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बंदी से दवा कारोबार प्रभावित,अस्पतालों के बाहर मिली दवाएं

बिहार केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के आह्वान पर मंगलवार को दवा दुकानों की बंदी का कारोबार पर काफी प्रभाव पड़ा, लेकिन मरीजों को जरूरी दवाएं मिलीं। बंदी का पीएमसीएच में भर्ती मरीजों पर सुबह आंशिक असर...

बंदी से दवा कारोबार प्रभावित,अस्पतालों के बाहर मिली दवाएं
Center,PatnaTue, 30 May 2017 07:46 PM
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बिहार केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के आह्वान पर मंगलवार को दवा दुकानों की बंदी का कारोबार पर काफी प्रभाव पड़ा, लेकिन मरीजों को जरूरी दवाएं मिलीं। बंदी का पीएमसीएच में भर्ती मरीजों पर सुबह आंशिक असर रहा। लेकिन बाद में लगभग 30 दुकानें खोली गईं। हालांकि संगठन के पदाधिकारियों के विरोध के बाद सात को छोड़ शेष दुकानें बंद कर दी गई।

बंदी का मरीजों पर विशेष प्रभाव नहीं पड़ा, क्योंकि जरूरी दवाएं अस्पताल के अंदर और बाहर मिलीं। बीसीडीए का दावा है कि प्रदेश में जिला अस्पतालों और प्रमुख नर्सिंग होम को छोड़ शेष लगभग 43 हजार दुवा की दुकानें बंद रहीं।

राज्य में प्रतिदिन 30 करोड़ का दवा कारोबार है। प्रदेश की सबसे बड़ी दवा मंडी गोविंद मित्रा रोड में सभी दुकानें बंद रहीं। संगठन ने एक दिवसीय धरना का आयोजन किया। पीएमसीएच के सामने सात, आईजीआईएमएस के सामने चार, पटना एम्स के सामने दो दुकानें खुली थीं। इन प्रमुख संस्थानों में सरकार द्वारा स्थापित दुकानें भी खुली रहीं।

सुबह में पीएमसीएच के सामने दुकानें बंद रहने से मरीजों को परेशानी हुई थी। लेकिन बाद में दूर हो गई। इसके अलावा पटना के विभिन्न इलाकों की दवा दुकानें दिनभर बंद रहीं। शाम को बोरिंग रोड, बोरिंग कैनाल रोड, राजाबाजार, कंकड़बाग इलाकों की दुकानें खुल गईं, जिससे मरीजों को जरूरी दवाएं मिलीं। बीसीडीए के महासचिव संतोष कुमार ने बताया कि बंदी का आह्वान सफल रहा।

पहली बार दुकानदारों ने अपने से दुकानें बंद रखी। उन्होंने बताया कि गोविंदमित्रा रोड में धरना के बाद सरकार को मांग का एक ज्ञापन दिया गया। क्या है दुकानदारों की मांगें -दवा दुकानों पर फार्मासिस्टों की अनिवार्यता समाप्त की जाए। -ऑनलाइन दवा बिक्री बंद की जाए - ई-पोर्टल नीति को इस क्षेत्र में नहीं लागू किया जाए। -दवाओं के मूल्य निर्धारण एवं बिक्री की नीति में केमिस्टों का ख्याल किया जाए। - दवा व्यापार से संबंधित पुराने एवं जटिल केंद्रीय कानून में संशोधन हो।

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