नौलखा मंदिर में नागेश्वर बाबा के सीने पर 21 कलश
मां दुर्गा के भांति-भांति के भक्त हैं। मां के परमभक्त नागेश्वर बाबा इस बार भी सीने पर कलश लेकर मां की आराधना में लीन हो गए हैं। नया सचिवालय के समीप स्थित नौलखा मंदिर में मूलत: कुशेश्वरस्थान...
मां दुर्गा के भांति-भांति के भक्त हैं। मां के परमभक्त नागेश्वर बाबा इस बार भी सीने पर कलश लेकर मां की आराधना में लीन हो गए हैं। नया सचिवालय के समीप स्थित नौलखा मंदिर में मूलत: कुशेश्वरस्थान दरभंगा निवासी नागेश्वर बाबा के सीने पर 21कलश स्थापित किए गए हैं। मां के दरबार में सीने पर कलश लिए बाबा के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। वे पिछले 19 सालों से नवरात्र में सीने पर कलश स्थापित करके मां की आराधना कर रहे हैं। पिछले साल 21, उससे पहले 19 और उससे एक साल पहले 17 कलश लेकर मां की आराधना की थी। पूरे नवरात्र मां के इस अनोखे भक्त के दर्शन और आशीर्वाद के लिए भी श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। नागेश्वर बाबा इस स्थल पर तीन दशक से दुर्गापूजा कर रहे हैं। शुरुआती दिनों में वे रोजी-रोटी के लिए आसपास की दुकानों में पानी पहुंचाने का काम करते थे।
नवरात्रि में दुर्गासप्तशती का पाठ
नवरात्रि में दुर्गासप्तशती का पाठ, हवन और कुंवारी कन्या पूजन का खास महत्व है। आचार्य विपेन्द्र माधव के अनुसार प्रतिदिन अर्गला, कील व कवच के साथ शापोद्धार का पाठ करना चाहिए। इसके बाद दुर्गासप्तशती के 13 अध्यायों का पाठ करना चाहिए। विशेष फल की प्राप्ति के लिए संपुट दुर्गासप्तशती पाठ करें। नवरात्र में हर दिन सिद्ध कुजिका स्त्रोत पाठ करने से सभी प्रकार की विघ्न-बाधाएं नष्ट हो जाती हैं। इससे परम सिद्धि की प्राप्ति होती है।
कुंवारी पूजन का महत्व
महानवमी को कुंवारी कन्या का पूजन होता है। 10 साल तक की बच्ची को मां दुर्गा मानकर पूजा की जाती है। फिर उससे आशीर्वाद लेकर उन्हें भोजन कराया जाता है। कई भक्तों द्वारा नवरात्र के हर दिन कुंवारी कन्या की पूजा और भोजन कराया जाता है।