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भाइयों के दीघार्यु की कामना से बहनों ने कूटे गोधन

भाई-बहनों के पवित्र प्रेम के पर्व भैयादूज के मौके पर शुक्रवार को राजधानी सहित पूरे प्रदेश में बहनों ने अपने भाइयों की मंगल कामना की। बहनों से भाइयों ने आशीर्वाद लिये  या सौभाग्यवती होने के...

भाइयों के दीघार्यु की कामना से बहनों ने कूटे गोधन
पटना। प्रधान संवाददाताFri, 09 Nov 2018 07:38 PM
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भाई-बहनों के पवित्र प्रेम के पर्व भैयादूज के मौके पर शुक्रवार को राजधानी सहित पूरे प्रदेश में बहनों ने अपने भाइयों की मंगल कामना की। बहनों से भाइयों ने आशीर्वाद लिये  या सौभाग्यवती होने के आशीर्वाद के साथ उपहार भी दिए। कार्तिक शुक्ल द्वितीया पर भैयादूज मनाने की परंपरा है। वहीं मिथिलांचल वासियों ने इसे भातृद्वितीया के तौर पर मनाया। बहनों से भाइयों ने नोत लेकर उन्हें उपहार दिये। 

गोधन कूटे और पहले अमंगल फिर दिये आशीर्वाद
भाइयों की दीर्घायु  की कामना के साथ बहनों ने शुक्रवार को गोधन कूटे। गोबर का राक्षस बनाकर उसे डंडे से खूब पीटा। पहले तो भाइयों के लिए अमंगल की बात की। उन्हें मरने तक का श्राप दिया। पर बाद में अपनी जीभ पर रेंगनी का कांटा चुभोया...क्यों उन्होंने अपने भाई के लिए ऐसी बात कही। 

बहनों के घर भोजन से बढ़ती भैया की उम्र 
मान्यता है कि भैयादूज के दिन बहनों की गाली भी भाइयों को आशीर्वाद की तरह लगती है। बहनें भाइयों के लिए अमंगल की बात करती है पर बाद में उन्हें दीर्घायु होने का आशीर्वाद भी देती है। भैयादूज और भातृद्वितिया पर बहनों के यहां भोजन करने का खास महत्व है। इसी परंपरा का निर्वाह करते हुए भाइयों ने भातृद्वितीया पर बहनों के घर भोजन ग्रहण किये। ज्योतिषाचार्य पं.विपेंद्र झा माधव के मुताबिक यम ने अपनी बहन यमुना से नोत लेने के बाद यह वरदान दिया था कि इस तिथि को जो भाई, बहन  के यहां भोजन करेगा व आशीर्वाद लेगा उसकी उम्र बढ़ेगी व बहनों का सुहाग अमर रहेगा। इस दिन यमुना में स्नान की भी परंपरा है। 

मिथिलांचल के लोगों ने लिया भातृद्वितिया का नोत
राजधानी के मिथिलांचलवासियों के घरों में  भातृद्वितीया मनायी गयी। नन्हे-मुन्ने से लेकर बुजुर्ग व वृद्ध तक ने अपनी बहनों से नोत लिये। नन्ही- मुन्ही बच्चियों के हाथों से उनके भाइयों का नोत लेने का नजारा भावविभोर कर रहा था। बुजुर्ग और वृद्ध बहनों में भी गजब का उत्साह रहा। नोत लेने का मतलब है  बहनों का आशीर्वाद। इससे बहनों का सौभाग्य बढ़ता है। अहले सुबह से ही हर उम्र के भाई अपनी बहनों के घर नोत लेने पहुंच गए थे। बहनों ने पहले भाइयों को पीढ़े पर बिठाया और चंदन-सिंदूर का टीका लगाया। फिर कठौत में पान, सुपारी, मखान, कोहरा के फूल,चांदी के सिक्के आदि से तीन बार भाइयों के हाथों पर रखकर मंत्र पढ़ा... यमुना नोतलन यम के हम नोतई छी अपन भाई के..जेना यमुना में पाइन बढ़े हमर भैया के अड़ुदा(आयु) बढ़े। बाद में कठौत से अंकुरी (बजरी) निकाल कर बहनों ने भाइयों को खिलाया। बड़ी बहन के पैर छूकर आशीर्वाद लिया और छोटी को आशीर्वाद  दिया। साथ ही बहनों के हाथों से बनाया भोजन ग्रहण किया। 

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