किराये पर टेंपो चलाने वालों को पास नहीं मिला तो टूटेगा सब्र का बांध
पटना के बंद परिवहन पर रार छिड़ गया है। चौथे लॉकडाउन के लागू होते ही शहर के चालक उग्र हो गए हैं। शहर में बंदी के बाद भी पटना जंक्शन के सामने स्थित बुद्ध पार्क के पास प्रदर्शन की तैयारी चल रही है।...
पटना के बंद परिवहन पर रार छिड़ गया है। चौथे लॉकडाउन के लागू होते ही शहर के चालक उग्र हो गए हैं। शहर में बंदी के बाद भी पटना जंक्शन के सामने स्थित बुद्ध पार्क के पास प्रदर्शन की तैयारी चल रही है। राजधानी में ऑटो-रिक्शा चालकों के कई संगठन है। सभी मिलकर एक साथ काम नहीं कर रहे। जो मजबूत और बड़े संगठन हैं, सरकार के हर आदेश का लाभ उन्हें ही मिल जा रहा है। ट्रेन चली तो परिवहन खुलने की भी संभावना थी, मगर विशेष ट्रेन की तर्ज पर विशेष ऑटो भी चलाए गए। इसमें बड़े संगठनों के प्रतिनिधियों के परिचित ड्राइवरों को ई-पास जारी कर दिया गया। अब भुखमरी के कगार पर खड़े छोटे और भाड़े की गाड़ी लेकर चलाने वाले चालक इससे परेशान हो गए। घर में दो जून की रोटी का जुगाड़ नहीं है। इनके रोजगार की कहीं कोई व्यवस्था नहीं बनाई जा रही है।
क्यों रहा विरोध, ई-पास की जरूरत क्यों
पटना में विशेष ट्रेनों से देश के अलग-अलग हिस्सों से हर दिन सैकड़ों लोग पहुंच रहे हैं। इन्हें घर तक सुरक्षित पहुंचाने की जिम्मेदारी ऑटो चालकों पर छोड़ी गई है। मगर जिला परिवहन कार्यालय से सामाजिक दूरी बनाए रखने का हवाला देते हुए दानापुर में 200 ऑटो चालकों को अस्थायी पास जारी कर दिया। मगर जो किराया पर टेंपो लेकर गाड़ी चलाने वाले ड्राइवर थे। उन्हें इस काम में नहीं लगाया गया। घर का किराया, राशन सहित सबकुछ बकाए पर चल रहा है। इस दौरान छोटे ऑटो संगठनों ने संयुक्त मोर्चा का गठन कर लिया है। सभी मिलकर सरकार की नीतियों का विरोध कर रहे हैं।
जेवर बेचने की नौबत
चालक सुधीर कुमार ने बताया कि घर का राशन खत्म हो गया है। दो से तीन दिनों तक भूखे सोए रहे। इसके बाद पत्नी के गहने-जेवर बेचना शुरू कर दिया है। इसे भी औने-पौने दाम में लोग खरीद ले रहे हैं। पैसे की जरूरत इतनी है कि यदि नहीं बेचा तो भूखे मरने की नौबत है। सबकुछ बकाये पर आखिर कबतक चलता रहेगा।
हर नियम मानने को तैयार
रोड ट्रांसपोर्ट फेडरेशन के राजकुमार झा बताते हैं कि सामाजिक दूरी के साथ ऑटो चलाने के लिए हम तैयार हैं। सरकार नियम बनाए। घर तक यात्रियों को दफ्तरों से पहुंचाने के लिए भी हम तैयार हैं। मगर लगातार रोगजार की समस्या उत्पन्न हो रही है। इससे आक्रोश बढ़ रहा है। राजधानी का कोई इलाका ऐसा नहीं है, जहां हमने राशन के लिए चक्कर नहीं काटा हो। भोजन तक की व्यवस्था प्रशासन की ओर से नहीं की गई। लॉकडाउन में भी प्रदर्शन पर बाध्य किया है। आखिर कब तक टेंपो चालकों को इस तरह परेशान किया जाएगा।