केंद्र से जातीय जनगणना की सिफारिश करेगी बिहार सरकार
विधानमंडल से सोमवार को दो राजकीय संकल्प पारित हुए। पहला, 2021 की जनगणना जातीय आधार पर कराने का था, जबकि दूसरा, विश्वविद्यालयों में विवि अनुदान आयोग द्वारा लागू विभागवार रोस्टर प्रणाली को खत्म कर...
विधानमंडल से सोमवार को दो राजकीय संकल्प पारित हुए। पहला, 2021 की जनगणना जातीय आधार पर कराने का था, जबकि दूसरा, विश्वविद्यालयों में विवि अनुदान आयोग द्वारा लागू विभागवार रोस्टर प्रणाली को खत्म कर पुराने विवि स्तरीय रोस्टर के आधार पर नियुक्ति जारी रखने का था। राज्य सरकार इस बाबत केन्द्र सरकार से सिफारिश भेजेगी।
वर्ष 2021 की जनगणना जातीय आधार पर कराने का संकल्प पारित करने के मौके पर कहा गया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सबसे पहले 1990 में जातीय जनगणना कराने की पहल की थी। इसके लिए उन्होंने उस समय के प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह को पत्र भी लिखा था। बिहार सरकार इस बाबत केन्द्र को फिर अनुशंसा भेजेगी। केन्द्र को ऐसा संकल्प भेजने वाला बिहार पहला राज्य होगा।
विधान परिषद में भोजनावकाश के बाद उक्त राजकीय संकल्प पारित होने के पूर्व राजद के रामचन्द्र पूर्वे समेत विपक्ष की टोकाटोकी पर मुख्यमंत्री ने कहा कि वे वीपी सिंह के मंत्रिमंडल में कृषि राज्य मंत्री थे। उस समय पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने उनसे जातीय जनगणना की आवश्यकता को बताया था। तब वे तत्कालीन वित्त मंत्री मधु लिमये से मिले। काफी विमर्श हुआ और आखिरकार तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह को इस आशय का पत्र लिखा। तब भी इस मामले में गंभीरता से विचार हुआ। लेकिन यह पाया गया कि जनगणना की तैयारी की प्रक्रिया काफी आगे बढ़ चुकी थी।
मुख्यमंत्री ने साफ किया कि 2011 में जातीय जनगणना नहीं हुई थी। वह एक सर्वे था। जातियों की आबादी नहीं निकाली गई थी। 2021 में जाति आधारित जनगणना होनी चाहिए। तब पूरी आबादी की सही संख्या सामने आएगी।
उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा कि उक्त सर्वे में करीब 46 लाख जातियों की संख्या का पता लगा था। इतनी बड़ी संख्या आश्चर्यजनक है। अधिक से अधिक 12-15 हजार जातियां ही होनी चाहिए। इसके अलावा भी कई त्रुटियां मिलीं। कहा कि अगली जनगणना जाति आधारित ही होगी।