बारूद के ढेर पर पटना: बिना फायर अनुमति के खुल गईं 6000 पटाखा दुकानें
महज 591 दुकानों को ही अस्थायी लाइसेंस मिला है। किसी भी दुकान में सुरक्षा के मानकों को पूरा नहीं किया जा रहा है। यही नहीं, शहर में चल रही एक...
पटना की गली-गली में नियम-कायदों को ताक पर रखकर बारूद का बाजार सज गया है। शहर में 6000 से अधिक पटाखे की दुकानें खुल गई हैं, जबकि प्रशासन से
महज 591 दुकानों को ही अस्थायी लाइसेंस मिला है। किसी भी दुकान में सुरक्षा के मानकों को पूरा नहीं किया जा रहा है। यही नहीं, शहर में चल रही एक भी
पटाखा दुकान के बारे में अग्निशमन विभाग को जानकारी ही नहीं है। ऐसे में कहीं आग लग जाए तो दमकल गाड़ी पहुंच ही नहीं पाएगी।
पटाखे की दुकानें हमेशा खुले मैदान में लगनी चाहिए। कभी भी सड़क या रिहायशी इलाकों में दुकानें नहीं लगाई जा सकतीं। अगर ऐसा होता है तो प्रशासन की
जिम्मेदारी है कि वह दुकानों पर कार्रवाई करे। साथ ही यह भी नियम है कि एक दिन के लिए पटाखे की दुकान लगाने के लिए अस्थायी लाइसेंस लेना होता है।
लाइसेंस मिलने से पहले अग्निशमन विभाग को जानकारी भी दी जाती है, जिससे वह यह जांच ले कि जहां दुकान लगाई जा रही है, वहां दमकल गाड़ी पहुंच पाएगी
या नहीं। इस बार इन नियमों में आग लगा दी गई। अग्निशमन विभाग को न तो प्रशासन ने जानकारी दी और ना ही किसी दुकानदार ने। यही नहीं पान-सिगरेट की
दुकानों से लेकर खाने-पीने की दुकानों के बगल में पटाखे का बाजार सज गया। पुलिस प्रशासन के अधिकारी भी इस बाजार में जा रहे हैं, लेकिन कार्रवाई कोई नहीं
कर रहा।
जरूरी है फायर एनओसी
- एनओसी से फायर विभाग के अधिकारियों को दुकानों का पता होता है।
- एनओसी से संवेदनशील और सामान्य स्थानों का आंकलन कर फायर विभाग अनुमति देता है।
- दुकानों की जानकारी होने से संबंधित स्थानों की सुरक्षा को लेकर विभाग हमेशा सतर्क रहता है।
- अगर एनओसी नहीं होती है तो घटनाओं के बाद आग बुझाने में काफी मशक्कत करनी होती है।
नियम क्या है
- 600 रुपए के चालान के साथ एसडीओ को आवेदन देना होता है। फिर डीएम अस्थायी लाइसेंस जारी करते हैं।
- सुरक्षा मानकों का ध्यान रखते हुए, दुकान पर बालू, पानी के अलावा अग्निशमन यंत्र रखना होता है।
- दुकान के आसपास सिगरेट नहीं पीने की चेतावनी होती है। खुले आसमान के नीचे दुकान लगानी होती है।
- सड़क किनारे अनुमति नहीं दी जाती है, खाली मैदान में दुकान लगनी चाहिए।
- फुलझड़ी बेचने की अनुमति मिलती है, आवाज वाले पटाखें नहीं बेचे जा सकते।
हुआ क्या
- पटना सिटी में 19 और पटना सदर में मात्र एक का आवेदन निरस्त हुआ।
- जहां-तहां चल रहीं दुकानों पर कहीं भी बालू, पानी और अग्निशमन यंत्र की व्यवस्था नहीं है।
- दुकान के आसपास ही पान-सिगरेट की गुमटियां हैं। कहीं तो पटाखे की दुकान के बगल में खाने-पीने का सामान भी बन रहा है।
- गोरिया टोली, जमाल रोड, नाला रोड, कांग्रेस मैदान, बेली रोड, र्बोंरग रोड सहित सभी मुख्य सड़कों पर भी दुकानें चल रही हैं।
- हाइड्रो से लेकर कृष्णा बम तक बेचे जा रहे हैं। 90 डेसीबल से अधिक आवाज के पटाखों पर पूरी तरह रोक है, जबकि वे खुलेआम बिक रहे हैं।
कोई भी पटाखा दुकानदार आवेदन लेकर नहीं आया। बिना फायर की एनओसी की दुकानों को चलाना सुरक्षा के लिहाज से खतरनाक है। हालांकि विभाग सुरक्षा को
लेकर तैयार है। बचाव कर्मी हर घटना से निपटने को तैयार हैं।
- सत्यदेर्व, प्रभारी लोधीपुर फायर स्टेशन
सिर्फ 106 दुकानों को अस्थायी लाइसेंस दिया गया है। इन्हें फायर ब्रिगेड के एनओसी की जरूरत नहीं है। सुरक्षा मानकों के हिसाब से ही पटाखे बेचने का निर्देश है।
-राजेश रौशन, एसडीओ, पटना सिटी
दो दिन के लिए 291 दुकानों को अस्थायी लाइसेंस दिया गया है। सीओ, फायर ब्रिगेड और कार्यपालक पदाधिकारी के नेतृत्व में जांच दल भी घूम रहा है। गलत करने
पर कार्रवाई होगी।
-कुमारी अनुपम, एसडीओ, पटना सदर