसी 20/96 में पहली बार 3 अक्टूबर 2013 को सजा मिली थी। उन्हें पांच साल के लिए सजा मिली और 11 साल के लिए चुनाव लड़ने से उन्हें अयोग्य माना गया था। लालू प्रसाद...

चारा घोटाला फैसला: लालू अभी 11 साल तक चुनाव लड़ने के हैं अयोग्य
पटना। हिन्दुस्तान ब्यूरो Sun, 07 Jan 2018 06:51 AM
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लालू प्रसाद को चारा घोटाले के चर्चित मामले आरसी 20/96 में पहली बार 3 अक्टूबर 2013 को सजा मिली थी। उन्हें पांच साल के लिए सजा मिली और 11 साल के लिए चुनाव लड़ने से उन्हें अयोग्य माना गया था। लालू प्रसाद पर 25 लाख का जुर्माना भी लगाया गया था। जुर्माना नहीं भरने पर छह माह अतिरिक्त सजा काटने का आदेश दिया गया था। 

चाईबासा कोषागार से 37.70 करोड़ की फर्जी निकासी से संबधित मामले में उन्हें उक्त सजा मिली थी। इस मामले में उन्हें 30 सितंबर 2013 को दोषी करार देकर जेल भेजा गया था। कानूनविदों का कहना है कि इस बार (6 जनवरी 2018) की सजा के बाद लालू प्रसाद के चुनाव लड़ने को लेकर अयोग्य होने की अवधि और साढ़े तीन साल बढ़ सकती है। उनका यह भी कहना है कि वैसे इस बाबत निश्चित रूप से फैसले की प्रति देखकर ही कुछ कहा जा सकता है।

आपको बता दें कि चारा घोटाला के मामले में लालू पर सीबीआई ने छह मामले दर्ज किए थे। इनमें एक मामला आय से अधिक संपत्ति से जुड़ा था। बाद में लालू उसमें बरी हो गए। पशुपालन घोटाला यानी कोषागारों से फर्जी निकासी, दवा-चारा आदि की फर्जी आपूर्ति आदि मामलों में लालू प्रसाद पर पांच केस दर्ज किए गए थे। इनमें दो मामलों आर सी 20/96 और 64/96 में उन्हें दोषी भी करार दिया जा चुका है। सजा हो चुकी है लेकिन अभी सबसे बड़ा मामला आरसी 47ए/96 में फैसला आना अभी बाकी है। 

डोरंडा कोषागार से 184 करोड़ की फर्जी निकासी के मामले में लालू समेत 200 लोग अभियुक्त हैं और 900 गवाह हैं। करीब आधी गवाही हो भी चुकी है। इस केस में भी अभियुक्तों को अधिकतम सात साल की कैद हो सकती है। आरसी 38 ए/96 में दुमका कोषागार से 34.7 करोड़ रुपये निकाले गए हैं। इनमें सीबाआई के पूर्व संयुक्त निदेशक यूएन विश्वास की गवाही भी हो चुकी है। चाईबासा कोषागार से 37.68 करोड़ की फर्जी निकासी से संबंधित एक मामला 68ए/96 में दर्ज किया गया। इसमें भी लालू प्रसाद अभियुक्त बनाए गए हैं। लालू पर हाईकोर्ट के निर्देश पर सीबीआई ने पहला केस आरसी 20/96 27 मार्च 1996 को दर्ज किया था। 

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आय से अधिक संपत्ति अर्जन का केस 

यह केस सीबीआई ने 9 जून वर्ष 2000 को पशुपालन घोटाला के सिलसिले में ही दर्ज किया था। बाद में आयकर विभाग ने भी सहयोग में अनुसंधान किया था। दोनों जांच एजेंसियों का मानना था कि लालू व उनकी पत्नी के पास जो भी संपत्ति है, वह पशुपालन घोटाले की राशि है और उनकी निर्धारित आय से अधिक है। यह राशि अवैध स्त्रोतों से अर्जित की गई है। बिहार के इतिहास में पहली बार किसी मुख्यमंत्री (राबड़ी देवी) और उसके पति (लालू) पर भ्रष्टाचार और आपराधिक तरीके से संपत्ति अर्जन का मामला दर्ज किया गया।

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