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अपनी क्यारी अपनी थाली: कुपोषण और पौष्टिक आहार को लेकर कार्यशाला का आयोजन

कृषि मंत्री डॉ प्रेम कुमार ने कहा कि हमारा देश खाद्दान के मामले में तो आत्मनिर्भर है लेकिन समाज में कुपोषण व्याप्त है। कुपोषण से मुक्ति के लिए मार्च 2018 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राजस्थान के...

अपनी क्यारी अपनी थाली: कुपोषण और पौष्टिक आहार को लेकर कार्यशाला का आयोजन
पटना, हिन्दुस्तान टीमSat, 19 Sep 2020 07:25 PM
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कृषि मंत्री डॉ प्रेम कुमार ने कहा कि हमारा देश खाद्दान के मामले में तो आत्मनिर्भर है लेकिन समाज में कुपोषण व्याप्त है। कुपोषण से मुक्ति के लिए मार्च 2018 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राजस्थान के झुंझुनू से पोषण अभियान की शुरुआत की थी। पौष्टिक आहार की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि, अपने भोजन में दूध, अंडा, सोयाबीन और ताजे फल एवं हरी साग-सब्जियों को शामिल करें। साथ ही कृषि मंत्री ने व्यवहार परिवर्तन और पोषण वाटिका  पर भी जोर दिया। डॉ प्रेम कुमार ने कहा कि 'अपनी क्यारी, अपनी थाली' से जुड़कर महिलाएं, सही पोषण, देश रोशन के सपने को साकार कर रही हैं। कृषि मंत्री ने ये बातें बिहार सरकार के समाज कल्याण विभाग और कृषि, पशुपालन एवं मत्स्य विभाग के साझा सहयोग से कृषि पोषण पर एक दिवसीय कार्यशाला एवं पोषण वाटिका विषय पर आंगनवाड़ी सेविकाओं के प्रशिक्षण कार्यक्रम में कही।  

रामसेवक सिंह, मंत्री, समाज कल्याण विभाग, ने कहा कि यह बहुत ख़ुशी की बात है कि इस तरह के जन-जागरूकता बढ़ाने वाले कार्यक्रमों  का आयोजन किया जा रहा है। कुपोषण उन्मूलन में सही जानकारी सबसे अहम है। समाज के सभी वर्गों की सहभागिता और जागरूकता से ही एक सुपोषित समाज का निर्माण हो सकता है। इनमें भी सबसे ज्यादा जरूरी है माताओं को जागरूक करना क्योंकि परिवार की पूरी जिम्मेदारी मां पर ही होती है। यदि मां को पोषण के महत्व की जानकारी होगी तो पूरा परिवार स्वस्थ रहेगा। साथ ही हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि लड़के और लड़कियों को बिना भेदभाव पर्याप्त पोषण मिले।

अपर मुख्य सचिव अतुल प्रसाद (समाज कल्याण विभाग, बिहार सरकार) ने कहा कि कुपोषण के उन्मूलन के लिए संतुलित आहार लेना बहुत जरूरी है। हमारे आस-पास ही बहुत से ऐसे खाद्य पदार्थ उपलब्ध होते हैं जिनमें भरपूर मात्र में पोषक तत्व होता है। 6 माह से कम उम्र के बच्चों को कई बार पानी पिला दिया जाता है, जो गलत है। बच्चों का पेट छोटा होता है। यदि उसे पानी पिला दिया जाए तो इसी से उसका पेट भर जाएगा और बच्चा, मां का दूध नहीं पीएगा। इसलिए शिशु के जन्म के पहले छ: माह तक सिर्फ मां का दूध की दें। साथ ही उन्होंने व्यवहार पर जोर देते हुए कहा कि अपने रहने के स्थान पर स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें। 

बिहार कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अजय कुमार सिंह ने कहा कि यदि बच्चों को समय पर सही पोषण नहीं मिले तो बच्चों का सर्वांगीण विकास नहीं हो पाएगा। पोषण वाटिका एक अनोखी पहल है, जिससे बच्चों और गर्भवती महिलाओं को लाभ मिल रहा है। 

आलोक कुमार, निदेशक, समेकित बाल विकास सेवाएं निदेशालय, समाज कल्याण विभाग, बिहार सरकार ने कहा कि, पोषण वाटिका में कृषि विज्ञान केन्द्रों की भूमिका अहम है। यह एक बहुआयामी कार्यक्रम है जिससे उन परिवारों को फायदा होता है जो बाज़ार से पोषित आहार नहीं खरीद सकते। जो भी लोग इच्छुक है वो इससे जुड़ लाभ उठा सकते हैं।

डॉ आर. के. सोहाने, निदेशक, प्रसार शिक्षा, बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, भागलपुर ने कहा कि, कुपोषण से बच्चों में कई तरह की बीमारियां होती हैं, इससे उनका शारीरिक और मानसिक विकास दोनों अवरूद्ध होता है. सही समय पर बच्चों को यदि पोषक तत्वों से भरपूर भोजन मिले तो उन्हें कुपोषण से बचाया जा सकता है। 

डॉ अंजनी कुमार, निदेशक, कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, पटना ने कहा कि, पोषण वाटिकाओं से बहुत सार्थक नतीजे सामने आए है.  आंगनवाड़ी केन्द्रों में संचालित  अपनी क्यारी, अपनी थाली एक बहुत अच्छी पहल है. इस के तहत उगाई जाने वाली सब्जियों को बच्चों और गर्भवती महिलाओं को दिया जाता है जिससे उनमें पोषण की कमी ना हो। आने वाले समय में सभी आंगनवाड़ी केन्द्रों पर इस कार्यक्रम को लागू किया जाएगा।

डॉ आर. एन. सिंह, सह-निदेशक, प्रसार शिक्षा, बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, भागलपुर ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि गुरुनानक देव जब बिहार आए थे तो जमीन छूकर उन्होंने कहा था जैसा खाए अन्न, वैसा होए मन और जैसा पिए पानी वैसा होए वाणी. मुख्यमंत्री की प्रेरणा से कुपोषण मुक्त समाज बनाने की कड़ी में आज का आयोजन एक महत्वपूर्ण प्रयास है। 

इस कार्यक्रम में डॉ प्रेम कुमार, मंत्री, कृषि, पशुपालन एवं मत्स्य विभाग,  रामसेवक सिंह, मंत्री, समाज कल्याण विभाग, डॉ आर. के. सोहाने, निदेशक, प्रसार शिक्षा, बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, भागलपुर, डॉ अंजनी कुमार, निदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, डॉ अजय कुमार सिंह, कुलपति, बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, भागलपुर राज्य के विभिन्न जिलों के कृषि विज्ञान केन्द्रों के कृषि वैज्ञानिक, आंगनवाड़ी सेविकाएं, पर्यवेक्षिकाएं, डीपोओ और सीडीपीओ ऑनलाइन माध्यम से जुड़े। 

कार्यक्रम का आयोजन बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, भागलपुर, कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, पटना, समेकित बाल विकास सेवाएं निदेशालय, समाज कल्याण विभाग, बिहार सरकार के संयुक्त तत्वाधान में किया गया। कार्यक्रम के अंत में अतुल प्रसाद, अपर मुख्य सचिव, समाज कल्याण विभाग, बिहार सरकार और  आलोक कुमार, निदेशक, समेकित बाल विकास सेवाएं निदेशालय, समाज कल्याण विभाग ने पोषण जागरूकता रथ को झंडी दिखाकर रवाना किया। इस दौरान, महिला पर्यवेक्षकों के बीच हरी साग-सब्जियों के बीज का वितरण भी किया। कार्यक्रम के अंत में कृषि मंत्री डॉ प्रेम कुमार ने कृषि विज्ञान केंद्र, मानपुर, गया सहित राज्य के अलग-अलग कृषि विज्ञान केंद्रों मेंआंगनवाड़ी सेविकाओं के बीच ईएफको द्वारा तैयार किट वितरित किया गया।

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