बिजली कंपनी के अफसर होंडा सिटी, फॉर्चूनर, स्कार्पियो एन की करेंगे सवारी
बिहार की बिजली कंपनी ने पहली बार मुनाफे में आने के बाद अफसरों के लिए लग्जरी गाड़ियों का चयन किया है। कंपनी ने 37 तरह की गाड़ियों की मांग की है और एजेंसी के चयन में जुटी है। गाड़ियों का खर्च बिजली...
पहली बार मुनाफे में आई बिजली कंपनी के अफसर लग्जरी गाड़ियों की सवारी करेंगे। बिजली कंपनी ने अफसरों को गाड़ी मुहैया कराने के लिए चार दर्जन तरह की गाड़ियों का चयन किया है। अफसरों को एसीयुक्त गाड़ियां मुहैया कराने के लिए अब कंपनी एजेंसी के चयन में जुट गई है। चयनित एजेंसी कंपनी को दैनिक से लेकर मासिक गाड़ी उपलब्ध कराएगी। इन गाड़ियों पर सहायक अभियंता से लेकर कंपनी के आलाधिकारी सफर करेंगे। कंपनी के विशेष कार्य पदाधिकारी (मानव संसाधन) राकेश रंजन की ओर से जारी निविदा में एजेंसी/फर्म को आमंत्रित किया गया है। न्यूनतम बोली लगाने वाली एजेंसी को चयन किया जाएगा। अगर उस न्यूनतम बोली पर अन्य एजेंसी भी गाड़ी उपलब्ध कराने के लिए तैयार हो जाए तो उन्हें भी सूचीबद्ध किया जाएगा। एक एजेंसी के पास कम से कम पांच वाहन का स्वामित्व व पांच का पट्टा होना जरूरी है। वाणिज्यक वाहन वाली गाड़ियों का ही उपयोग होगा।
कंपनी ने एक जिले से दूसरे जिले में जाने के लिए 37 तरह की गाड़ियों की मांग की है। न्यूनतम 200 किलोमीटर की सीमा तय की गई है। जिलों के भीतर सफर करने के लिए भी 37 तरह की गाड़ियों की मांग की गई है। इसके लिए न्यूनतम सीमा 100 किलोमीटर है। वहीं मासिक भाड़ा के लिए सात तरह की गाड़ियों की मांग की गई है। मासिक गाड़ियों के लिए 850 किलोमीटर के लिए 27,15 सौ किलोमीटर और दो हजार किलोमीटर के लिए सात-सात गाड़ियों की मांग की गई है।
गाड़ियों का खर्च टैरिफ में होगा शामिल
कंपनी के अफसरों की ओर से गाड़ियों के उपयोग मद में आने वाले खर्च को बिजली दर में शामिल किया जाएगा। कंपनी ऑपरेशन एंड मेंटेनेंस में इस खर्च को शामिल करेगी। चूंकि कंपनी को हजारों गाड़ियों की जरुरत है। ऐेसे में इस पर होने वाला खर्च भी करोड़ों रुपए में जाएगा। यह राशि अंतत: आम लोगों को ही बिजली बिल के रूप में भुगतान करना होगा।
कंपनी का तर्क
कंपनी ने चार दर्जन तरह की गाड़ियों की सेवा लेने के पीछे निर्बाध बिजली आपूर्ति का तर्क दिया है। निविदा के दस्तावेजों में कहा गया है कि विद्युत उत्पादन, संचालन, वितरण व इसके संयत्रों के रखरखाव/अनुरक्षण का काम कंपनी की ओर से निरंतर किया जा रहा है ताकि निर्बाध बिजली आपूर्ति हो सके। इसी के आलोक में कंपनी ने कार्यालय कार्य के लिए भाड़े पर गाड़ी लेने का निर्णय लिया है। दो साल के लिए गाड़ी भाड़े पर ली जाएगी जिसे एक साल के लिए विस्तारित किया जा सकेगा।
नुकसान कम नहीं कर सकी है कंपनी
बिहार की दोनों वितरण कंपनियों नॉर्थ व साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी का तकनीकी व व्यवसायिक नुकसान अभी भी मानक से अधिक है। विनियामक आयोग ने कंपनियों को अपना नुकसान 15 फीसदी पर लाने को कहा है। लेकिन अभी भी कंपनी का नुकसान 25 फीसदी से अधिक है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में आयोग ने एनबीपीडीसीएल के लिए वितरण हानि 14.55 फीसदी और एसबीपीडीसीएल के लिए 17.49 फीसदी तय किया है। वहीं लोगों को सस्ती बिजली सरकार के कारण मिल रही है। राज्य सरकार ने कंपनी को वित्तीय वर्ष 2021-22 में 6578 करोड़, 2022-23 में 7801 करोड़, 2023-24 में 13114 करोड़ और 2024-25 में 15343 करोड़ का अनुदान दिया है।
इन गाड़ियों की मांग की गई है : टोयोटा फार्चुनर, फोर्ड इन्डवर, इनोवा क्राईस्टा, इनोवा हायक्रास, इनोवा, महिन्द्रा एक्सयूभी (700), महिन्द्रा एक्सयूवी (500), महिन्द्रा एक्सक्यूवी(300), महिन्द्रा मराजो, स्कॉर्पिया, स्कार्पियो एन, मारूति अरटीगा, मारूति फ्रान्क्स, मारुति टूर एम (पेट्रोल), मारूति टूर एम (सीएनजी), मारूति ग्रैंड विटारा, टोयोटा अर्बन क्रूजर हाइराइडर पेट्रोल व इलेक्ट्रिक, मारूति एक्सएलसिक्स, मारूति एक्सएलसिक्स एस, मारूति सेलेरियो, मारूति ब्रेजा, होंडा सिटी, होंडा अमेज, होंडा एलिवेट, हुंडई औरा, हुंडई ग्रैंड आई-10 नियौस, हुंडई अल्काजर, हुंडई क्रेटा, बोलेरो, बोलेरो नियो, टाटा सफारी, टाटा हैरियर, टाटा सूमो, टाटा इंडिगो, टाटा जेस्ट, टाटा पंच, स्वीफ्ट डिजायर, स्वीफ्ट डिजायर टूर, टाटा अलट्रोज, टाटा जेस्ट, टाटा नेक्सौन, टाटा नेक्सौन सीएनजी, टाटा नेक्सौन इवी, टाटा टियागो व रेर्नाल्ट ट्राइबर।
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