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सियासत: सुधांशु की राह में रोड़ा बनी ललन पासवान की इच्छा

रालोसपा विधायक सुधांशु शेखर की राह में पार्टी के दूसरे गुट के विधायक ललन पासवान की इच्छा रोड़ बनी हुई है। सुधांशु जदयू में जाने को तैयार बैठे हैं, लेकिन ललन पासवान के साथ के बिना उनकी बात नहीं बनेगी।...

सियासत: सुधांशु की राह में रोड़ा बनी ललन पासवान की इच्छा
पटना। हिन्दुस्तान ब्यूरोSun, 18 Nov 2018 04:16 PM
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रालोसपा विधायक सुधांशु शेखर की राह में पार्टी के दूसरे गुट के विधायक ललन पासवान की इच्छा रोड़ बनी हुई है। सुधांशु जदयू में जाने को तैयार बैठे हैं, लेकिन ललन पासवान के साथ के बिना उनकी बात नहीं बनेगी। उधर, ललन ने साफ कर दिया है कि वह एनडीए में बने रहेंगे, लेकिन जदयू में जाएंगे या भाजपा में यह तय तब होगा जब सासाराम लोकसभा सीट लड़ाने का उन्हें अश्वासन मिलेगा। साथ ही अरुण कुमार को छोड़कर आये अपने दल के दूसरे साथियों को भी एडजस्ट करने की मांग उन्होंने रखी है।

दरअसल, चेनारी विधायक ललन पासवान या सांसद डॉ. अरुण कुमार ने भले उपेन्द्र कुशवाहा का साथ छोड़ दिया हो लेकिन विधानसभा और संसद में दोनों की सदस्यता तकनीकी तौर पर रालोसपा से ही जुड़ी है। ऐसे में विधानसभा में रालोसपा के दो विधायक हैं, एक चेनारी के ललन और दूसरे हरलाखी के सुधांशु। नियम के अनुसार दो तिहाई सदस्य मिलकर ही दल तोड़ सकते हैं। लिहाजा अगर सुधांशु शेखर अकेले जदयू में जाते हैं तो उनकी विधायकी खतरे में पड़ सकती है। विधानसभा चुनाव में अभी देरी है, ऐसे में इस्तीफा देने से न तो शेखर को लाभ होगा और न ही उनको साथ लेने वाली जदयू को। इस खतरे को भांप कर ही जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर से मिलने के बाद शेखर ने ललन पासवान से मुलाकात कर उनका साथ लेने का प्रयास किया था। 

राजनीतिक हलकों में चर्चा के अनुसार ललन पासवान पर जदयू के साथ भाजपा भी डोरे डाल रही है। दोनों दलों के प्रमुख नेताओं की उनसे बात हो रही है। लेकिन उनकी साफगोई भी चर्चा में है कि उन्होंने दोनों दल के नेताओं को अपनी मांग के बारे में साफ बता दिया है। अब सीटों के बंटवारा के पहले दोनों में कोई दल ललन पासवान को यह आश्वस्त करने की स्थिति में नहीं है कि सासाराम सीट उन्हीं के पास रहेगी। इसी ऊहापोह में फंसे पासवान सुधांशु का भी साथ नहीं दे रहे हैं और सुधांशु जदयू में नहीं जा पा रहे हैं। 

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