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यूपी से आए वैज्ञानिक बोले-चिड़ियाघर में प्रवासी पक्षियों से फैला बर्ड फ्लू

चिड़ियाघर में बर्ड फ्लू फैलने की गुंजाइश नहीं होती है। यह वायरस अमूमन गर्मी के दिनों पॉल्ट्री फार्म में फैलता है। वहां गंदगी अधिक होती है। चिड़ियाघर जैसी साफ-सफाई वाली जगह पर यह वायरस फैलने की आशंका...

यूपी से आए वैज्ञानिक बोले-चिड़ियाघर में प्रवासी पक्षियों से फैला बर्ड फ्लू
पटना लाइव हिन्दुस्तानMon, 31 Dec 2018 02:44 PM
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चिड़ियाघर में बर्ड फ्लू फैलने की गुंजाइश नहीं होती है। यह वायरस अमूमन गर्मी के दिनों पॉल्ट्री फार्म में फैलता है। वहां गंदगी अधिक होती है। चिड़ियाघर जैसी साफ-सफाई वाली जगह पर यह वायरस फैलने की आशंका न के बराबर होती है। इस जाड़े में निश्चित तौर पर प्रवासी पक्षियों की वजह से फैला होगा। 

यह कहना है बर्ड फ्लू के एक्सपर्ट भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) इज्जत नगर यूपी के दो सदस्यीय टीम का। टीम ने कहा कि जाड़े में काफी संख्या में प्रवासी पक्षियों का आगमन होता है। चिड़ियाघर का वातावरण उन पक्षियों के अनुकूल होता है। जिससे वे यहां के पेड़ों पर बैठते हैं। उन पक्षियों के मल गिरने से यह वायरस फैलता है। दोनों वैज्ञानिकों ने जू निदेशक के साथ पूरे जू के संक्रमण क्षेत्र और परिसर का निरीक्षण किया। टीम जू को संक्रमणमुक्त करने की व्यवस्थाओं से अवगत हुई। उसके बाद मुख्य वन्यप्राणी प्रतिपालक की अध्यक्षता में बैठक की। इसमें जू निदेशक अमित कुमार, डॉ राम कुमार पांडेय, डॉ समरेन्द्र बहादुर सिंह, जन्तु प्रक्षेत्र के सभी कर्मी तथा पशुपालक शामिल थे। 

आईवीआरआई की टीम ने बीमारी से संबंधित जानकारी, लक्षण, मनुष्य में इसके प्रकोप एवं इससे बचाव के उपाय तथा एहतियात के बारे में विस्तार से बताया। टीम जू प्रबंधन की बेहतर व्यवस्था से संतुष्ट दिखी। इधर छठें दिन जू के विभिन्न स्थलों पर चूने का छिड़काव किया गया। 

सैंपल नहीं लिया जा सका
मरे हुए मोरों के केज के आसपास वाले केज में रह रहे पक्षियों का सैंपल नहीं लिया जा सका। वेटनरी डॉक्टरों की टीम रविवार को सैंपल लेने वाली थी। अब निर्णय हुआ कि जबतक पक्षियों का मरना बंद नहीं हो जाता तबतक सैंपल नहीं लिया जाएगा। वेटनरी डॉक्टर जितेन्द्र कुमार सिंह ने कहा कि चिड़ियाघर के बाहर एक किलोमीटर दूरी में मौजूद पॉल्ट्री फार्म के पहले से लिए गए 375 सैंपल जांच के लिए सोमवार को कोलकाता भेजे जाएंगे। पहले से भेजे गए सैंपल की रिपोर्ट अबतक नहीं आई है।  

जू में अब बच गए मात्र सात मोर
जू में कुल 14 मोरों की संख्या थी। जिसमें बर्ड फ्लू के कारण 7 मोरों की मौत हो गई। अब शेष 7 मोर बचे हैं। इन मोरों में एक सफेद मोर को डॉक्टरों के संरक्षण में अस्पताल में रखा गया है। बाकी मोर अपने-अपने केज में हैं। जू में इकलौता कालिज पक्षी था, जिसकी मौत हो गई। यह सभी पक्षी दर्शकों के लिए बेहद आकर्षण का केंद्र था।  

आईवीआरआई की टीम जू का निरीक्षण कर सुझाव देते हुए वापस लौट गई। उनके सुझाव अनुसार कार्य होगा। संक्रमणमुक्त के लिए पहले से जो कार्य चल रहे हैं उससे वे संतुष्ट दिखे। 
अमित कुमार, जू निदेशक 

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