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डेंगू जांच के लिए 12 लाख की मशीन आई, पीएमसीएच ने लगाने से इनकार किया

डेंगू जांच के लिए 12 लाख में खरीदी गई अत्याधुनिक एलाइजा रीडर मशीन को सूबे के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच के माइक्रोबायोलॉजी विभाग ने अपने यहां लगाने से ही इनकार कर दिया...

डेंगू जांच के लिए 12 लाख की मशीन आई, पीएमसीएच ने लगाने से इनकार किया
हिन्दुस्तान टीम,पटनाWed, 23 Oct 2019 01:22 AM
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डेंगू जांच के लिए 12 लाख में खरीदी गई अत्याधुनिक एलाइजा रीडर मशीन को सूबे के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच के माइक्रोबायोलॉजी विभाग ने अपने यहां लगाने से ही इनकार कर दिया है। बिहार मेडिकल सर्विसेज इंफ्रास्ट्रक्चर कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीएमएसआईसीएल) द्वारा 20 दिन पहले खरीदी गई मशीन पीएमसीएच में यूं ही पड़ी है।

जो मशीन खरीदी गई है उससे एक साथ तीन सौ से अधिक मरीजों का एलाइजा टेस्ट किया जा सकता है। इधर, माइक्रोबायोलॉजी विभाग में डब्ल्यूएचओ द्वारा दी गई मशीन से एलाइजा टेस्ट किया जा रहा है। एक मशीन होने के कारण हर रोज जांच के लिए मारामारी की नौबत हो जा रही है।

माइक्रोबायोलॉजी विभाग में वायरस और विषाणुओं से संबंधित बीमारियों की जांच के लिए डब्ल्यूएचओ ने एलाइजा रीडर मशीन दी थी। विभाग में सात साल पहले अपनी मशीन थी जो खराब पड़ी है। डब्ल्यूएचओ के सहयोग से पीएमसीएच में पिछले कई साल से डेंगू, चिकनगुनिया, जापानी इंसेफेलाइटिस समेत कई बीमारियों की जांच हो रही है। विभाग में एक और एलाइजा रीडर मशीन की जरूरत थी। एक माह पहले इंडियन कौंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की टीम ने माइक्रोबायोलॉजी विभाग का निरीक्षण किया। निरीक्षण के बाद टीम ने एक और मशीन खरीदने के लिए कॉलेज प्रशासन को कहा। इसके बाद बीएमएसआईसीएल की ओर से लगभग 12 लाख की मशीन खरीद कर पीएमसीएच को भेजी गयी। पिछले बीस दिनों से मशीन लगाने को लेकर बीएमएसआईसीएल और पीएमसीएच के अधिकारियों के बीच खींचतान चल रही है।

महंगी मशीन की क्या जरूरत : विभागाध्यक्ष

इस संबंध में माइक्रोबायोलॉजी विभाग के अध्यक्ष सत्येंद्र कुमार सिंह का कहना है कि इतनी महंगी मशीन की क्या जरूरत है। आईसीएमआर की टीम ने तीन-चार लाख रुपये की मशीन खरीदने को कहा है। इसके लिए तीन कंपनियों का कोटेशन मांगा गया है उसके बाद मशीन की खरीद होगी।

विशेषज्ञ की सलाह पर खरीदी गई थी मशीन

इधर, बीएमएसआईसीएल के प्रबंध निदेशक संजय कुमार सिंह ने बताया कि पीएमसीएच के लिए मशीन खरीद ली गई है। उसे स्थापित करने के लिए भेजा गया तो माइक्रोबायोलॉजी विभाग के डॉक्टरों ने लगाने से इनकार कर दिया, जबकि मशीन विशेषज्ञों के कहने पर ही खरीदी गई थी। ऐसे में मशीन यथावत रखी हुई है।

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