पटना हाईकोर्ट ने नीतीश सरकार से किया जवाब-तलब, जानें क्या है पूरा मामला
अधिवक्ता नागेंद्र राय और कौशलेंद्र कुमार राय ने कोर्ट को बताया कि भूमि जमाबंदी कानून की धारा 9 के तहत अपर समाहर्ता काफी पुराना जमाबंदी को बिना किसी जांच-पड़ताल के रद्द कर दे रहे हैं।पुरानी जमाबंदी रद्द करने के पूर्व जिला समाहर्ता उसकी पूरी जांच-पड़ताल कराएंगे। उसके बाद कानून के तहत कार्रवाई करना है।
पटना हाईकोर्ट ने पुरानी जमाबंदी को बिना जांच-पड़ताल के रद्द करने के मामले में राज्य सरकार से जवाब-तलब किया है। कोर्ट ने सरकार से जानना चाहा कि आखिर जमाबंदी कानून की धारा 9 के तहत अपर समाहर्ता कैसे वर्षों पुरानी जमाबंदी को बगैर जांचे रद्द कर दे रहे हैं। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति के विनोद चन्द्रन और न्यायमूर्ति पार्थ सारथी की खंडपीठ ने बुधवार को राजेन्द्र सिंह की ओर से दायर अर्जी पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया।
आवेदक की ओर से अधिवक्ता नागेंद्र राय और कौशलेंद्र कुमार राय ने कोर्ट को बताया कि भूमि जमाबंदी कानून की धारा 9 के तहत अपर समाहर्ता काफी पुराना जमाबंदी को बिना किसी जांच-पड़ताल के रद्द कर दे रहे हैं। जबकि कानून के तहत पुरानी जमाबंदी रद्द करने के पूर्व जिला समाहर्ता उसकी पूरी जांच-पड़ताल कराएंगे। उसके बाद कानून के तहत कार्रवाई करना है।
अधिवक्ताओं ने कहा कि कानून जिला समाहर्ता को यह सब करने का अधिकार देता है, लेकिन मौजूदा समय में अपर समाहर्ता पुरानी जमाबंदी को बगैर किसी जांच के रद्द करने का आदेश जारी कर रहे हैं। उन्होंने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि जमाबंदी कानून की धारा 9 गैर संवैधानिक है। कोर्ट को बताया कि दशकों पुरानी जमाबंदियों को जिलों के अपर समाहर्ता बेधड़क रद्द कर देते हैं। पुरानी जमाबंदी से भूमि के स्वत्व और स्वामित्व का प्रश्न भी संलिप्त रहता है, जिसे सिविल कोर्ट ही साक्ष्य लेकर फैसला दे सकती है। राजस्व अधिकारियों को सिविल कोर्ट की शक्तियां दे दी गई हैं जो संविधान के अनुच्छेद 300-ए का हनन है। इस धारा को निरस्त करने की मांग कोर्ट से की गई। फिलहाल कोर्ट ने उनकी ओर से दी गई दलील को मंजूर करते हुए राज्य सरकार से जवाब-तलब किया है। कोर्ट ने मामले पर अगली सुनवाई की तारीख 30 सितंबर तय की है।
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