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बिहार में पिंड की सामग्री से बनाई जाएगी खाद

पूर्वजों के तर्पण के लिए गया और पुनपुन के पितृपक्ष मेलों में लोगों द्वारा किए गए पिंडदान की सामग्रियों से अब खाद बनेगी। पिंडदान में इस्तेमाल होने वाली सामग्रियों को अक्सर जहां-तहां फेंक दिया जाता था...

बिहार में पिंड की सामग्री से बनाई जाएगी खाद
हिन्दुस्तान टीम,पटनाThu, 12 Sep 2019 01:41 AM
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पूर्वजों के तर्पण के लिए गया और पुनपुन के पितृपक्ष मेलों में लोगों द्वारा किए गए पिंडदान की सामग्रियों से अब खाद बनेगी। पिंडदान में इस्तेमाल होने वाली सामग्रियों को अक्सर जहां-तहां फेंक दिया जाता था या नदी में प्रवाहित कर दिया जाता है, जिससे प्रदूषण होता है, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।

गुरुवार से पितृपक्ष मेला शुरू हो रहा है। पुनपुन में पटना नगर निगम, फुलवारीशरीफ और मसौढ़ी नगर परिषद के अधिकारियों को पिंड सामग्रियों को इकट‌्ठा कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। वहीं गया में गया नगर निगम यह कार्य करेगा। पुनपुन से प्रत्येक दिन औसतन दो से तीन टन पिंड सामग्री निकलती है, वहीं गया में इससे कई गुना अधिक।

कैसे बनेगी खाद

पटना जिला कृषि पदाधिकारी डॉ. राकेश रंजन का कहना है कि जैविक पदार्थों को एक जगह एकत्रित करने के बाद उसे जमीन में गड्ढा (किट) बनाकर डाला जाएगा। सामग्री के साथ बैक्टीरिया कल्चर बनाने वाला पैकेट भी मिलाया जाएगा। इससे फूल माला, आटा आदि के सड़ने पर दुर्गंध नहीं आएगी। 45 से 60 दिनों में खाद तैयार जाएगी। नाइट्रोजन, पोटैशियम और कैल्शियम युक्त यह खाद पौधों के पोषण और विकास के लिए काफी उपयोगी होगा।

पिंड में इस्तेमाल होने वाली सामग्री :

जौ का आटा, गुड़, चावल,घी, मद्य, अगरबती, फूल-माला, कुश, चटाई, काला तिल आदि।

एक व्यक्ति को 16 पिंड बनाना होता है

पुनपुन क्षेत्र में पिंडदान करने आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को 16 पिंड बनाना होता है। इसके अलावा एक मुख्य पिंड बनाना पड़ता है। पिंड बनाने के बाद उन्हें तर्पण के रूप में भोज्य पदार्थ देना होता है। पुनपुन क्षेत्र में प्रत्येक वर्ष लगभग पांच लाख लोग पिंडदान के लिए पहुंचते हैं। नदी तक तट पर पिंड को बनाना होता है। बाद में यही सामग्री नदी स्थानीय लोगों द्वारा नदी में प्रवाह कर दी जाती है।

पिंड की सामग्री आखिरकार नदी में प्रवाह कर दी जाती थी। इससे नदी में प्रदूषण बढ़ता था। सामग्री का बेहतर इस्तेमाल हो इसके लिए नगर निगम और नगर परिषद के अधिकारियों के साथ बैठक कर खाद बनाने का निर्णय लिया गया। इसमें कृषि विभाग के वैज्ञानिकों से भी मदद ली जाएगी। प्रत्येक दिन पिंड की सामग्री को वहां से हटा लिया जाएगा। एक जगह एकत्रित कर उससे खाद बनायी जाएगी जो कृषि कार्य के लिए उपयोगी होगी।

- कुमार रवि, डीएम, पटना

गया में खाद बनाने को लगे हैं पांच कंपोस्टर

वहीं गया में खाद बनाने के लिए विष्णुपद में तीन और अक्षयवट में दो ग्रीन कंपोस्टर चालू कर दिये गये है। इसकी क्षमता पांच सौ किलोग्राम की है। इसमें पांच क्विंटल कचरा व पिंड डालने पर एक क्विंटल जैविक खाद बनेगी। नगर निगम के आयुक्त सावन कुमार ने बताया कि पितृपक्ष के दौरान काफी मात्रा में पिंड व गीला कचरा निकलता है। इसके परिवहन आदि में काफी खर्च होता है। यह खर्च तो बचेगा ही खाद से आमदनी भी होगी।

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