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बिहार चुनाव: पटना साहिब में नंद किशोर यादव पर होगी 'कमल' खिलाने की जिम्मेदारी, कांग्रेस दमखम दिखाने को तैयार

बिहार चुनाव: पटना साहिब में नंद किशोर यादव पर होगी 'कमल' खिलाने की जिम्मेदारी, कांग्रेस दमखम दिखाने को तैयार

संक्षेप: कांग्रेस पटना साहिब में किसे उम्मीदवार बनाती है, यह भी अहम पहलू होगा। उधर, जनसुराज ने भी सक्रियता बढ़ाई है और चुनाव संघर्ष को त्रिकोणीय बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा। नंदकिशोर यादव क्षेत्र से लगाव व विकास कार्यों की बदौलत फिर चुनाव मैदान में उतरने को तैयार हैं।

Thu, 28 Aug 2025 10:58 AMNishant Nandan हिन्दुस्तान, प्रिय रंजन शर्मा, पटना
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सिखों के दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंंद सिंह जी की जन्मस्थली पटना साहिब की व्यापारिक गतिविधियों के लिए भी खास पहचान है। यहां मारुफगंज, मंसूरचक, रामबाग, मच्छरहट्टा जैसे मोहल्लों में अनाज-मसाले से लेकर शृंगार व छोटे खिलौनों की थोक मंडी और बड़ी संख्या में कुटीर उद्योग हैं। पहले इसे पटना पूर्वी विधानसभा क्षेत्र के नाम से जाना जाता था, लेकिन 2008 में परिसीमन के बाद यह क्षेत्र पटना साहिब बन गया। कांग्रेस, जनसंघ और समाजवादियों को बारी-बारी से मौका देने वाला यह विधानसभा क्षेत्र पिछले साढ़े तीन दशक से भाजपा का गढ़ है। इस सीट से भाजपा के नंदकिशोर यादव पिछले सात चुनावों से लगातार जीत रहे हैं। वह बिहार विधानसभा के अध्यक्ष हैं और इस लिहाज से पटना साहिब महत्वपूर्ण विधानसभा सीट है।

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नंद किशोर यादव इस बार चुनाव मैदान में आठवीं बार यहां उतरने वाले हैं। 1957 में अस्तित्व में आए पटना पूर्वी क्षेत्र में 1990 तक नौ विधानसभा चुनावों में सर्वाधिक पांच बार कांग्रेस जीती। भारतीय जनसंघ को दो और जनता पार्टी तथा जनता दल को एक-एक बार सफलता मिली। 1995 में इस सीट पर पहली बार नंदकिशोर यादव जीते। तब से यह भाजपा का गढ़ बना है। इस बार चुनाव में यह सीट इंडिया गठबंधन में कांग्रेस के खाते में आने के आसार हैं। 90 के दशक के बाद कांग्रेस पहली बार विधानसभा चुनाव को लेकर गंभीर दिख रही है।

एक-एक सीट का आकलन हो रहा है। कांग्रेस पटना साहिब में किसे उम्मीदवार बनाती है, यह भी अहम पहलू होगा। उधर, जनसुराज ने भी सक्रियता बढ़ाई है और चुनाव संघर्ष को त्रिकोणीय बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा। नंदकिशोर यादव क्षेत्र से लगाव व विकास कार्यों की बदौलत फिर चुनाव मैदान में उतरने को तैयार हैं। कहते हैं, क्षेत्र का चहुंमुखी विकास मेरा सपना है। उम्मीद है कि जात-पात से ऊपर उठ इस बार भी जनता हमें आशीर्वाद देगी। प्रतिद्वंद्वी दल सामाजिक समीकरण साधने के साथ वे मुद्दे भी उठा रहे हैं, जो विकास से अछूते हैं।

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2015 के चुनाव में कांटे की टक्कर

नंदकिशोर यादव को क्षेत्र के लोग ‘नंदू भइया’ से भी बुलाते हैं। वह पथ निर्माण, स्वास्थ्य, पर्यटन जैसे महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री भी रहे हैं। 2015 के विधानसभा चुनाव में उन्हें कड़े मुकाबले का सामना करना पड़ा था, जब जदयू, राजद व कांग्रेस का महागठबंधन था। राजद ने उनके शिष्य रहे संतोष मेहता को उतारा और मुकाबला इस कदर कांटे का रहा कि नंदकिशोर यादव के सिर महज 2792 मतों से जीत का सेहरा बंधा।

चुनावों में नंद किशोर यादव के सामने प्रतिद्वंद्वी पार्टी और चेहरा बदलता रहा। 1995 में उनके सामने राजद के रामलखन सिंह यादव थे तो 2000 में उनका सामना राजद के ही ज्ञानेन्द्र कुमार ज्ञानू से हुआ। इसी तरह 2005 में हुए दो चुनावों में उनके सामने राजद ने भारती यादव (फरवरी) और अनिल यादव (नवंबर) को उम्मीदवार बनाया। कांग्रेस ने 2010 के चुनाव में परवेज अहमद को टिकट दिया, जबकि 2015 में राजद ने संतोष मेहता तो 2020 में कांग्रेस ने प्रवीण कुशवाहा को मैदान में उतारा था।

नंद किशोर यादव जी बिहार में कई विभागों के मंत्री रहे। अभी विधानसभा के अध्यक्ष हैं। बिहार की राजनीति में जितना बड़ा उनका चेहरा है, उसके मुताबकि पटना साहिब का विकास नहीं हुआ। पटना सिटी के इलाके में आवागमन सुगम नहीं हो सका। कई इलाकों में लोग जलजमाव से त्रस्त हैं। अपराध भी बेलगाम है। -प्रवीण सिंह कुशवाहा, कांग्रेस प्रत्याशी

पटना साहिब के विधायक सह बिहार विधानसभा के अध्यक्ष नंद किशोर यादव ने कहा कि जातपात से ऊपर उठकर मैं विकास की राजनीति करता हूं। पटना साहिब में सड़कों के निर्माण के लिए 125 करो़ड़ रुपये की योजना स्वीकृत की गयी है। मंगल तालाब के सौन्दर्यीकरण अगले माह शुरू हो जाएगा। गंगा पाथ के निर्माण से जाम से काफी राहत मिली है। पटना घाट समेत अन्य सड़कों का निर्माण पूरा हो जाने से आवागमन की बेहतर सुविधा मिलेगी।

पांच साल में दिखा यह बदलाव

● जेपी गंगा पथ का दीदारगंज तक विस्तार

● गायघाट से पटना घाट तक लिंक रोड का निर्माण

● गायघाट में आईआईटी की स्थापना

● मंगल तालाब पाटलिपुत्र में इंडोर स्टेडियम का निर्माण

● गुरु गोविंद सिंह अस्पताल को जिला अस्पताल का दर्जा

वायदे, जो पूरे नहीं हुए - :

● अशोक राजपथ और उससे सटे इलाकों को जाम से मुक्ति नहीं

● बरसात में जल्ला के कृषि योग्य भूमि को जलजलाव से निजात नहीं

● कुटीर उद्योगों का दायरा बढ़ने की जगह सिमट रहा है

● छोटी पहाड़ी और महादेव स्थान के पास अंडरपास नहीं बना

● अंतरराज्यीय बस स्टैंड बना पर जाम की समस्या का नहीं हुआ निदान

कब-कौन जीता

1957 - जेहरा अहमद (कांग्रेस)

1962 - जेहरा अहमद (कांग्रेस)

1967 - रामदेव महतो (भारतीय जनसंघ)

1969 - रामदेव महतो (भारतीय जनसंघ)

1972 - जमील अहमद (कांग्रेस)

1977 - रामदेव महतो (जनता पार्टी)

1980 - शरत कुमार जैन (कांग्रेस)

1985 - शरत कुमार जैन (कांग्रेस)

1990 - महताब लाल (जनता दल)

1995 - नंद किशोर यादव (भाजपा) अबतक

Nishant Nandan

लेखक के बारे में

Nishant Nandan
एक दशक से पत्रकारिता के क्षेत्र में सेवाएं दे रहे निशांत नंदन डिजिटल पत्रकारिता में आने से पहले इलेक्ट्रॉनिक/प्रसारण मीडिया में लंबे समय तक काम कर चुके हैं। निशांत ने अपने करियर की शुरुआत ETV बिहार से की थी। इसके बाद वो मौर्य न्यूज, आर्यन न्यूज, न्यूज वर्ल्ड इंडिया जैसे संस्थानों में अलग-अलग भूमिकाओं में काम कर चुके हैं। साल 2018 में इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप के साथ डिजिटल पत्रकारिता का सफर शुरू करने के बाद निशांत साल 2021 में लाइव हिन्दुस्तान से जुड़े। निशांत मूल रूप से बिहार के भोजपुर जिले के रहने वाले हैं। आरा में शुरुआती शिक्षा के बाद इन्होंने नालंदा मुक्त विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। और पढ़ें
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