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Fathers Day 2018: पापा के दिखाये रास्ते पर ही मिली मंजिल, पढ़ें इनकी कहानी

उंगली पकड़ कर चलना सिखाया, अपनी नींद देकर हमें सुलाया, अपने आंसू छिपा के हंसना सिखाया, मेरी छोटी सी खुशी के लिए सब कुछ सहते रहे.... भले जुबां से हमने कुछ ना कहा, लेकिन वो रास्ता दिखाते रहे और हम चलते...

Fathers Day 2018: पापा के दिखाये रास्ते पर ही मिली मंजिल, पढ़ें इनकी कहानी
नई दिल्ली, लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 17 Jun 2018 07:07 PM
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उंगली पकड़ कर चलना सिखाया, अपनी नींद देकर हमें सुलाया, अपने आंसू छिपा के हंसना सिखाया, मेरी छोटी सी खुशी के लिए सब कुछ सहते रहे.... भले जुबां से हमने कुछ ना कहा, लेकिन वो रास्ता दिखाते रहे और हम चलते रहे। मंजिल तक कब पहुंच गये, पता हीं नहीं चला। वो बच्चे हैं जो बोल नहीं सकते। ठीक से सुन नहीं सकते। बस आंखों की जुबां से अभिपव्यक्त करते हैं।

इन्हें अपना मुकाम बनाने और जिंदगी की बुलंदी तक पहुंचाने में पिता ने अपने सुखों की कुर्बानी दे दी। फादर्स डे पर बोलने और सुनने में असमर्थ इन बच्चों ने कहा अगर पापा नहीं होते तो आज मंजिल तक नहीं पहुंचते। पिता की मेहनत और विश्वास से कोई बैंक में पीओ है तो कोई टीचर बन कर दूसरों को सीख दे रहा है।

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पिता के साथ तस्वीरों को कर रहे अपलोड-
सोशल साइट पर फादर्स डे ट्रेंड भी करने लगा है। लोग पिता के साथ अपनी तस्वीरें अपलोड कर रहे हैं। इस बार फादर्स डे सोशल साइट पर छाया हुआ है। पिता के साथ पुरानी तस्वीरों के साथ लोग कई तरह के वीडियो पोस्ट कर रहे हैं। फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर पर फादर्स डे के लिए फिल्टर और फ्रेम के साथ तस्वीरें अपलोड कर रहे हैं। हैश टैग फादर्स डे के साथ वीडियो और पोस्ट भी लोग डाल रहे हैं। इस पर लोग अपनी यादें भी साझा कर रहे हैं। इसके अलावा फादर्स डे कोटेशन के भी कई कलेक्शन बाजार में उपलब्ध हैं। कॉफी मग, फोटो फ्रेम और कई तरह के गिफ्ट शामिल हैं। हिन्दी में लिखे कार्ड भी पसंद आ रहे हैं। पिता के नाम लिखे तरह-तरह के पैराग्राफ भी आ रहे हैं।

पिता का मुझ पर अटूट भरोसा रंग लाया-
रोहित को पढ़ने का शौक था। लेकिन उसे समझ में नहीं आता था। पापा रामेश्वर प्रसाद ने बेटे की पढ़ाई के लिए कई टीचरों से ट्यूशन लगवाया। उसके बाद धीरे-धीरे रोहित को समझ में आने लगा। आज रोहित पटना एसबीआई मेन ब्रांच, गांधी मैदान में क्लर्क के पद पर है। कुर्जी की फ्रेंड्स कॉलोनी के रहनेवाले रामेश्वर प्रसाद ने बताया कि उनका बेटा रोहित कुमार बोल नहीं सकता था। लोगों ने कहा कि बच्चे को फील न हो, इसके लिए उसे ऐसे ही बच्चों के बीच रखना चाहिए। फिर क्या था, रोहित को माहौल देने के लिए हॉस्टल खोल दिया। आज इस हॉस्टल में सैकड़ों बच्चे पढ़ रहे है। रोहित ने मैसेज कर बताया कि आज वह बैंक की नौकरी कर रहा है तो उसका सारा श्रेय उसके पापा को जाता है। पापा को इतना विश्वास था मुझ पर कि बेटा बेहतर करेगा। .

मेरी आंखों से दिल की बात समझ लेते हैं पापा-
वो बोल नहीं पाती। हालांकि अपनी बातें कहना बखूबी जानती है। उसकी जुबां उसका हाथ है। लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए नीलम को पिता का पूरा साथ मिला। नीलम के पिता निर्मल चरण दास बताते हैं कि बेटी की एक कमी को हटाना था। वह बोल नहीं पाती है, लेकिन मैंने उसे आत्मनिर्भर बनाया। दिसंबर 2017 में इंटरनेशनल कराटे चैम्पियनशिप में नीलम शामिल हुई और दूसरे स्थान पर रही।

मां ने पिता बनकर रक्षा मंत्रालय तक पहुंचाया-

मनीष के पिता का निधन बचपन में हो गया था। मां रीता देवी ने पटना में रह कर मनीष को पढ़ाया। रीता देवी बताती हैं कि मनीष बोल और सुन नहीं सकता था। लेकिन वह पढ़ने में बहुत अच्छा था। बहुत मेहनती था। मैंने उसे पढ़ाने में बहुत संघर्ष किया। लोग हंसते थे लेकिन परवाह नहीं की। मैं उसको लेकर आगे बढ़ती गयी। दो साल पहले मनीष की नौकरी रक्षा मंत्रालय, नई दिल्ली में लगी है।

मैं बोल नहीं पाता, कभी महसूस नहीं होने दिया-

बोलने और सुनने में समर्थ नहीं हूं, इसका अहसास ही कभी रॉकी राज को नहीं हुआ। इलाहाबाद बैंक, बेगूसराय में पीओ रॉकी राज को पिता ने हर कदम पर आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। डीएवी बेगूसराय में कार्यरत पिता प्रमोद कुमार ने बताया कि रॉकी बहुत ही मेहनती था। उसकी क्वालिटी को हमने बस मंजिल तक पहुंचाया। हमें हमेशा मोटिवेट किया कि मंजिल छू लें। 

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