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दिवाली: खुशियों के दीप से दिल भी हो उठेंगे जगमग

आज दीपावली यानी दीपों का त्योहार है। आज की रात न केवल घर-आंगन और रास्ते रौशन होंगे, बल्कि खुशियों से दिल भी रौशन हो उठेंगे। अलग-अलग संस्कृतियों के साथ विषमताओं से भरे हमारे विशाल भारतवर्ष में भले ही...

दिवाली: खुशियों के दीप से दिल भी हो उठेंगे जगमग
हिन्दुस्तान टीम,पटनाSun, 27 Oct 2019 11:44 AM
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आज दीपावली यानी दीपों का त्योहार है। आज की रात न केवल घर-आंगन और रास्ते रौशन होंगे, बल्कि खुशियों से दिल भी रौशन हो उठेंगे। अलग-अलग संस्कृतियों के साथ विषमताओं से भरे हमारे विशाल भारतवर्ष में भले ही दीपावली मनाने की मान्यताएं अलग-अलग हों, लेकिन खुशियों के रंग एक हैं। आईए,जानते हैं भारत के विभिन्न क्षेत्रों में दीपावली का त्योहार मनाने की क्या मान्यताएं हैं।

उत्तर भारत में दिवाली का पर्व श्री राम के अयोध्या वापस आने से जुड़ा है। 14 साल वनवास काटने के बाद जिस शाम को भगवान राम अयोध्या लौटे उस शाम अयोध्या नगर वासियों ने उनके स्वागत में गली-गली में दिए जला दिए। तभी से दीपावली का पर्व मनाया जाने लगा। दक्षिण भारत की दिवाली की मान्यता यह है कि नरक चतुर्दशी के दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध किया था। इसी खुशी में चतुर्दशी के अगले दिन दक्षिण भारत में दीपावली मनाने का चलन है। पश्चिमी भारत में दीपावली राक्षस राज बाली के पृथ्वी पर वापस आने की खुशी में मनाई जाती है। दीपावली का पर्व मनाया जाता है। कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने उसे दूसरे लोक में भेज दिया था, जिसके काफी समय बाद बाली पृथ्वी पर वापस आया था। पूर्वी भारत में दिवाली के साथ ही काली पूजा भी देखने को मिलती है। दिवाली पर्व देश में चाहे जिस कारण से मनाया जाता हो, लेकिन सभी में एक ही बात सामान्य है कि यह अंधकार पर प्रकाश की विजय का पर्व है। राजधानी में दीपावली की पूर्व संध्या पर काफी चहल-पहल रही।

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