
बिहार के थाने में ही हुआ गैर कानूनी काम, पटना हाईकोर्ट अब पुलिसवालों पर लगाया जुर्माना
संक्षेप: कोर्ट का कहना था कि किसी को किसी केस में तय अवधि से ज्यादा समय तक गैर कानूनी तरीके से रखना कानून गलत है। कोर्ट ने कहा कि तीनों पुलिस पदाधिकारी के खिलाफ अदालती आदेश अवमानना का मामला भी चलाया जा सकता हैं लेकिन सिर्फ जुर्माना लगाया जा रहा है ताकि भविष्य में ऐसी गलती नहीं करे
जहानाबाद मखदुमपुर के थाने में गैर कानूनी तरीके से आवेदक के तीन रिश्तेदार को थाने में रखने के मामले में पटना हाई कोर्ट ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए पुलिस पर दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने जहानाबाद के एसपी को दोषी पुलिस कर्मियों से वसूलने की पूरी छूट दी है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस मामले में जहानाबाद थाना के एसएचओ, मखदुमपुर थाना के एसएचओ और जहानाबाद थाना के सहायक सब इंस्पेक्टर गिरफ्तारी को लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी दिशा निर्देश का पालन नहीं किया है।
कोर्ट का कहना था कि किसी को किसी केस में तय अवधि से ज्यादा समय तक गैर कानूनी तरीके से रखना कानून गलत है। कोर्ट ने कहा कि तीनों पुलिस पदाधिकारी के खिलाफ अदालती आदेश अवमानना का मामला भी चलाया जा सकता हैं लेकिन सिर्फ जुर्माना लगाया जा रहा है ताकि भविष्य में ऐसी गलती नहीं करे। न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद और न्यायमूर्ति सौरेन्द्र पाण्डेय की खंडपीठ ने अरविंद कुमार गुप्ता की ओर से दायर आपराधिक रिट याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया।
कोर्ट ने आदेश की प्रति राज्य के पुलिस महानिदेशक को भेजने का आदेश हाई कोर्ट प्रशासन को दिया है। ताकि राज्य के सभी जिलों के पुलिस अधीक्षक पुलिस पदाधिकारियों को दिशा निर्देश जारी करें। ताकि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट की ओर से जारी द्दिशा निर्देशों का पालन हो सके। कोर्ट ने कहा कि आए दिन देखने को मिलता है कि पुलिस पदाधिकारी गिरफ्तारी को लेकर दिए गए दिशा निर्देशों का पालन नहीं करते हैं। वही कोर्ट में सरकारी वकील को भी अपने स्तर से आदेश के बारे में पूरी जानकारी दे।
क्या है मामला
मामला अपहरण और हत्या को लेकर मखदुमपुर थाने में थाना कांड संख्या 337/2025 दर्ज कराई गई थी। शक के आधार पर मखदुमपुर और जहानाबाद थाना के पुलिस ने आवेदक के तीन रिश्तेदारों मंजू देवी ,आदित्य राज और गौतम कुमार को अलग-अलग जगह से गिरफ्तार कर थाना में निर्धारित समय से ज्यादा समय तक रखा। इसकी जानकारी परिजनों को चार-पांच दिनों तक नहीं दिये जाने पर मगध रेंज के डीआईजी से शिकायत की गई थी। बाद में तीनों को पुलिस से छुड़ाने के लिए हाई कोर्ट में आपराधिक रिट याचिका दायर किया गया।जहानाबाद पुलिस ने तीनों को थाना हिरासत में रखा और एक को छोड़ बाकी दो को पुलिस बॉन्ड पर छोड़ दिया। कोर्ट में सुनवाई के दौरान तीनों पुलिस पदाधिकारी कोर्ट में उपस्थित थे।





