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बुद्धकालीन समाज की झलक दिखी नाटक तट निरंजना के मंचन में

कालिदास रंगालय में शुक्रवार को विजय मिश्र द्वारा लिखित उड़ीया नाटक और डॉ. राजेन्द्र मिश्र द्वारा हिन्दी अनुवादित नाटक ‘तट निरंजना का मंचन...

बुद्धकालीन समाज की झलक दिखी नाटक तट निरंजना के मंचन में
हिन्दुस्तान टीम,पटनाSat, 18 Aug 2018 12:59 AM
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कालिदास रंगालय में विजय मिश्र द्वारा लिखित और डॉ. राजेन्द्र मिश्र द्वारा अनुवादित उड़िया नाटक नाटक का मंचन

कालिदास रंगालय में शुक्रवार को विजय मिश्र द्वारा लिखित उड़ीया नाटक और डॉ. राजेन्द्र मिश्र द्वारा हिन्दी अनुवादित नाटक ‘तट निरंजना का मंचन हुआ। इसकी परिकल्पना और निर्देशन शिवजी सिंह ने किया।

नाटक में बुद्धकालीन मानवीय भावनाओं का चित्रण नाटक के माध्यम से बखूबी किया गया। नाटक बौद्ध भिक्षु बने नील लोहित और भिक्षुणी बनी इच्छामति के ईद-गिर्द घूमती रहती है। संघ में आने के बावजूद दोनों की स्वाभाविक कामनाएं उनके धर्म के मार्ग में बाधक बनी रहती है। इसे देखते हुए इच्छामति संघ के अनुशासन से दूर जाने का प्रयास करती है। इस क्रम में बुद्ध के शिष्य आनंद से इच्छामति के बीच तर्क-वितर्क भी होता है। जिसमें इच्छामति के प्रश्नों से नाराज आनंद उसे संघ से बाहर कर देता है।

इच्छामति के जाने के बाद नील लोहित आनंद से कड़े प्रश्न करता है। वह नारी-पुरुष संबंधों पर स्पष्टीकरण चाहता है। उसके प्रश्न बुद्ध तक पहुंचते हैं। गहरे मंथन के बाद बुद्ध को भी लगता है कि नारी-पुरुष संबंधों की व्याख्या के बगैर ईश्वरीय बोध अधूरा महसूस करते हैं। इसी बीच गौतम बुद्ध कपिलवस्तु के राजभवन में बुलावे पर जाते हैं लेकिन अपनी तिरस्कृत पत्नी गोपा और पुत्र राहुल के आंखों से बहते आंसू से पूछ गए सवालों का भी जवाब नहीं दे पाते हैं। नाटक में बुद्ध की बैचेनी दिखाने में कामयाब रहती है। नाटक में बुद्ध के सामने आनंद की विशाल व्यक्तित्व और बौद्ध धर्म, संघ आदि पर बुद्ध से ज्यादा पकड़ भी दिखाया जाता है। एक समय बुद्ध अपने ही सिद्धांतों को चुनौती देते, खत्म करते जान पड़ते हैं। लेकिन आनंद के प्रभाव के कारण उन्हें मौन धारण करने को विवश कर देता है और वे अपनी अनंत यात्रा पर बढ़ चलते हैं। नाटक तत्कालीन समाज की बैचेनियां और संघ के अंदर उठ रहे द्वंद को बड़ी ही बारिकी से कुरेद कर दर्शकों के सामने रख देता है। नाटक की संवाद अदायगी से लेकर अभिनय तक और लाइटिंग से लेकर वस्त्र विन्यास तक सराहनीय है।

नाटक में मंच पर नीललोहित(पारस कुमार), इच्छामति (अनुष्का राज), आनंद (रामलखन सिंह) और गौतम बुद्ध की भूमिका में शिवजी सिंह का अभिनय शानदार रहा। इसके अतिरिक्त प्रकाश में राजकपूर, परिधान में नीरू सिंह, सेटस निर्माण सुनील कुमार शर्मा का काम भी अच्छा रहा।

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