बेगूसराय में कोरोना से मृत नियोजित शिक्षक का नहीं होने दिया गया दाह संस्कार
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बेगूसराय में कोरोना से मृत नियोजित शिक्षक का नहीं होने दिया गया दाह संस्कार
तीन गांवों के श्मशान घाटों से लौटाया गया शव
देवदूत बनकर आया एक नास्तिक युवक दफनाने के लिए दी अपनी भूमि
खोदावंदपुर/बेगूसराय। निज संवाददाता
बुधवार को कोरोना से महादलित जाति के एक नियोजित शिक्षक की अंत्येष्टि क्रिया नहीं हुई। हन्दिू रीति से इस शव के दाह संस्कार के लिए परिजन तीन गांवों के श्मसान घाटों का चक्कर लगाते रहे। लोगों ने किसी श्मशान में इस शव का दाह संस्कार नहीं होने दिया। मृतक के परिजनों के करुण क्रंदन से भी लोगों की मानवीय संवेदना नहीं जगी।
बीडीओ राघवेंद्र कुमार, सीओ सुबोध कुमार व अपर थानाध्यक्षा अर्चना झा पुलिस बल के साथ लोगों को मनाने में जुटे रहे और मृतक की अंत्येष्टि क्रिया होने देने की अपील करते रहे। लेकिन कोरोना संक्रमित लाश की अंत्येष्टि क्रिया के लिए किसी श्मशान घाट में जगह नहीं दी गई। लोगों के कड़े विरोध को देखते हुए खोदावंदपुर प्रशासन के अधिकारियों ने घटना की जानकारी जिला के आलाधिकारियों को दी। डीएम अरविंद कुमार वर्मा एवं एसपी अवकाश कुमार ने मामले की गम्भीरता को देख खोदावंदपुर में भारी पुलिस बलों की तैनाती कर दी।
एसडीओ मुकेश कुमार, एसडीपीओ सत्येंद्र कुमार सिंह, पुलिस निरीक्षक दीपक कुमार के नेतृत्व में खोदावंदपुर के अलावा चेरियाबरियारपुर थाना, मंझौल ओपी, व छौड़ाही ओपी की पुलिस मेघौल पंचायत के बिदुलिया गांव स्थित श्मशान घाट पहुंची। पुलिस प्रशासन ने उपस्थित जन समुदाय से शव की अंत्येष्टि क्रिया में सहयोग के लिए अपील की। परन्तु भीड़ ने उनकी एक न सुनी। ग्रामीण इस लाश को श्मसान घाट में जलवाने के लिए तैयार नहीं हुए। उसी समय फफौत पंचायत के मटिहानी गांव के युवक समीर कुमार ने आगे बढ़कर इस लाश को अपनी भूमि में दफन करवाने का प्रस्ताव अधिकारियों के सामने पेश किया। इस प्रस्ताव को स्वीकार कर इस लाश को पुलिस की मौजूदगी में दफनाया गया।